जल हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। संसार में रहने वाले
सभी जीवों के जीवन के लिए जल एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है। वर्तमान में भारत में
सूखे की स्थिति के समाचार सभी न्यूज चैनलों और अखबारों के लिये ब्रेकिंग न्यूज बनी
हुई है। यह जल संकट एक
संकेत है कि आने वाले
भविष्य में परिस्थितियां और भयावह होने वाली है।
मेरे
मन में इस जल संकट को लेकर एक विडम्बना है । वैग्य़ानिकॊं का कहना है कि हिमालयी
ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। अगर ये पिघल रहें हैं तो इनसे निकलने वाली नदियॊं
और नहरों का जल स्तर क्यूं नहीं बड रहा है। कहा जाता है कि कुल स्वच्छ पानी का ७०%
भाग खेती में उपयॊग होता है जबकि देश में खेती योग्य भूमि लगातार कम होती जा रही
है तॊ वहां जो पानी का उपयोग होता था वह पानी कहां गया। हां देश की आबादी बड रही
है शायद मेरे सवाल का यही उत्तर वर्तमान में मुझे समझ आ रहा है
कहा
जाता है कि प्रुथ्वी के अधिकांश भाग पर समुद्र फैले हुए हैं। परन्तु हमारी प्रथ्वी
का ९७% जल पीने योग्य नही है। समुद्र में गर्मी की वजह से बारिश होती है। बरसात के
पानी से हमारे देश मे खेतों की सिंचाई होती है बरसात के पानी से कुऎ एवं तालाबॊं
में पानी आता है। पहाडी क्षेत्रों मे बरसात वर्फ के रूप में होती है जिससे
ग्लेशियरॊं का निर्माण होता है। इन ग्लेशियरॊं के पिघलने से ही नदियॊं में वर्ष भर
पानी रहता है। यानी अगर हम बरसात के पानी को सहेजना सीख जाए तो इस जल संकट से कुछ
हद तक निपटा जा सकता है।
हमारी
सरकारें इस दिशा में काम तो कर रही है पर उनके प्रयास सुद्रण कार्ययोजना के अभाव
में सफल नही हो पा रहीं हैं और केवल समय और पैसे की बरबादी हो रही है।
यदि
जल संकट से उबरने के लिये उचित प्रयास नही किये गये एवं लोगों ने जल के महत्व को नही समझा तो वह
दिन दूर नहीं है जब तीसरा विश्वयुद्ध पानी कॊ लेकर लडा जायेगा।
यदि जल
नहीं होगा तो हमारा कल नहीं होगा।
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