Wednesday 20 July 2016

वो न आएगें पलट्कर...............



बालीवुड की मशहूर गायिका मुबारक बेगम शेख का ८० वर्ष की आयु में उनके मुंबई में जोगेश्वरी स्थित घर में निधन हो गया। राजस्थान के झुंझनु जिले में अपने ननिहाल में जन्मी मुबारक बेगम शेख ने बचपन से आर्थिक तंगी का सामना करना पडा, परन्तु उनकी खुश्किस्मती थी कि उनके पिता को संगीत से गहरा लगाव था।
मुबारक बेगम के दादाजी अहमदाबाद में चाय बेचते थे। जब मुबारक बेगम छोटी थी तभी उनके माता-पिता भी अहमदाबाद शिफ्ट हो गये। वहां उन्होने फल बेचने का काम शुरू कर दिया। इसके बाद मुबारक बेगम के माता-पिता अपने परिवार को मुंबई ले आए।
सन १९४६ के दौर में जब बालीवुड में नूरजहां और सुरैया की आवाज का जादू चल रहा था। मुबारक बेगम भी इनके गानों को बडी शौक से गुनगुनाया करती थी। मुबारक बेगम के पिता ने इनके हुनर को भांप लिया और संगीत की विधिवत तालीम के लिए किराना घराने के उस्ताद रियाजुद्दीन खां और उस्ताद समद खां के पास भेजा। इसी दौरान मुबारक बेगम को आल इंडिया रेडियो के लिए आडिशन देने का मौका मिला। संगीतकार अजलीत मर्चेंट ने उनका आडीशन लिया। इस तरह मुबारक बेगम के करियर की शुरुआत हुई, और वो घर-घर में पहचानी जाने लगीं। यहीं से बालीवुड के दरवाजे उनके लिए खुले।
सन १९४९ में रिलीज फिल्म आईये का मशहूर गीत  ’मोहे आने लगी अंगडाई आजा आजा’ उनका पहला गीत रहा जो बहुत यादगार रहा। सन १९८० में रिलीज फ़िल्म रामू तो दीवाना है में उन्होने ’सांवरिया तेरी याद में’ गीत गाया जो उनके अंतिम गीतों में से एक है।
सुरों की धनी मुबारक बेगम के अंतिम दिन इतने आर्थिक संकट में बीते कि उनके परिवार को उनके इलाज कराने के लिये भी अत्यधिक कठिनाईयों का सामना करना पडा । वे जोगेश्वरी इलाके में अपने ड्राइवर बेटे और बहू के साथ एक कमरे के मकान में रह रहीं थी। 
ये दशा सिर्फ मुबारक बेगम की ही नहीं हुई पहले भी ऎसे कई कलाकआर हुए हैं जिन्होने अपनी जिन्दगी के आखिरी दिन गुमनामी और आर्थिक तंगी में बिताए। मुझे लगता है कि सरकार को एक ऎसा कोष बनाना चाहिये जो इस प्रकार से आर्थिक तंगी और गुमनामी में जिन्दगी बिता रहे कलाकारों की मदद करे।

Tuesday 19 July 2016

आया सावन झूम के..............



पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश को देखकर मैंने सोचा कि कुछ बारिश के बारे में ही लिखा जाए। दोस्तों बारिश के बारे में आप लोग के विचारों के बारे में मुझे ग्यान नहीं है पर मुझे तो बारिश का मौसम बेहद पसंद है। गर्मी के बाद बारिश की वजह से मौसम में आई ठंड्क किसी एनर्जी ड्रिंक की तरह काम करती है। इस साल गर्मी में सूखा पडने के कारण बारिश किसानों के लिऎ बहुत राहत देने वाली है।

     वैसे जुलाई में स्कूल भी शुरू होते हैं। मुझे बचपन में हमेशा इसी बात का इंतजार रहता था कि काश स्कूल जाने के समय में ही बारिश हो और मुझे छाता लगाकर स्कूल जाने का मौका मिले। सड्क के गड्ढों में भरे पानी में कूदने में जो मजा मिलता था वो दुनिया के किसी खेल में नहीं मिलता था। घर पर मां के हाथ के बने हुए गुड और बेसन के चीले आज के पिज्जा बर्गर से कहीं ज्यादा स्वादिष्ट होते थे।
     ये तो बचपन की बात हो गई पर आज भी छुट्टी के दिन अगर बारिश हो रही हो तो मुझे बिना कुछ किये घर पर दिन भर आलसियों की तरह पडे रहना बहुत अच्छा लगता है। गीली मिट्टी की खुशबू, बारिश की आवाज और खिडकी में बैठकर बाहर बारिश को देखना I Love these things  बरिश रुकने के बाद खुला और साफ आसमान काफी खूबसूरत दिखाई देता है। अगर आप किसी पहाडी क्षेत्र में रहते हैं तो इस मौसम की खूबसूरती को आप करीब से देख सकते हैं। डिण्डौरी आने के पहले मैने बादलों कॊ इतना नीचे कभी नहीं देखा था। जगह जगह बरिश के पानी से छोटे-छोटे झरने बन जाते हैं।
     मुझे लगता है कि सोने के लिये ये सबसे अच्छा मौसम है। बरिश कीवजह से हल्की हल्की ठंड्क होने के कारण मुझे खुद को कवर कर के दिन भर बिस्तर में पडे रहना और अपनी पसंद की चीजें करना बहुत पसंद है। जैसे अपने दोस्तों से चैट करना, अपनी पसंद की किताबें पड्ना टीवी देखना और सबसे जरूरी चीज अपने परिवार के समय बिताना।
      बारिश की बात हो और चाय पकोडे की बात न हो ऎसा तो हो ही नहीं सकता है। गर्मागरम चाय और पकोडों का असली मजा बारिश के मौसम में ही आता है। जरा सोचिऎ जभ आप बारिश में भीगकर कांपते हुए घर वापस आते हैं तो गर्मागरम चाय/काफी का एक घूंट आपके पूरे शरीर में गर्मी भर देता है। शायद मैंने कुछ ज्यादा ही नाट्कीय ढंग से इसका वर्णन किय़ा है पर मुझे लगता है कि आप समझ गए होगें कि मैं क्या कहना चाहती हूं।

     मैने अक्सर लोगों को यह कहते सुना है कि बरिश में पूरा दिन खराब हो गया, कही बाहर नहीं जा सके। मैं उन लोगों को ये कहना चाहती हूं कि बारिश ने आपको अपनों के साथ समय बिताने का मौका दिया है। आपको कुछ पल ऎसे दिये हैं जिनमें आप अपने लिये जियें। जिन्दगी की भाग दौड में हम जीना ही भूल जाते हैं। बस भागते रह्ते हैं। बारिश ने आपको फुरसत के वो लम्हे दिये हैं जिनमें आप थमकर सोच सकते हैं अपनी पसंद की चीजें कर सकते हैं जॊ इस भागदौड भरी जिन्दगी में हमारे रिज्यूम और सोशल नेटवर्किंग साईट के होबीज वाले कालम मे सिमटकर रह गई हैं।