नर्गिस दत्त , वास्तविक नाम: फ़ातिमा रशीद; जन्म: 1 जून 1929, कलकत्ता - मृत्यु: 3 मई 1981, मुम्बई) हिन्दी सिनेमा की महान अभिनेत्रियों में से एक है। नर्गिस
मशहूर गायिका जद्दनबाई की पुत्री थीं। कला नर्गिस
को विरासत में मिली थी और सिर्फ छह साल की उम्र में नर्गिस ने फ़िल्म 'तलाशे हक़'
(1935) से अभिनय की शुरुआत कर दी थी। फ़िल्म मदर इंडिया में राधा की भूमिका के जरिए भारतीय नारी
को एक नया और सशक्त रूप देने वाली नर्गिस हिंदी सिनेमा की महानतम अभिनेत्रियों में
से एक थीं, जिन्होंने लगभग 2 दशक लंबे फ़िल्मी सफर में दर्ज़नों यादगार एवं संवदेनशील
भूमिकाएँ की और अपने सहज अभिनय से दर्शकों का मनोरंजन किया।
1940 और 50 के दशक में उन्होंने
कई फ़िल्मों में काम किया और 1957 में प्रदर्शित महबूब खान की फ़िल्म मदर इंडिया नर्गिस की सर्वाधिक
चर्चित फ़िल्मों में रही। इस फ़िल्म को ऑस्कर के लिए नामित किया गया था।
1940
और 50 के दशक में उन्होंने कई फ़िल्मों में काम किया और 1957 में प्रदर्शित महबूब खान की फ़िल्म मदर इंडिया नर्गिस की सर्वाधिक
चर्चित फ़िल्मों में रही। इस फ़िल्म को ऑस्कर के लिए नामित किया गया था।
राज
कपूर के साथ थी क्लोज रिलेशनशिप
राज
कपूर और नरगिस सिर्फ रील लाइफ के ही रोमांटिक कपल नहीं थे, बल्कि ऑफ स्क्रीन भी दोनों
के बीच काफी क्लोज रिलेशनशिप थी। चूंकि राज कपूर पहले से ही शादीशुदा थे, इसलिए उन्होंने
पत्नी कृष्णा कपूर को तलाक देने से इनकार कर दिया। इस तरह दोनों का रिश्ता आगे नहीं
बढ़ पाया।
विवाह
मदर इंडिया में राधा की भूमिका के लिए नर्गिस को
फ़िल्म फेयर सहित कई पुरस्कार मिले। इसी फ़िल्म में शूटिंग के दौरान अभिनेता सुनील दत्त ने आग से उनकी जान बचाई थी और बाद में दोनों
परिणय सूत्र में बँध गए। शादी के बाद नर्गिस ने अभिनय से नाता तोड़ लिया और लाजवंती,
अदालत, यादें, रात और दिन जैसी कुछेक फ़िल्मों में ही अभिनय किया।
प्रमुख
फ़िल्में
नर्गिस ने मदर इंडिया के अलावा आवारा, श्री 420, बरसात, अंदाज, लाजवंती, जोगन
परदेशी, रात और दिन सहित दर्ज़नों कामयाब फ़िल्मों में बेहतरीन अभिनय किया। राजकपूर के साथ उनकी जोड़ी विशेष रूप से
सराही गई और दोनों की जोड़ी को हिंदी फ़िल्मों की सर्वकालीन सफल जोड़ियों में से गिना
जाता है। सिनेप्रेमियों ने इस जोड़ी की फ़िल्मों को खूब पसंद किया। इस जोड़ी की हिट
फ़िल्मों में आग, बरसात, आह, आवारा, श्री 420, चोरी-चोरी, जागते रहो शामिल हैं। उनकी
कई फ़िल्मों में राजकपूर और दिलीप कुमार नायक थे।
1940 और 50 के दशक में उन्होंने कई फ़िल्मों में
काम किया और 1957 में प्रदर्शित महबूब खान की फ़िल्म मदर इंडिया नर्गिस की सर्वाधिक
चर्चित फ़िल्मों में रही। इस फ़िल्म को ऑस्कर के लिए नामित किया गया था।
सम्मान और पुरस्कार
नरगिस इंडियन सिनेमा की ऐसी पहली एक्ट्रेस थी, जिन्हें
‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था। उन्हें समाज सेवा के लिए राज्यसभा का सदस्य मनोनीत
किया गया था। जबकि फिल्म 'रात और दिन' के लिए
उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड मिला।नर्गिस को पद्मश्री सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले।
1957 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार
(फ़िल्म- मदर इंडिया)
1958 - कार्लोवी (अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव वरी) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री
के लिए पुरस्कार (फ़िल्म- मदर इंडिया)
1958 - पद्मश्री
1968 - राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (फ़िल्म- रात और दिन)
मृत्यु
अभिनय से अलग होने के बाद नर्गिस सामाजिक कार्य
में जुट गईं। नर्गिस ने पति सुनील दत्त के साथ अजंता आर्ट्स कल्चरल ट्रूप की स्थापना
की। यह दल सीमाओं पर जाकर जवानों के मनोरंजन के लिए स्टेज शो करता था। इसके अलावा वे
स्पास्टिक सोसाइटी से भी जुड़ी रहीं। बाद में नर्गिस को राज्यसभा के लिए भी नामित किया गया, लेकिन किस्मत
को कुछ और ही मंजूर था। वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं। इसी कार्यकाल के दौरान
वे गंभीर रूप से बीमार हो गईं और 3 मई 1981
को कैंसर के कारण उनकी मौत हो गई।
नर्गिस
दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन
नर्गिस की याद में 1982 में नर्गिस दत्त मेमोरियल
कैंसर फाउंडेशन की स्थापना की गई। इस प्रकार निधन के बाद भी नर्गिस लोगों के दिल में
बसी हुई हैं।
1940 और 50 के दशक में उन्होंने कई फ़िल्मों में
काम किया और 1957 में प्रदर्शित महबूब खान की फ़िल्म मदर इंडिया नर्गिस की सर्वाधिक
चर्चित फ़िल्मों में रही। इस फ़िल्म को ऑस्कर के लिए नामित किया गया था।
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