नासा का वॉयजर-2 अंतरिक्षयान
NASA’s Voyager 2 spacecraft
नासा का वॉयजर-2 अंतरिक्षयान सौरमंडल की परिधि (Heliosphere ) के बाहर इंटरस्टेलर क्षेत्र (Interstellar Space) में पहुँचने वाला दूसरा यान बन गया है।
वॉयजर-2
- वॉयजर-2 को 20 अगस्त, 1977 को लाॅन्च किया गया था तथा इसके 16 दिन बाद 5 सितंबर, 1977 को वॉयजर-1 लांच किया गया था।
- अंतरिक्षयान पर लगे प्लाज़्मा तरंग यंत्र पर प्लाज़्मा घनत्व की रीडिंग के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि वॉयजर-2 ने 5 नवंबर, 2018 को इंटरस्टेलर क्षेत्र में प्रवेश किया था।
- वैज्ञानिकों के अनुसार प्लाज़्मा का बढ़ा हुआ घनत्व इस बात की पुष्टि करता है कि अंतरिक्षयान सौर हवाओं के गर्म और कम घनत्व वाले प्लाज़्मा के घेरे से बाहर निकलते हुए ठंडे एवं अधिक प्लाज़्मा घनत्व वाले इंटरस्टेलर स्पेस में सफर कर रहा है।
- वॉयजर-2 से मिले प्लाज़्मा घनत्व के आँकड़े वॉयजर-1 के घनत्व के आँकड़ों से मिलते हैं
- वॉयजर-2 से पहले नासा का ही वॉयजर-1 इस सीमा के पार पहुँचा था।
- वायेजर-1 के बाद वॉयजर-2 इंटरस्टेलर क्षेत्र में पहुँचने वाला दूसरा मानव निर्मित अंतरिक्षयान बन गया है।
- वॉयजर-2 और वॉयजर-1 के इंटरस्टेलर क्षेत्र में पहुँचने पर यह ज्ञात हुआ है कि इस क्षेत्र में सौर हवाओं कि एक मज़बूत सीमा बनी हुई है।
- वॉयजर-1 और वॉयजर-2 ने अलग-अलग पथ से होते हुए सूर्य से लगभग बराबर दूरी पर इंटरस्टेलर क्षेत्र में प्रवेश किया।
- इससे पता चलता है कि हेलियोस्फेयर का आकार सममित (Symmetric) है।
हेलियोस्फेयर और इंटरस्टेलर
- सूर्य से बाहर की ओर बहने वाली हवाओं से सौरमंडल के चारों ओर एक बुलबुले जैसा घेरा बना हुआ है। इस घेरे को हेलियोस्फेयर और इसकी सीमा से बाहर के क्षेत्र को इंटरस्टेलर कहा जाता है।
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