Tuesday 21 June 2016

inspiration: सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग

inspiration: सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग: हम सब एक ऐसे देश में रहते हैं जहां राजनीति और धर्म से ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका होती है समाज की, और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं समाज ...

Friday 17 June 2016

सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग

हम सब एक ऐसे देश में रहते हैं जहां राजनीति और धर्म से ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका होती है समाज की, और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं समाज के वो लोग जिनसे हर कोई डरता है। कोई भी काम करने के पहले ही मन में ये डर होता है कि लोग क्या कहेंगे? आखिर कौन हैं ये लोग जो हमारे जिन्दगी के लिए इतने महत्वपूर्ण हैं।
हरकोई अपनी जिन्दगी में कभी न कभी इस सवाल का सामना जरूर करता है कि लोग क्या कहेंगे।
किसी दूसरे जाती के लड़के या लड़की से शादी, अपनी ही जाति में प्रेमविवाह, समाज के द्वारा निर्धारित उम्र (१८ से २५) में शादी न होना, सिंगल रहने का फैसला, लिव इन रिलेशनसिप में रहना, शादी से परेशान होकर तलाक लेना, किसी लड़की का देर तक काम करना, अपनी मर्जी के कपड़े पहनना, अपनी रुचि के हिसाब से कोई अलग करियर चुनना और भी ऐसे कई कारण हैं जिनके बाद अपने परिवार, पड़ौसियो, रिश्तेदार और कई बार दोस्तों के सवालों का सामना करना पड़ता है।
ये सब तो हमारे अपने हैं पर कई बार तो राह चलते हुए लोग भी जिन्हें हम जानते तक नहीं हैं हमारे पहनावे, हमारे बोलने और चलने पर सवाल उठाते हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है कि हम लोग खुद उन अनजान लोगों की चिंता करते हैं कि लोग क्या कहेंगे।
इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है हम तो बचपन से ही दूसरों के बारे में सोच कर बड़े होते हैं लोगों के बोलने के डर से अपने चारों तरफ एक घेरा खुद ही बना लेते हैं। हर चीज़ को नाप तौलकर करते हैं। अगर ज्यादा हँसो तो लोग पागल कहेंगे, अगर किसी के सामने रो पड़े तो नौटंकी, कम बात करो तो घमन्डी, ज्यादा बात करो तो पकाऊ, अगर आज के फैशन के हिसाब से सज संवरकर निकलो तो अल्ट्रा माडर्न अगर फैशन का खयाल न रखें तो गंवार।
कुछ दिनों पहले मैंने एक कहानी पढ़ी उसे मैं आप लोगों से बांटना चाहती हूँ एक बार एक आदमी अपनी पत्नी के साथ घोड़े पर सवार होकर कहीं जा रहा था वो थोड़ी ही दूर निकले थे कि कुछ लोग उन्हें देखकर बोले कि दो दो लोग एक बेजुबान जानवर पर बैठकर जा रहे हैं कितने निर्दयी लोग हैं यह सुनकर वह आदमी घोड़े से उतरकर पैदल चलने लगा। आगे चलकर उन्हें कुछ औरतें मिली जो उसकी पत्नी को घोड़े पर बैठा देखकर बोली कि कैसी पत्नी है खुद आराम से घोड़े पर बैठी है और पति पैदल चल रहा है यह सुनकर पत्नी घोड़े से उतरकर पैदल चलने लगी और पति को घोड़े पर बिठाया। आगे चलकर फिर कुछ लोग मिले और बोले कि बेचारी पत्नी पैदल जा रही है और पति घोड़े पर बैठा है कैसा आदमी है यह सुनकर पति और पत्नी दोनों ही पैदल चलने लगे। यह देखकर लोगों ने उनका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया कि कितने बेबकूफ लोग हैं घोड़ा साथ में है फिर भी पैदल जा रहे हैं
लोग तो कुछ न कुछ कहते ही रहते हैं हम क्यों अपनी जिंदगी के अहम फैसले ऐसे लोगों से डर कर लेते हैं।
सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात तो यह है कि जब कोई किसी की सरेआम बेज्जती करता है, कोई किसी लड़की को परेशान करता है उसके ऊपर भद्दे कमेन्ट करता है, शराब के नशे में अपनी पत्नी को पीटता है, दहेज के नाम पर लड़कियो को प्रताड़ित करता है, छोटे छोटे बच्चों से भीख मंगवाते हैं, बालश्रम कराते हैं, बाल विवाह कराते हैं, रिश्वत मांगते हैं तब हमारे समाज के वो महत्वपूर्ण लोग कहां छिप जाते हैं जिन्हें दूसरों की जिन्दगी पर सवाल उठाने का जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त है।
आखिर क्यों लोग कुछ नहीं कहते जब उनका बोलना जरूरी होता है।
गलत करने वालों को समाज का डर नहीं लगता और हम लोग कुछ अच्छा करने के पहले भी ये सोचते हैं कि लोग क्या कहेंगे ????????

Friday 3 June 2016

हौसलों की उड़ान और गरीबी का पिजडा

मध्यप्रदेश के रीवा जिले की १५ साल की लड़की सीता साहू ने वर्ष २०११ में एथेस ओलंपिक में दो कान्स्य जीते।उसने २००मी और १६०० मीटर की दौड़ में ये पदक जीते। जब टीम एथेन्स के लिए रवाना हो रही थी तब सरकार द्वारा घोषणा की गई थी कि स्वर्ण पदक जीतने वाले को एक लाख रुपये, रजत पदक जीतने वाले को पचहत्तर हजार रुपये व कान्स्य पदक जीतने वाले को पचास हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा। सीता साहू के दो पदक जीतने के बाद सरकार अपना किया वादा भूल गई। सीता के पिता एक चाट की दुकान चलाते हैं। पिछले दिनों उनके बीमार हो जाने के कारण सीता गोलगप्पे बेचने को मजबूर हो गई। इस कारण से उसका स्कूल जाना भी नहीं हो सका। आर्थिक तंगी से मजबूर हो कर सीता ने अपना हक पाने के लिये सरकार से गुहार लगाई। देर से ही सही पर सरकार हरकत में आई । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सीता साहूको एक लाख रुपए देने की घोषणा की है साथ ही केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन की ओर से ५ लाख रुपए और एक मकान देने की घोषणा की है। सीता को पड़ाई के साथ साथ खेलने का भी शौक है। वह आगे भी खेलकर देश का नाम रोशन करना चाहती है। आर्थिक मदद मिलने से वह एक बार फिर अपने सपनों को पूरा करने हौसलों की उड़ान भर सकेगी।