Tuesday 12 November 2019

मोनिया महोत्सव

मुख्यमंत्री कमलनाथ आज छतरपुर जिले के बिजावर में होने वाले मोनिया महोत्सव में शामिल होने पहुंचे। यहां उन्होंने जनसभा को संबोधित किया।
 बुंदेलखंड के लोकनृत्य मोनिया की अपनी अलग पहचान है जिसे खासतौर दीपावली के अगले दिन से मनाया जाता है।
इस नृत्य के दौरान प्रतिभागी कुछ बोलते नहीं हैं बल्कि मौन रहकर नृत्य करते हैं। 

Wednesday 6 November 2019

नासा का वॉयजर-2 अंतरिक्षयान


नासा का वॉयजर-2 अंतरिक्षयान

NASA’s Voyager 2 spacecraft

नासा का वॉयजर-2 अंतरिक्षयान सौरमंडल की परिधि (Heliosphere ) के बाहर इंटरस्टेलर क्षेत्र (Interstellar Space) में पहुँचने वाला दूसरा यान बन गया है।
Nasa's Voyager 2

वॉयजर-2

  • वॉयजर-2 को 20 अगस्त, 1977 को लाॅन्च किया गया था तथा इसके 16 दिन बाद 5 सितंबर, 1977 को वॉयजर-1 लांच किया गया था।
  • अंतरिक्षयान पर लगे प्लाज़्मा तरंग यंत्र पर प्लाज़्मा घनत्व की रीडिंग के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि वॉयजर-2 ने 5 नवंबर, 2018 को इंटरस्टेलर क्षेत्र में प्रवेश किया था।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार प्लाज़्मा का बढ़ा हुआ घनत्व इस बात की पुष्टि करता है कि अंतरिक्षयान सौर हवाओं के गर्म और कम घनत्व वाले प्लाज़्मा के घेरे से बाहर निकलते हुए ठंडे एवं अधिक प्लाज़्मा घनत्व वाले इंटरस्टेलर स्पेस में सफर कर रहा है।
  • वॉयजर-2 से मिले प्लाज़्मा घनत्व के आँकड़े वॉयजर-1 के घनत्व के आँकड़ों से मिलते हैं
    • वॉयजर-2 से पहले नासा का ही वॉयजर-1 इस सीमा के पार पहुँचा था।
    • वायेजर-1 के बाद वॉयजर-2 इंटरस्टेलर क्षेत्र में पहुँचने वाला दूसरा मानव निर्मित अंतरिक्षयान बन गया है।
  • वॉयजर-2 और वॉयजर-1 के इंटरस्टेलर क्षेत्र में पहुँचने पर यह ज्ञात हुआ है कि इस क्षेत्र में सौर हवाओं कि एक मज़बूत सीमा बनी हुई है।
  • वॉयजर-1 और वॉयजर-2 ने अलग-अलग पथ से होते हुए सूर्य से लगभग बराबर दूरी पर इंटरस्टेलर क्षेत्र में प्रवेश किया।
    • इससे पता चलता है कि हेलियोस्फेयर का आकार सममित (Symmetric) है।

हेलियोस्फेयर और इंटरस्टेलर

  • सूर्य से बाहर की ओर बहने वाली हवाओं से सौरमंडल के चारों ओर एक बुलबुले जैसा घेरा बना हुआ है। इस घेरे को हेलियोस्फेयर और इसकी सीमा से बाहर के क्षेत्र को इंटरस्टेलर कहा जाता है।

स्किल बिल्ड प्लेटफार्म



कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development & Entrepreneurship- MSDE) के तहत कार्यरत प्रशिक्षण महानिदेशालय (Directorate General of Training- DGT) द्वारा प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनी IBM ( International Business Machines) के सहयोग से स्किल बिल्ड प्लेटफार्म कार्यक्रम (Skills Build platform) की शुरुआत की गई।

स्किल बिल्ड प्लेटफार्म

  • इस प्लेटफॉर्म के तहत IBM के सहयोग से आईटी नेटवर्किंग और क्‍लाउड कंप्‍यूटिंग के लिये इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्‍टीट॒यूट तथा नेशनल स्किल ट्रेनिंग इंस्‍टिटयूट द्वारा दो वर्ष का एडवांस डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।
  • यह प्लेटफॉर्म छात्रों को MyInnerGenius (माई इनर जिनियस) के माध्यम से ज्ञान संबंधी क्षमताओं और व्यक्तित्व से संबंधित स्व-आकलन की सुविधा प्रदान करेगा।
  • यह प्लेटफॉर्म उन्नति और एडुनेट फाउंडेशन जैसे प्रमुख गैर सरकारी संगठनों की सहायता से शुरू किया गया है।

उद्देश्य

  • इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य छात्रों को डिजिटल प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ व्यावसायिक कौशल जैसे कि बायो-डेटा तैयार करना, समस्या समाधान और संचार संबंधी मूलभूत ज्ञान प्रदान करना है।
  • यह पहल रोज़गार के लिये श्रम बल तैयार करने तथा नए कॉलर कॅरियर्स (New Collar Carriers) के लिए आवश्यक, अगली पीढ़ी के कौशलों का निर्माण करने की IBM की वैश्विक प्रतिबद्धता का अंग है।
  • स्किल्स बिल्ड प्लेटफॉर्म भारत में आजीवन शिक्षण संभव बनाने और भारत सरकार की स्किल इंडिया पहल के साथ समायोजन के प्रति IBM की संकल्पबद्धता को और सुदृढ़ करेगा।

भारत का नया मानचित्र

हाल ही में भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को प्रभावी तौर से समाप्त करके जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को लागू कर दिया गया है। इस अधिनियम के तहत पुरानी व्यवस्था को परिवर्तित करके दो नए संघशासित क्षेत्रों जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख का पुनर्गठन किया गया।
  • वर्ष 1947 में भूतपूर्व जम्मू और कश्मीर राज्य में निम्न 14 जिले थे – कठुआ, जम्मू, ऊधमपुर, रियासी, अनंतनाग, बारामूला, पुँछ, मीरपुर, मुज़फ्फराबाद, लेह और लद्दाख, गिलगित, गिलगित वजारत, चिल्हास तथा ट्राइबल टेरिटरी।
  • वर्ष 2019 में भूतपूर्व जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार द्वारा इन 14 ज़िलों के क्षेत्रों को पुनर्गठित करके 28 ज़िलों में परिवर्तित कर दिया गया है।
    • नए ज़िले इस प्रकार हैं – कुपवारा, बान्दीपुर, गांदरबल, श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, शोपियाँ, कुलगाम, राजौरी, रामबन, डोडा, किश्‍तवार, साम्बा और कारगिल।
  • नए लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र में कारगिल तथा लेह दो ज़िले हैं तथा जम्मू-कश्मीर राज्य संघ क्षेत्र में भूतपूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य का शेष हिस्सा है।
    • कारगिल ज़िले को लेह और लद्दाख ज़िले के क्षेत्र से अलग करके बनाया गया है।
  • इस आधार पर भारत के मानचित्र में 31 अक्तूबर, 2019 को सृजित नए जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र को दर्शाते हुए सर्वेअर जनरल ऑफ इंडिया (Surveyer General Of India) द्वारा तैयार किया गया मानचित्र इस प्रकार है।

व्हाइट गुड्स सेक्टर

हाल ही में निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं के अनुसार, दीपावली के अवसर पर व्हाइट गुड्स सेक्टर (White Goods Sector) तथा अन्य घरेलू उपकरणों की मांग में लगभग 20-35% की वृद्धि देखी गई है।

व्हाइट गुड्स क्या हैं?

  • व्हाइट गुड्स बड़े घरेलू उपकरण जैसे- स्टोव, रेफ्रिजरेटर, फ्रीजर, वाशिंग मशीन, टम्बल ड्रिकर्स, डिशवॉशर और एयर कंडीशनर आदि होते हैं।
  • ये ऐसे विद्युत उपकरण होते हैं जो सामान्यतः सफेद रंग में ही उपलब्ध होते हैं।
  • एक विस्तृत श्रृंखला में विभिन्न रंगों में खरीदने के उपरांत भी इन्हें व्हाइट गुड्स ही कहा जाएगा।
  • इनकी समग्र वृद्धि दर 35% है।
  • प्रीमियम उत्पादों में लगभग 40% तक की वृद्धि दर्ज की गई है।

मांग में वृद्धि का कारण

  • उत्पादों की उच्च गुणवत्ता, उपभोक्ताओं के लिये आकर्षक ऑफर, सुविधाजनक वित्तपोषण के विकल्प आदि मांग में वृद्धि के कारक हैं।

Tuesday 5 November 2019

युवाह पहल

महिला और बाल विकास मंत्रालय ने यूनिसेफ (UNICEF) द्वारा चलाई गई युवाह पहल (YuWaah Initiative) को लॉन्च किया है।

युवाह पहल:

  • इसका लक्ष्य 10 से 14 वर्ष के किशोरों हेतु शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देना है।
  • इसके अलावा वर्ष 2030 तक निजी क्षेत्रों के साथ कार्य करके 50 मिलियन युवा महिलाओं तथा 50 मिलियन युवाओं को इच्छुक आर्थिक अवसर प्रदान कराना है।
  • विश्व के किशोरों की कुल जनसंख्या का 21% हिस्सा भारत में निवास करता है।
  • यह पहल भारत में लिंगानुपात की चुनौती को भी कम करने में मददगार साबित होगी।
  • भारत इस प्रकार की पहल की शुरूआत करने वाला विश्व का पहला देश है।
  • यह पहल वर्ष 2018 में न्यूयॉर्क में हुए ‘ग्लोबल जनरेशन अनलिमिटेड’ (Global Generation Unlimited) आंदोलन से संबंधित है।

ग्लोबल जनरेशन अनलिमिटेड

(Global Generation Unlimited)

  • ग्लोबल जनरेशन अनलिमिटेड की शुरुआत वर्ष 2018 में UNICEF द्वारा की गई थी।
  • यह सभी देशों को युवाओं की शिक्षा, कौशल और सशक्तीकरण हेतु समर्थन करने तथा विस्तार करने के लिये एक एजेंडा प्रदान करता है।

कॉस्मिक येती

कॉस्मिक येती के बारे में:

  • इस प्रकार के चिह्न पहले कभी नहीं देखे गए।
  • कॉस्मिक येती के अस्तित्व के साक्ष्यों की कमी के कारण खगोलविद इन्हें लोक कथाओं से संबंधित मानते थे।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के खगोलविदों ने पहली बार ऐसी आकाशगंगा की तस्वीर खींचने में सफलता प्राप्त की है।
  • हाल ही के अध्ययन में पाया गया कि ब्रह्मांड में सबसे बड़ी आकाशगंगाओं में से कुछ बहुत तेज़ी से परिपक्व हुईं हैं जिन्हें अभी तक सैद्धांतिक रूप से नही समझा गया है।
  • यह नई खोज ब्रह्मांड की उत्पत्ति से संबंधित कारकों का पता लगाने में मददगार साबित होगी।
  • खगोलविदों का मानना है कि इस आकाशगंगा से प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग 12.5 बिलियन वर्ष लगे हैं।
  • यह खोज अटाकामा लार्ज मिलीमीटर ऐरे (Atacama Large Millimeter Array- ALMA) द्वारा की गई है।

अटाकामा लार्ज मिलीमीटर ऐरे

(Atacama Large Millimeter Array- ALMA)

  • ALMA को कनाडा, ताइवान और दक्षिणी कोरिया के साथ यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला (European Southern Observatory- ESO), संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (National Science Foundation- NSF) तथा जापान के राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संस्थान (National Institutes of Natural Sciences- NINS) के सहयोग से चिली में स्थापित किया गया है।
  • ALMA एक एकल दूरबीन है जो 66 सुस्पष्ट एंटीना के साथ उत्तरी चिली के चज़नंतोर पठार (Chajnantor plateau) पर अवस्थित है।

DTH v/s OTT

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, DTH सेवाओं के औसत सक्रिय ग्राहक आधार (Subscriber Base) में इस तिमाही (अप्रैल-जून) में जनवरी-मार्च तिमाही के 72.44 मिलियन की तुलना में 25 प्रतिशत की तीव्र गिरावट आई है और यह 54.26 मिलियन रह गया है।

DTH ग्राहकों की संख्या में गिरावट का कारण

  • यह गिरावट तब आई है जब 1 अप्रैल से नई DTH टैरिफ व्यवस्था लागू हुई है। ग्राहक आधार में गिरावट उन चुनौतियों को उजागर करती है जिनका सामना DTH ऑपरेटरों को नई टैरिफ व्यवस्था लागू करने के क्रम में करना पड़ता है।
  • इस बीच OTT सेवाओं के प्रसार का असर भी DTH सदस्यता संख्या पर पड़ा है। इस क्षेत्र में उच्च प्रतिस्पर्द्धा के बीच OTT सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को आकर्षक कंटेंट और सदस्यता पैकेज, दोनों की पेशकश एक साथ कर रहे हैं। हालाँकि OTT प्लेटफॉर्मों का विनियमन अभी भी एक विवादित मुद्दा है जिस पर सरकार विचार कर रही है।
  • हाल के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि लगभग 55% भारतीय DTH सेवाओं के स्थान पर OTT सेवाओं को वरीयता देते हैं और लगभग 87% भारतीय इन दिनों वीडियो देखने के लिये मोबाइल का उपयोग करते हैं।

DTH और OTT में समानता एवं असमानता

  • DTH ‘डायरेक्ट टू होम’ (Direct To Home) सेवा का संक्षिप्त नाम है। यह एक डिज़िटल उपग्रह सेवा है जो देश में कहीं भी उपग्रह द्वारा प्रसारण के माध्यम से प्रत्यक्षतः ग्राहकों को टेलीविज़न पर कार्यक्रमों को देखने की सुविधा प्रदान करती है।
  • इसके सिग्नल डिज़िटल प्रकृति के होते हैं और सीधे उपग्रह से प्राप्त होते हैं।
  • 'ओवर द टॉप' (Over The Top- OTT) एक ऐसा ऑनलाइन कंटेंट प्रदाता मीडिया सेवा है जो एक स्टैंडअलोन उत्पाद के रूप में स्ट्रीमिंग मीडिया की पेशकश करती है। इस शब्द का प्रयोग आमतौर पर वीडियो-ऑन-डिमांड प्लेटफॉर्म के संबंध में किया जाता है, लेकिन ऑडियो स्ट्रीमिंग, मैसेज सर्विस या इंटरनेट-आधारित वॉयस कॉलिंग सोल्यूशन के संदर्भ में भी इसका प्रयोग होता है।
  • इसे इंटरनेट और स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप/कंप्यूटर तक अभिगम्यता/पहुँच की आवश्यकता होती है।
  • DTH और OTT की सामग्री (Content) और संदर्भ पूरी तरह से अलग हैं। OTT प्लेटफॉर्म अत्यंत व्यक्तिगत प्रकृति के हैं, जबकि DTH कनेक्शन अपनी प्रकृति में अधिक सामाजिक होते हैं।
  • ये एक-दूसरे के पूरक भी हैं, जैसे OTT प्लेटफॉर्म विज्ञापनों द्वारा DTH पर उपलब्ध सामग्री के बारे में सूचना देते हैं।

क्या DTH सेवा प्रदाता वास्तव में घट रहे हैं?

  • 25% गिरावट की बात पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि TRAI ने गणना की पद्धति में परिवर्तन किया है, संख्याओं को एक नए और अधिक सटीक तरीके से प्रस्तुत किया है। इस प्रकार ग्राहकों की संख्या में गिरावट के बजाय ग्राहकों का अधिक सटीक आँकड़ा उपलब्ध हुआ है जो संख्या में कमी आने का भ्रम पैदा करता है।
  • OTT प्लेटफॉर्मों के मूल्य घटक (Price Factor) और टैरिफ वस्तुतः इतने कम नहीं किये गए हैं कि वे DTH को बाज़ार से हटा दें या उसके ग्राहकों की संख्या में उल्लेखनीय कमी ला दें।
  • नई टैरिफ व्यवस्था ने शुल्क/बिल प्रारूप में परिवर्तन किया है जहाँ उपभोक्ताओं के पास केवल उन चैनलों के लिये भुगतान का विकल्प मौजूद है जो कि वे देखना चाहते हैं। उपयोगकर्त्ताओं के व्यक्तिगत उपयोग के आधार पर किन्हीं दो ग्राहकों का बिल कम या अधिक अथवा एक-दूसरे से अलग होगा। इसलिये यह कहना उचित नहीं है कि सभी के शुल्क बढ़ गए हैं।
  • चैनलों की बंडलिंग या पैकेज उपभोक्ता के लिये चयन विकल्प को आसान बनाता है क्योंकि न्यूनतम टैरिफ के साथ पसंद के कंटेंट का चयन एक अत्यंत कठिन अभ्यास है। यह पूरी तरह से विकसित योजना नहीं है लेकिन क्षेत्र इस पर अभी काम कर रहा है।
  • यह ग्राहकों की पसंद को भी अवसर देता है कि वे कैसे और किस प्लेटफॉर्म पर क्या देखना चाहते हैं। पारंपरिक प्रसारण का अपना स्थान है और OTT प्लेटफॉर्म जैसे नए विकल्पों के लिये अवसर उपलब्ध होंगे।
  • जैसे DTH ने अपने आगमन के साथ केबल कनेक्शन को पछाड़ दिया, वैसे ही OTT अब DTH को पीछे छोड़ रहा है। यही कारण है कि बहुत सारे DTH सेवा प्रदाता स्वयं को बाज़ार में बनाए रखने के लिये OTT प्लेटफार्मों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
  • उपभोक्ताओं के लिये चैनल पैकेज का विकल्प पेश करने और उनके बिलों को कम करने में सहायता हेतु TRAI एक ‘एप’ विकसित कर रहा है। जिससे ग्राहकों की अधिकतम सहायता के साथ-साथ इस क्षेत्र में आगे और काम किया जा सके क्योंकि ग्राहकों के असंतुष्ट होने और उनकी इच्छाओं की उपेक्षा करने पर कोई भी व्यवसाय सफल नहीं हो सकता।
  • OTT प्लेटफॉर्म DTH सेवा प्रदाताओं से आगे क्यों निकल रहे हैं?
  • जिस सुविधा और आसानी से OTT प्लेटफार्मों को देखा जा सकता है, वे इसे अधिक आकर्षक बनाते हैं। मोबाइल फोन कहीं भी ले जाए जा सकते हैं और यदि डेटा की उपलब्धता हो तो कहीं भी अपने पसंद के कार्यक्रम देख सकते हैं।
  • पिछले कुछ वर्षों में डेटा सेवाओं की लागत में भारी गिरावट आई है जिसने ग्रामीण क्षेत्रों सहित औसत उपयोगकर्त्ताओं की संख्या में वृद्धि की है।
  • DTH में चैनल संयोजन को चुनने की थका देने वाली प्रक्रिया और उच्च टैरिफ की तुलना में OTT प्लेटफॉर्म एक बेहतर विकल्प के रूप में प्रस्तुत होते हैं।
  • इंटरनेट की उपलब्धता और स्मार्टफोन, टैबलेट या लैपटॉप के वहन में आसानी के कारण नेटफ्लिक्स और अमेज़ॅन प्राइम जैसे OTT प्लेटफॉर्म (उनके अपेक्षाकृत महँगे होने के बावजूद) लोगों की माँग व रुचि को प्रदर्शित करते हैं।

क्या OTT प्लेटफॉर्म DTH सेवा प्रदाताओं को पूरी तरह से पीछे छोड़ सकते हैं?

  • जहाँ तक DTH और OTT के बीच संघर्ष या प्रतिस्पर्द्धा का प्रश्न है, हमें याद रखना चाहिये कि ये वे प्रौद्योगिकियाँ हैं जो समान उत्पादों को विभिन्न तरीकों से उपभोग करने की अनुमति देती हैं। यह उचित ही है कि उपभोक्ता के पास यह चुनने का विकल्प हो कि इनमें से कौन से प्लेटफॉर्म उनके लिये अधिक उपयुक्त हैं।
  • OTT द्वारा बाज़ार में DTH को पीछे छोड़ देना विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। उनमें से एक महत्त्वपूर्ण कारक है OTT प्लेटफॉर्मों की इंटरनेट कनेक्शन पर निर्भरता, जो अभी भी समान रूप से वितरित नहीं हैं और भारत के आधे से अधिक लोगों के लिये सुलभ नहीं हैं।
  • मोटे तौर पर भारतीय आबादी का दो-तिहाई हिस्सा सक्रिय रूप से इंटरनेट का उपयोग नहीं करता है जिससे OTT का विकल्प बहुत सीमित हो जाता है। इसलिये OTT द्वारा DTH या केबल कनेक्शन को पीछे छोड़ देने का विचार अभी असामयिक कल्पना भर ही है।
  • यहाँ तक ​​कि DTH ने ही केबल कनेक्शन को पूरी तरह से बाज़ार से बाहर नहीं किया है क्योंकि बाज़ार में अभी भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण सक्रिय खिलाड़ी मौजूद हैं जिन्होंने देश भर में अपने केबल फैला रखे हैं। इसलिये उन्हें निष्क्रीय नहीं माना जा सकता बल्कि वे तो बाज़ार में पुनः अपनी पकड़ बना रहे हैं। उदाहरण के लिये- JIO फाइबर।
  • ऐसे उपकरणों की विविधता को पहचानना आवश्यक है जो उपभोक्ता के लिये अनुकूल हैं।

भारत में OTT प्लेटफॉर्मों का भविष्य

  • निश्चय ही OTT का प्रसार बढ़ेगा। इंटरनेट की पहुँच दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और डिज़िटल इंडिया एवं ब्रॉडबैंड कार्यक्रमों की मदद से वे दूरदराज़ के क्षेत्रों तक पहुँच रहे हैं।
  • सूचना संग्रह में आसानी और इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण कि फोन के प्रति विश्वास यह संकेत देता है कि OTT का आधार और अधिक बढ़ने वाला है।
  • यह सुविधा का प्रश्न है जहाँ OTT प्लेटफार्मों से अधिकाधिक युवाओं के जुड़ने के साथ गुणवत्ता में सुधार लाया जा रहा है। भारतीय युवा इसके सबसे बड़े उपभोक्ता हैं और भारत की ऑनलाइन वीडियो मांग यू.के. और अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए चीन के निकट पहुँच गई है। KPMG रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 2023 तक सभी OTT प्लेटफॉर्मों पर 500 मिलियन से अधिक ग्राहक होंगे।
  • इंटरनेट प्रवाह गति (Streaming Speed) पहले की तुलना में बेहतर हुई है और भविष्य में डिज़िटल इंडिया जैसी योजनाओं के चलते इसमें और सुधार आएगा।

नियामक पहलू

  • OTT को विनियमित करने में चुनौती यह है कि यह इंटरनेट का एक हिस्सा है और इसे वृहत इंटरनेट से अलग करना अत्यंत कठिन है। नियामकों को इस चुनौती का सामना करना पड़ रहा है कि इसे कैसे अलग किया जाए और फिर इसे वृहत इंटरनेट से अलग विनियमित किया जाए, जो की असंभव है।
  • OTT प्रदाता सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 द्वारा नियंत्रित हैं, जहाँ मध्यवर्ती उत्तरदायित्व निहित हैं। इसलिये OTT सेवा प्रदाताओं को उस सामग्री के प्रवेश, संचरण और ग्रहण (Inception, Transmission and Reception) में संलग्न होने की आवश्यकता नहीं है जो उन्हें सामग्री के लिये उत्तरदायी नहीं बनाते हैं।
  • नियामक अब छोटे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो केवल भारतीय संदर्भ में विशिष्ट हैं। हमारी लाइसेंस सेवाएँ अत्यधिक विनियमित हैं, इसलिये मुद्दा विनियमन का नहीं है बल्कि दूरसंचार सेवा के उच्च स्तर के विनियमनों में कमी लाने का है ताकि सभी अपने उपभोग के तरीकों का चयन करने में सशक्त हों।
  • OTT प्लेटफॉर्मों के लिये कंटेंट उपलब्ध होने के बाद उनके प्रबंधन के संबंध में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत स्पष्ट व्यवस्था की गई है।
  • OTT प्लेटफार्मों के लिये अभी कई व्यवस्थाओं के निर्माण की आवश्यकता है।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

  • यह अधिनियम कंप्यूटर, कंप्यूटर सिस्टम, कंप्यूटर नेटवर्क और इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में डेटा एवं सूचना के उपयोग को नियंत्रित करता है।
  • अधिनियम में अन्य बातों के अलावा निम्नलिखित विषयों को अपराध के रूप में सूचीबद्ध किया गया है:
    • कंप्यूटर-सोर्स दस्तावेज़ों के साथ छेड़छाड़।
    • कंप्यूटर सिस्टम की हैकिंग
    • साइबर आतंकवाद, अर्थात देश की एकता, अखंडता, संप्रभुता या सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से एक संरक्षित प्रणाली में घुसपैठ करना।
    • कंप्यूटर संसाधन आदि का उपयोग करके धोखाधड़ी।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79

  • यह कुछ मामलों में मध्यस्थों को उत्तरदायित्व से छूट देता है। इसमें कहा गया है कि मध्यस्थ उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी, डेटा या संचार लिंक के लिये उत्तरदायी नहीं होंगे।

आगे का रास्ता

  • OTT प्लेटफार्मों पर पारदर्शिता का होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, विशेष रूप से एक ऐसे उद्योग के लिये जो इतने अधिक लोगों से संबंधित हो और सीमित विनियमन लागू हों, क्योंकि यह मुख्यतः एक मनोरंजन मंच है और यह आगे उपभोक्ताओं के लिये और विकल्प उपलब्ध कराएगा।
  • समय के साथ सभी पुराने, नए और उभरते मल्टी-मीडिया प्लेटफॉर्मों के बीच सामंजस्य के साथ बाज़ार गतिशीलता पर आधारित एकसमान अवसर का निर्माण होगा, बजाय इसके कि समर्थन, मूल्य निर्धारण और निर्देशों के लिये एक नियामक के माध्यम से इसे बलात लादा जाए।

Monday 4 November 2019

तवांग महोत्सव

हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में तवांग महोत्सव संपन्न हुआ।

तवांग महोत्सव

  • यह अरुणाचल प्रदेश का एक वार्षिक उत्सव है जिसकी शुरुआत वर्ष 2012 में की गई थी।
  • महोत्सव में अरुणाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत जिसमें बौद्ध धर्म से जुड़े कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य, देशी खेल, फिल्में और वृत्तचित्र (Documentaries)आदि का प्रदर्शन किया जाता है।
  • इसकी शुरुआत एक धार्मिक परंपरा सेबंग (Sebung) से की जाती है जिसके अंतर्गत भिक्षुओं को रैलियों के रूप में तवांग मठ से तवांग शहर के उत्सव स्थल तक जाना होता है।
  • महोत्सव का मुख्य आकर्षण याक नृत्य और अजी-लामू नृत्य हैं।

5वाँ भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव-2019

कोलकाता में 4 दिवसीय ( 5 नवंबर से 8 नवंबर) 5वाँ भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव-2019 (Fifth India International Science Festival-2019- IISF) का आयोजन किया जाएगा।

थीम:

वर्ष 2019 के लिये इसकी थीम ‘राइजेन इंडिया’- राष्ट्र को सशक्त बनाता अनुसंधान, नवाचार और विज्ञान (RISEN India- Research, Innovation, Science Empowering the Nation) रखी गई है।

उद्देश्य

  • IISF-2019 का मुख्य उद्देश्य जनसाधारण के बीच विज्ञान के प्रति जागरूकता का प्रसार करना तथा पिछले कुछ वर्षों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत का योगदान और लोगों को इससे प्राप्त लाभों को प्रदर्शित करना है।
  • इसका लक्ष्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में समावेशी विकास हेतु रणनीति तैयार करना है।

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव- 2019

  • भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़े मंत्रालयों एवं विभागों और विज्ञान भारती द्वारा आयोजित यह एक वार्षिक आयोजन है।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार IISF-2019 का समन्वय करने वाली नोडल एजेंसी है।
  • IISF-2019 भारत और विश्व के दूसरे देशों के विद्यार्थियों, नवाचारी, शिल्पकारों, किसानों, वैज्ञानिकों तथा तकनीकविदों का समागम है।
    • इसमें विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों को समायोज़ित किया जाएगा।

महोत्सव के एक मुख्य आकर्षण

  • छात्र विज्ञान गाँव- इसमें देश के विभिन्न हिस्सों के करीब 2500 स्कूली विद्यार्थियों को आमंत्रित किया गया है।
  • युवा वैज्ञानिक सम्मेलन- इस कार्यक्रम में शामिल युवा वैज्ञानिक और शोधकर्त्ता, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों तथा प्रौद्योगिकीविदों से सीधा संवाद कर सकेंगे।
  • विज्ञानिका- इसके अंतर्गत विज्ञान संचार की अनेक विधाओं से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
इसके अलावा महिला वैज्ञानिक एवं उद्यमियों की सभा के अंतर्गत महिलाओं में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता विकास से जुड़े नए अवसरों की खोज की जाएगी।

चवांग कुट महोत्सव

भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में चवांग कुट महोत्सव (Chavang Kut Festival) पारंपरिक उल्लास और उत्साह के साथ मनाया गया।

चवांग कुट महोत्सव के बारे में:

  • यह महोत्सव एंग्लो-कूकी युद्ध की शताब्दी वर्ष का प्रतीक है।
  • चवांग कुट महोत्सव फसल कटाई के उपलक्ष्य में कूकी-चिन-मिज़ो समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
  • यह प्रत्येक वर्ष मणिपुर, मिज़ोरम, असम तथा देश के अन्य हिस्सों में प्रचुर मात्रा में फसल की उपज के लिये कृतज्ञता प्रकट करने हेतु आयोजित किया जाता है।
  • मणिपुर में इस दिन राजकीय अवकाश होता है।
  • मिज़ोरम में इस वर्ष यह महोत्सव तीसरी बार मनाया गया।
  • महोत्सव के दौरान चिन-कूकी-मिज़ो आदिवासी समूह द्वारा पारंपरिक सामाजिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन, पारंपरिक संगीत और भोजन आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

एलिफेंट बाॅण्ड

हाल ही में व्यापार नीति पर सुरजीत एस. भल्ला की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय सलाहकार समूह (High Level Advisory Group- HLAG) ने सरकार को एलिफेंट बाॅण्ड (Elephant Bonds) जारी करने का सुझाव दिया है।

एलिफेंट बाॅण्ड के बारे में:

  • एलिफेंट बाॅण्ड किसी राष्ट्र द्वारा जारी 25 वर्षीय सॉवरेन बाॅण्ड होते हैं।
  • ये बाॅण्ड उन लोगों को जारी किये जाते हैं जो अपनी पहले से अघोषित आय को घोषित करते हैं।
  • बाॅण्ड ग्राहक अपनी अघोषित आय का 40% एलिफेंट बाॅण्ड में निवेश करेंगे तथा उन्हें एक निश्चित कूपन प्रतिभूति (Fixed Coupon Security) जारी की जाएगी।

HLAG के बारे में:

  • HLAG को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के तहत स्थापित किया गया था।

सुझाव:

  • उच्च-स्तरीय व्यापार पैनल का अनुमान है कि इससे भारत के विदेशों में जमा काले धन का लगभग 500 बिलियन डॉलर तक प्राप्त किया जा सकता है।
  • इससे वास्तविक ब्याज दर में भारी कमी आएगी तथा रुपए को मज़बूती प्रदान करने में भी सहायता मिलेगी।
  • इन बाॅण्ड से प्राप्त राशि का उपयोग बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये किया जा सकेगा।
  • इसके अलावा बाॅण्ड से प्राप्त राशि का 45% जमाकर्त्ता के पास जमा की जाएगी तथा शेष 15% राशि सरकार द्वारा कर के रूप में वसूली जाएगी।
  • आय घोषित करने वालों को “विदेशी मुद्रा, काले धन कानूनों (Foreign Exchange, Black Money Laws) और कराधान कानूनों सहित सभी कानूनों से प्रतिरक्षा प्राप्त होगी।
  • अघोषित संपत्ति वाले लोग केवल 15 प्रतिशत कर का भुगतान करेंगे और एलिफेंट बाॅण्ड के प्रावधानों के तहत उनके लिये कोई दंड नहीं होगा।
  • इंडोनेशिया, पाकिस्तान, अर्जेंटीना और फिलीपींस जैसे देशों ने भी बिना किसी दंड के जोखिम के अघोषित आय का खुलासा करने वाले व्यक्तियों के लिये कर माफी योजनाएँ शुरू की हैं।

REDD+ हिमालय’ परियोजना

चर्चा में क्यों?

हिमालयी राज्यों के लिये चलाए जा रहे निर्वनीकरण एवं वन निम्नीकरण से होने वाले उत्सर्जन में कटौती (Reducing Emissions from Deforestation and Forest Degradation-REDD+) परियोजना के क्रियान्वयन की अवधि को जुलाई 2020 तक के लिये बढ़ा दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • REDD+ परियोजना का कार्यान्वयन एकीकृत पर्वतीय विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (International Centre for Integrated Mountain Development-ICIMOD) एवं भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (Indian Council of Forestry Research and Education- ICFRE) द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जा रहा है।
  • इसके शुरुआत वर्ष 2016 में मिज़ोरम राज्य से की गई। इसे हिमालयी राज्यों में निर्वनीकरण एवं वन निम्नीकरण हेतु उत्तरदायी कारकों के विषय में कार्यवाही करने के लिये शुरू किया गया था।
  • हालाँकि इस कार्यक्रम की समय सीमा वर्ष 2018 में समाप्त हो गई थी परंतु इसके महत्त्व तथा योगदान को देखते हुए इस अवधि को जुलाई 2020 तक बढ़ा दिया गया है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्षमता निर्माण करना है। हिमालय क्षेत्र में स्थानीय समुदाय ईंधन और आजीविका के लिये वनों पर निर्भर रहते हैं। स्थानीय समुदायों के वनों पर रहने के कारण निर्वनीकरण एवं वन निम्नीकरण को बढ़ावा मिलता है।
    • इस कार्यक्रम के तहत स्थानीय लोगों को उच्च क्षमता के स्टोव उपलब्ध करवाकर ईंधन के लिये वनों पर उनकी निर्भरता को कम किया गया।
    • बाँस रोपण व कॉफ़ी बागानों के साझाकरण के द्वारा आजीविका के वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध कराए गए।
    • इस क्षेत्र के हल्दी उत्पादक किसानों को हल्दी को सुखाने और उसके प्रसंस्करण के लिये सोलर ड्रायर उपलब्ध करवाए गए हैं।

‘REDD+ हिमालय’ कार्यक्रम

  • वर्ष 2013 में ICIMOD द्वारा ‘REDD+ हिमालय’ कार्यक्रम भूटान, नेपाल, भारत, म्याँमार शुरू किया गया।
  • इसका उद्देश्य REDD+ का समर्थन करना है।
  • यह परियोजना जर्मनी के पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण और परमाणु सुरक्षा मंत्रालय द्वारा समर्थित है।
  • REDD+ कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2005 में विकासशील देशों में वन प्रबंधन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिये शुरू किया गया था।

एकीकृत पर्वतीय विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र

(International Centre for Integrated Mountain Development-ICIMOD)

  • ICIMOD एक स्‍वतंत्र पर्वत शिक्षा और ज्ञान केंद्र है, जो हिंदुकुश-हिमालय (Hindu-kush Himalaya- HKH) क्षेत्र के आठ देशों- अफगानिस्‍तान, बांग्‍लादेश, भूटान, चीन, भारत, म्याँमार, नेपाल एवं पाकिस्‍तान तथा वैश्विक पर्वतीय समूह को अपनी सेवाएँ देता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1983 में की गई थी तथा इसका मुख्यालय काठमांडू (नेपाल) में है।
  • यह संस्‍था अंतरसरकारी, परंतु स्‍वतंत्र संगठन है।

उद्देश्य

  • इसका उद्देश्‍य विस्‍तृत हिमालयी क्षेत्र में आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से सशक्‍त पर्वतीय पारिस्‍थतिकी का निर्माण करना तथा पर्वतवासियों की जीवन-दशा को सुधारना है।
  • इसने आठों क्षेत्रीय सदस्‍य देशों और क्षेत्र के भीतर या बाहर की संस्‍थाओं के साथ साझेदारी विकसित की है।

लक्ष्य

  • ICIMOD का लक्ष्‍य पर्वतवासियों को मौजूदा पर्यावरणीय परिवर्तनों के बारे में समझाना, इसके लिये उन्‍हें तैयार करना और नई क्षमताओं का सृजन करना है।
  • इसके कार्यों का रणनीतिक क्षेत्र इस प्रकार है-
  1. एकीकृत जल और अपशिष्‍ट प्रबंधन
  2.  
  3. पर्यावरणीय परिवर्तन और पारिस्थि‍तिकीय सेवाएँ
  4.  
स्‍थायी जीवनयापन और गरीबी निवारण

    ICIMOD के क्षेत्रीय कार्यक्रम

    Thematic core compelencies

    हिंदुकुश हिमालय क्षेत्र

    (Hindu Kush Himalayan Region)

  1. हिंदू कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र पश्चिम में अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में म्याँमार तक आठ देशों के सभी भागों या लगभग 3,500 किमी. से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है।
  2. यह क्षेत्र एशिया की दस बड़ी नदी प्रणालियों- आमू दरिया, सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, इरावदी, सल्वेन (नू), मेकांग (लंकांग), यांग्त्से (जिंशा), येलो रिवर (ह्वांग) और तरिम का स्रोत है। इन नदियों की घाटियों से 1.9 बिलियन लोगों को जलापूर्ति होती है जो दुनिया की कुल आबादी का एक चौथाई हिस्सा है।
  3. यह क्षेत्र में लगभग 240 मिलियन लोगों की आबादी के लिये जल, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ और आजीविका का आधार प्रदान करता है।