Wednesday 20 July 2016

वो न आएगें पलट्कर...............



बालीवुड की मशहूर गायिका मुबारक बेगम शेख का ८० वर्ष की आयु में उनके मुंबई में जोगेश्वरी स्थित घर में निधन हो गया। राजस्थान के झुंझनु जिले में अपने ननिहाल में जन्मी मुबारक बेगम शेख ने बचपन से आर्थिक तंगी का सामना करना पडा, परन्तु उनकी खुश्किस्मती थी कि उनके पिता को संगीत से गहरा लगाव था।
मुबारक बेगम के दादाजी अहमदाबाद में चाय बेचते थे। जब मुबारक बेगम छोटी थी तभी उनके माता-पिता भी अहमदाबाद शिफ्ट हो गये। वहां उन्होने फल बेचने का काम शुरू कर दिया। इसके बाद मुबारक बेगम के माता-पिता अपने परिवार को मुंबई ले आए।
सन १९४६ के दौर में जब बालीवुड में नूरजहां और सुरैया की आवाज का जादू चल रहा था। मुबारक बेगम भी इनके गानों को बडी शौक से गुनगुनाया करती थी। मुबारक बेगम के पिता ने इनके हुनर को भांप लिया और संगीत की विधिवत तालीम के लिए किराना घराने के उस्ताद रियाजुद्दीन खां और उस्ताद समद खां के पास भेजा। इसी दौरान मुबारक बेगम को आल इंडिया रेडियो के लिए आडिशन देने का मौका मिला। संगीतकार अजलीत मर्चेंट ने उनका आडीशन लिया। इस तरह मुबारक बेगम के करियर की शुरुआत हुई, और वो घर-घर में पहचानी जाने लगीं। यहीं से बालीवुड के दरवाजे उनके लिए खुले।
सन १९४९ में रिलीज फिल्म आईये का मशहूर गीत  ’मोहे आने लगी अंगडाई आजा आजा’ उनका पहला गीत रहा जो बहुत यादगार रहा। सन १९८० में रिलीज फ़िल्म रामू तो दीवाना है में उन्होने ’सांवरिया तेरी याद में’ गीत गाया जो उनके अंतिम गीतों में से एक है।
सुरों की धनी मुबारक बेगम के अंतिम दिन इतने आर्थिक संकट में बीते कि उनके परिवार को उनके इलाज कराने के लिये भी अत्यधिक कठिनाईयों का सामना करना पडा । वे जोगेश्वरी इलाके में अपने ड्राइवर बेटे और बहू के साथ एक कमरे के मकान में रह रहीं थी। 
ये दशा सिर्फ मुबारक बेगम की ही नहीं हुई पहले भी ऎसे कई कलाकआर हुए हैं जिन्होने अपनी जिन्दगी के आखिरी दिन गुमनामी और आर्थिक तंगी में बिताए। मुझे लगता है कि सरकार को एक ऎसा कोष बनाना चाहिये जो इस प्रकार से आर्थिक तंगी और गुमनामी में जिन्दगी बिता रहे कलाकारों की मदद करे।

Tuesday 19 July 2016

आया सावन झूम के..............



पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश को देखकर मैंने सोचा कि कुछ बारिश के बारे में ही लिखा जाए। दोस्तों बारिश के बारे में आप लोग के विचारों के बारे में मुझे ग्यान नहीं है पर मुझे तो बारिश का मौसम बेहद पसंद है। गर्मी के बाद बारिश की वजह से मौसम में आई ठंड्क किसी एनर्जी ड्रिंक की तरह काम करती है। इस साल गर्मी में सूखा पडने के कारण बारिश किसानों के लिऎ बहुत राहत देने वाली है।

     वैसे जुलाई में स्कूल भी शुरू होते हैं। मुझे बचपन में हमेशा इसी बात का इंतजार रहता था कि काश स्कूल जाने के समय में ही बारिश हो और मुझे छाता लगाकर स्कूल जाने का मौका मिले। सड्क के गड्ढों में भरे पानी में कूदने में जो मजा मिलता था वो दुनिया के किसी खेल में नहीं मिलता था। घर पर मां के हाथ के बने हुए गुड और बेसन के चीले आज के पिज्जा बर्गर से कहीं ज्यादा स्वादिष्ट होते थे।
     ये तो बचपन की बात हो गई पर आज भी छुट्टी के दिन अगर बारिश हो रही हो तो मुझे बिना कुछ किये घर पर दिन भर आलसियों की तरह पडे रहना बहुत अच्छा लगता है। गीली मिट्टी की खुशबू, बारिश की आवाज और खिडकी में बैठकर बाहर बारिश को देखना I Love these things  बरिश रुकने के बाद खुला और साफ आसमान काफी खूबसूरत दिखाई देता है। अगर आप किसी पहाडी क्षेत्र में रहते हैं तो इस मौसम की खूबसूरती को आप करीब से देख सकते हैं। डिण्डौरी आने के पहले मैने बादलों कॊ इतना नीचे कभी नहीं देखा था। जगह जगह बरिश के पानी से छोटे-छोटे झरने बन जाते हैं।
     मुझे लगता है कि सोने के लिये ये सबसे अच्छा मौसम है। बरिश कीवजह से हल्की हल्की ठंड्क होने के कारण मुझे खुद को कवर कर के दिन भर बिस्तर में पडे रहना और अपनी पसंद की चीजें करना बहुत पसंद है। जैसे अपने दोस्तों से चैट करना, अपनी पसंद की किताबें पड्ना टीवी देखना और सबसे जरूरी चीज अपने परिवार के समय बिताना।
      बारिश की बात हो और चाय पकोडे की बात न हो ऎसा तो हो ही नहीं सकता है। गर्मागरम चाय और पकोडों का असली मजा बारिश के मौसम में ही आता है। जरा सोचिऎ जभ आप बारिश में भीगकर कांपते हुए घर वापस आते हैं तो गर्मागरम चाय/काफी का एक घूंट आपके पूरे शरीर में गर्मी भर देता है। शायद मैंने कुछ ज्यादा ही नाट्कीय ढंग से इसका वर्णन किय़ा है पर मुझे लगता है कि आप समझ गए होगें कि मैं क्या कहना चाहती हूं।

     मैने अक्सर लोगों को यह कहते सुना है कि बरिश में पूरा दिन खराब हो गया, कही बाहर नहीं जा सके। मैं उन लोगों को ये कहना चाहती हूं कि बारिश ने आपको अपनों के साथ समय बिताने का मौका दिया है। आपको कुछ पल ऎसे दिये हैं जिनमें आप अपने लिये जियें। जिन्दगी की भाग दौड में हम जीना ही भूल जाते हैं। बस भागते रह्ते हैं। बारिश ने आपको फुरसत के वो लम्हे दिये हैं जिनमें आप थमकर सोच सकते हैं अपनी पसंद की चीजें कर सकते हैं जॊ इस भागदौड भरी जिन्दगी में हमारे रिज्यूम और सोशल नेटवर्किंग साईट के होबीज वाले कालम मे सिमटकर रह गई हैं।

Tuesday 21 June 2016

inspiration: सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग

inspiration: सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग: हम सब एक ऐसे देश में रहते हैं जहां राजनीति और धर्म से ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका होती है समाज की, और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं समाज ...

Friday 17 June 2016

सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग

हम सब एक ऐसे देश में रहते हैं जहां राजनीति और धर्म से ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका होती है समाज की, और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं समाज के वो लोग जिनसे हर कोई डरता है। कोई भी काम करने के पहले ही मन में ये डर होता है कि लोग क्या कहेंगे? आखिर कौन हैं ये लोग जो हमारे जिन्दगी के लिए इतने महत्वपूर्ण हैं।
हरकोई अपनी जिन्दगी में कभी न कभी इस सवाल का सामना जरूर करता है कि लोग क्या कहेंगे।
किसी दूसरे जाती के लड़के या लड़की से शादी, अपनी ही जाति में प्रेमविवाह, समाज के द्वारा निर्धारित उम्र (१८ से २५) में शादी न होना, सिंगल रहने का फैसला, लिव इन रिलेशनसिप में रहना, शादी से परेशान होकर तलाक लेना, किसी लड़की का देर तक काम करना, अपनी मर्जी के कपड़े पहनना, अपनी रुचि के हिसाब से कोई अलग करियर चुनना और भी ऐसे कई कारण हैं जिनके बाद अपने परिवार, पड़ौसियो, रिश्तेदार और कई बार दोस्तों के सवालों का सामना करना पड़ता है।
ये सब तो हमारे अपने हैं पर कई बार तो राह चलते हुए लोग भी जिन्हें हम जानते तक नहीं हैं हमारे पहनावे, हमारे बोलने और चलने पर सवाल उठाते हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है कि हम लोग खुद उन अनजान लोगों की चिंता करते हैं कि लोग क्या कहेंगे।
इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है हम तो बचपन से ही दूसरों के बारे में सोच कर बड़े होते हैं लोगों के बोलने के डर से अपने चारों तरफ एक घेरा खुद ही बना लेते हैं। हर चीज़ को नाप तौलकर करते हैं। अगर ज्यादा हँसो तो लोग पागल कहेंगे, अगर किसी के सामने रो पड़े तो नौटंकी, कम बात करो तो घमन्डी, ज्यादा बात करो तो पकाऊ, अगर आज के फैशन के हिसाब से सज संवरकर निकलो तो अल्ट्रा माडर्न अगर फैशन का खयाल न रखें तो गंवार।
कुछ दिनों पहले मैंने एक कहानी पढ़ी उसे मैं आप लोगों से बांटना चाहती हूँ एक बार एक आदमी अपनी पत्नी के साथ घोड़े पर सवार होकर कहीं जा रहा था वो थोड़ी ही दूर निकले थे कि कुछ लोग उन्हें देखकर बोले कि दो दो लोग एक बेजुबान जानवर पर बैठकर जा रहे हैं कितने निर्दयी लोग हैं यह सुनकर वह आदमी घोड़े से उतरकर पैदल चलने लगा। आगे चलकर उन्हें कुछ औरतें मिली जो उसकी पत्नी को घोड़े पर बैठा देखकर बोली कि कैसी पत्नी है खुद आराम से घोड़े पर बैठी है और पति पैदल चल रहा है यह सुनकर पत्नी घोड़े से उतरकर पैदल चलने लगी और पति को घोड़े पर बिठाया। आगे चलकर फिर कुछ लोग मिले और बोले कि बेचारी पत्नी पैदल जा रही है और पति घोड़े पर बैठा है कैसा आदमी है यह सुनकर पति और पत्नी दोनों ही पैदल चलने लगे। यह देखकर लोगों ने उनका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया कि कितने बेबकूफ लोग हैं घोड़ा साथ में है फिर भी पैदल जा रहे हैं
लोग तो कुछ न कुछ कहते ही रहते हैं हम क्यों अपनी जिंदगी के अहम फैसले ऐसे लोगों से डर कर लेते हैं।
सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात तो यह है कि जब कोई किसी की सरेआम बेज्जती करता है, कोई किसी लड़की को परेशान करता है उसके ऊपर भद्दे कमेन्ट करता है, शराब के नशे में अपनी पत्नी को पीटता है, दहेज के नाम पर लड़कियो को प्रताड़ित करता है, छोटे छोटे बच्चों से भीख मंगवाते हैं, बालश्रम कराते हैं, बाल विवाह कराते हैं, रिश्वत मांगते हैं तब हमारे समाज के वो महत्वपूर्ण लोग कहां छिप जाते हैं जिन्हें दूसरों की जिन्दगी पर सवाल उठाने का जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त है।
आखिर क्यों लोग कुछ नहीं कहते जब उनका बोलना जरूरी होता है।
गलत करने वालों को समाज का डर नहीं लगता और हम लोग कुछ अच्छा करने के पहले भी ये सोचते हैं कि लोग क्या कहेंगे ????????

Friday 3 June 2016

हौसलों की उड़ान और गरीबी का पिजडा

मध्यप्रदेश के रीवा जिले की १५ साल की लड़की सीता साहू ने वर्ष २०११ में एथेस ओलंपिक में दो कान्स्य जीते।उसने २००मी और १६०० मीटर की दौड़ में ये पदक जीते। जब टीम एथेन्स के लिए रवाना हो रही थी तब सरकार द्वारा घोषणा की गई थी कि स्वर्ण पदक जीतने वाले को एक लाख रुपये, रजत पदक जीतने वाले को पचहत्तर हजार रुपये व कान्स्य पदक जीतने वाले को पचास हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा। सीता साहू के दो पदक जीतने के बाद सरकार अपना किया वादा भूल गई। सीता के पिता एक चाट की दुकान चलाते हैं। पिछले दिनों उनके बीमार हो जाने के कारण सीता गोलगप्पे बेचने को मजबूर हो गई। इस कारण से उसका स्कूल जाना भी नहीं हो सका। आर्थिक तंगी से मजबूर हो कर सीता ने अपना हक पाने के लिये सरकार से गुहार लगाई। देर से ही सही पर सरकार हरकत में आई । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सीता साहूको एक लाख रुपए देने की घोषणा की है साथ ही केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन की ओर से ५ लाख रुपए और एक मकान देने की घोषणा की है। सीता को पड़ाई के साथ साथ खेलने का भी शौक है। वह आगे भी खेलकर देश का नाम रोशन करना चाहती है। आर्थिक मदद मिलने से वह एक बार फिर अपने सपनों को पूरा करने हौसलों की उड़ान भर सकेगी।

Tuesday 17 May 2016

A-Frog -story


A-Frog -story
Put a frog into a vessel fill with water and start heating the water.
As the temperature of the water begins to rise, the frog adjust its body temperature accordingly.
The frog keeps adjusting its body temperature with the increasing temperature of the water. Just when the water is about to reach boiling point, the frog cannot adjust anymore. At this point the frog decides to jump out.
The frog tries to jump but it is unable to do so because it has lost all its strength in adjusting with the rising water temperature.
Very soon the frog dies.
What killed the frog?
Think about it!
I know many of us will say the boiling water. But the truth about what killed the frog was its own inability to decide when to jump out.
We all need to adjust with people & situations, but we need to be sure when we need to adjust & when we need to move on. There are times when we need to face the situation and take appropriate actions.
If we allow people to exploit us
physically, emotionally, financially, spiritually or mentally they will continue to do so.
Let us decide when to jump!
Let's jump while we still have the strength.

Saturday 7 May 2016

Move on..... Is it really easy???

My dear readers’ one of my friend suggested me to write about love and relationships. So here i am trying to write something about move on from your past life.  
Guys i think move on is just a matter of putting your past behind us. I will be honest to you Moving on isn't easy. Just forget about the past, think about your future. Keep yourself busy in other things. NOT so easy but it's not a rocket science.
While these do help in some way, No matter how i tried to push away the past, the past hung their like a shroud, affecting the way you thought about yourself ur decisions and ur life
 Ultimately, there were past baggages to clear and subconscious, before I could really move on. All these require an ability to think consciously and to maintain a level of objectivity, which is hard because such matters are usually linked to deep sorrows and injured pride.
We think most of the time we can get out of it but thinking about move on and actually move on are two different things. Because in your farmer life you was living in shadow of your loved one’s
 It doesn’t really matter what the circumstances were, or who was right and who was wrong. The bottom line is that it hurts and that the pain is preventing you from moving forward. While time is the best healer, there are 8 concrete steps you can take that will facilitate the process:

1. Make the decision to let it go:- 
Making the decision to let it go also means accepting you have a choice to let it go. To stop reliving the past pain, to stop going over the details of the story in your head every time you think of the other person

2. Cut off contacts;- 
Do this at least for a little while. No, you do not need to be friends. Keeping an ex in your life is not by itself a sign of maturity; knowing how to take care of yourself and your emotional well-being 

3. Talk to your friends:-
You don’t have to go through this alone. Your friends are there for a reason, to help you, support you, and pull you through this period.

4. Love yourself more:-
Ultimately, moving on from a relationship that wasn’t working is about loving yourself.

5. Do the things you love:-
While spending time in your internal world is important, don’t linger too long in this stage. Get into some activities. What are the things  that excite you, enthuse you, make you feel rejuvenated? Engage yourself in them.

6. Meet new people:-
There are many great people to know out there. Don’t get cooped up with your life.

7. Stop being the victim and blaming others:-
Being the victim feels good — it’s like being on the winning team of you against the world. But guess what? The world largely doesn’t care, so you need to get over yourself

8. Focus on the present — the here and now — and joy:-
When you focus on the here and now, you have less time to think about the past


We need relationships with others to see ourselves more clearly. Every relationship we have reflects back to us what we are putting out into the world. Know that a relationship isn’t a failure just because it ended. If you grew as a person and learned something to move your life forward, then it served a purpose and was truly a success

बहुत विकट जल संकट !!!!!

जल हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। संसार में रहने वाले सभी जीवों के जीवन के लिए जल एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है। वर्तमान में भारत में सूखे की स्थिति के समाचार सभी न्यूज चैनलों और अखबारों के लिये ब्रेकिंग न्यूज बनी हुई है। यह जल संकट एक संकेत है कि आने वाले भविष्य में परिस्थितियां और भयावह होने वाली है।
मेरे मन में इस जल संकट को लेकर एक विडम्बना है । वैग्य़ानिकॊं का कहना है कि हिमालयी ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। अगर ये पिघल रहें हैं तो इनसे निकलने वाली नदियॊं और नहरों का जल स्तर क्यूं नहीं बड रहा है। कहा जाता है कि कुल स्वच्छ पानी का ७०% भाग खेती में उपयॊग होता है जबकि देश में खेती योग्य भूमि लगातार कम होती जा रही है तॊ वहां जो पानी का उपयोग होता था वह पानी कहां गया। हां देश की आबादी बड रही है शायद मेरे सवाल का यही उत्तर वर्तमान में मुझे समझ आ रहा  है
कहा जाता है कि प्रुथ्वी के अधिकांश भाग पर समुद्र फैले हुए हैं। परन्तु हमारी प्रथ्वी का ९७% जल पीने योग्य नही है। समुद्र में गर्मी की वजह से बारिश होती है। बरसात के पानी से हमारे देश मे खेतों की सिंचाई होती है बरसात के पानी से कुऎ एवं तालाबॊं में पानी आता है। पहाडी क्षेत्रों मे बरसात वर्फ के रूप में होती है जिससे ग्लेशियरॊं का निर्माण होता है। इन ग्लेशियरॊं के पिघलने से ही नदियॊं में वर्ष भर पानी रहता है। यानी अगर हम बरसात के पानी को सहेजना सीख जाए तो इस जल संकट से कुछ हद तक निपटा जा सकता है।
हमारी सरकारें इस दिशा में काम तो कर रही है पर उनके प्रयास सुद्रण कार्ययोजना के अभाव में सफल नही हो पा रहीं हैं और केवल समय और पैसे की बरबादी हो रही है।
यदि जल संकट से उबरने के लिये उचित प्रयास नही किये गये  एवं लोगों ने जल के महत्व को नही समझा तो वह दिन दूर नहीं है जब तीसरा विश्वयुद्ध पानी कॊ लेकर लडा जायेगा।

यदि जल नहीं होगा तो हमारा कल नहीं होगा।

Thursday 5 May 2016

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MegaTypers

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Wednesday 4 May 2016

आम कितने खास


आम का मौसम आते ही उन लोगों के चेहरे खिल जाते हैं जो साल भर इस मौसम का इन्तजार करते हैं। अगर कोइ मुझसे पूछे कि मुझे कैसे आम पसन्द हैं तो मेरा जवाब तो एक ही होगा कि आम कोई भी हो बस मीठे हो और बहुत सारे हों। आम हमारा राष्ट्रीय फल है। दुनिया में सबसे ज्यादा आम भारत में होते हैं। भारत आमों का सबसे बडा निर्यातक देश भी है।
आम का नाम आम जरूर है पर यह कितना खास है इसके बारे में इसके किसी शौकीन से पूछकर देखिए। आम के शौकीन लोगों मे एक नाम गालिब का भी है वे कहा करते थे कि
 "आम की बहार आ गई कि गालिब जवां हो गए।"
बचपन से ही सुनते आए हैं कि "आम फलों का राजा है" मन में हमेशा सवाल उठा कि आम ही राजा क्यूं पपीता या अनार क्यूं नहीं??
कहा जाता है कि मुगल बादशाह अकबर आम के बहुत शौकीन थे। उन्होने अपने राज्य मे १० लाख आम के पेड लगाने का आदेश दिया था। लाल किले में भी आम का बगीचा हुआ करता था। बाद्शाहों की सोहबत के कारण ही शायद आम को फलों का राजा कहा जाता है।
बाजारों मे आम की कई किस्में आती हैं हर आम के नाम की अपनी अलग-अलग कहानियां हैं ऎसी ही एक कहानी लंगडा आम के बारे में सुनी कहा जाता है कि बनारस के शिवमंदिर में एक साधु आकर ठहरा । उसने वहां आम का एक पेड लगाया। जब वह पेड बडा हुआ और उसमें मंजरी आई तो साधु ने कहा कि इसके फल भगवान शिव को चढाना और प्रसाद के रूप में लोगों को बांट देना। उस आम के स्वाद के कारण लोगॊं की भीड लगने लगी। जब बात राजा तक पहुची तो राजा ने आम की कलम मांगी। पुजारी ने उनकी इच्छा का सम्मान करने टोकरी में आम लेकर दरबार में गया। पुजारी ने आम की कई कलम राजा के बाग में लगा दी। जिससे आम का सुंदर बगीचा तैयार हो गया। यह बगीचा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय कॊ घेरे हुये है। पुजारी के पैर में तकलीफ थी तो वो लंगडा कर चलता था। इसलिये उसका नाम लंगडा आम पड गया।
दशहरी आम का सफर काकोरी के पास एक गांव से शुरू हुआ उस गांव का नाम ही दशहरी है।
चौसा आम हरदोई जिले के चौसा गांव से निकला है।
अलफांसो आम महाराष्ट्र में होता है आम फलॊं का राजा है और अलफांसो आमों का राजा है। इसे गुंडुखादेर,हाफुस और कगडी के नाम से भी जाना जाता है ।
नीलम आम तमिलनाडु में पैदा होने वाली किस्म है।
तोतापरी आम मुख्यरूप से आंध्रप्रदेश में होता है। इसकी खास तरह की नुकीली शक्ल से इसे आसानी से पहचाना जा सकता है।
आम एक ऎसा फल है जिसकी रेसिपी पर कई किताबें लिखी जा सकती हैं। मेरी कुछ पसंदीदा आम की चट्नी, मेंगोशेक, आमपना, आम का मुरब्बा, आम का अचार, लिखते लिखते ही मेरे मुंह में पानी आ जाता है।
आम सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत की द्रष्टि से भी महत्वपूर्ण है। गर्मी में आम का पना पीने से लू नहीं लगती है। अगर आपका वजन सामान्य से कम है तो मेंगोशेक पीकर वजन भी बडाया जा सकता है।

इसलिये कहती हूं आम खाइये और आम की चिंता कीजिये।

स्त्री क्या है ?

स्त्री क्या है ?
जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया  आज छठा दिन था और स्त्री की रचना अभी भी अधूरी थी।
इसिलए देवदूत ने पूछा भगवन्, आप इसमें इतना समय क्यों ले रहे हो...?
भगवान ने जवाब दिया, "क्या तूने इसके सारे गुणधर्म (specifications) देखे हैं, जो इसकी रचना के लिए जरूरी है ?
. यह हर प्रकार की परिस्थितियों को संभाल सकती है
. यह एक साथ अपने सभी बच्चों को संभाल सकती है एवं खुश रख सकती है 
. यह अपने प्यार से घुटनों की खरोंच से लेकर टूटे हुये दिल के घाव भी भर सकती है 
. यह सब सिर्फ अपने दो हाथों से कर सकती है
. इस में सबसे बड़ा "गुणधर्म" यह है कि बीमार होने पर भी अपना ख्याल खुद रख सकती है एवं 18 घंटे काम भी कर सकती है।

देवदूत चकित रह गया और आश्चर्य से पूछा-
"
भगवान ! क्या यह सब दो हाथों से कर पाना संभव है ?"
भगवान ने कहा यह स्टैंडर्ड रचना है
(
यह गुणधर्म सभी में है 
)
देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री को हाथ लगाया और कहा, "भगवान यह तो बहुत नाज़ुक है"
भगवान ने कहा हाँ यह बहुत ही नाज़ुक है, मगर इसे बहुत Strong बनाया है 
इसमें हर परिस्थितियों को संभालने की ताकत है

देवदूत ने पूछा क्या यह सोच भी सकती है ??
भगवान ने कहा यह सोच भी सकती है और मजबूत हो कर मुकाबला भी कर सकती है।
देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री के गालों को हाथ लगाया और बोला, "भगवान ये तो गीले हैं। लगता है इसमें से लिकेज हो रहा है।"
भगवान बोले, "यह लीकेज नहीं है, यह इसके आँसू हैं।"
देवदूत: आँसू किस लिए ??
भगवान बोले : यह भी इसकी ताकत हैं  आँसू इसको फरीयाद करने एवं प्यार जताने एवं अपना अकेलापन दूर करने का तरीका है
देवदूत: भगवान आपकी रचना अदभुत है  आपने सब कुछ सोच कर बनाया है, आप महान है
भगवान बोले-
यह स्त्री रूपी रचना अदभुत है  यही हर पुरुष की ताकत है जो उसे प्रोत्साहित करती है। वह सभी को खुश देखकर खुश रहतीँ है। हर परिस्थिति में हंसती रहती है  उसे जो चाहिए वह लड़ कर भी ले सकती है। उसके प्यार में कोइ शर्त नहीं है (Her love is unconditional) उसका दिल टूट जाता है जब अपने ही उसे धोखा दे देते है  मगर हर परिस्थितियों से समझौता करना भी जानती है।
देवदूत: भगवान आपकी रचना संपूर्ण है।
भगवान बोले ना, अभी इसमें एक त्रुटि है
"
यह अपनी "महत्वत्ता" भूल जाती है
"
(" She often forgets what she is worth".) 
एक विद