बालीवुड की मशहूर गायिका मुबारक बेगम शेख का ८० वर्ष की आयु
में उनके मुंबई में जोगेश्वरी स्थित घर में निधन हो गया। राजस्थान के झुंझनु जिले
में अपने ननिहाल में जन्मी मुबारक बेगम शेख ने बचपन से आर्थिक तंगी का सामना करना
पडा, परन्तु उनकी खुश्किस्मती थी कि उनके पिता को संगीत से गहरा लगाव था।
मुबारक बेगम के दादाजी अहमदाबाद में चाय बेचते थे। जब
मुबारक बेगम छोटी थी तभी उनके माता-पिता भी अहमदाबाद शिफ्ट हो गये। वहां उन्होने
फल बेचने का काम शुरू कर दिया। इसके बाद मुबारक बेगम के माता-पिता अपने परिवार को
मुंबई ले आए।

सन १९४९ में रिलीज फिल्म “आईये” का
मशहूर गीत ’मोहे
आने लगी अंगडाई आजा आजा’ उनका पहला गीत रहा जो बहुत यादगार रहा। सन १९८० में रिलीज
“फ़िल्म रामू तो दीवाना है” में
उन्होने ’सांवरिया तेरी याद में’ गीत गाया जो उनके अंतिम गीतों में से एक है।
सुरों की धनी मुबारक बेगम के अंतिम दिन इतने आर्थिक संकट में
बीते कि उनके परिवार को उनके इलाज कराने के लिये भी अत्यधिक कठिनाईयों का सामना
करना पडा । वे जोगेश्वरी इलाके में अपने ड्राइवर बेटे और बहू के साथ एक कमरे के
मकान में रह रहीं थी।
ये दशा सिर्फ मुबारक बेगम की ही नहीं हुई पहले भी ऎसे कई कलाकआर हुए हैं जिन्होने अपनी जिन्दगी के आखिरी दिन गुमनामी और आर्थिक तंगी में बिताए। मुझे लगता है कि सरकार को एक ऎसा कोष बनाना चाहिये जो इस प्रकार से आर्थिक तंगी और गुमनामी में जिन्दगी बिता रहे कलाकारों की मदद करे।
ये दशा सिर्फ मुबारक बेगम की ही नहीं हुई पहले भी ऎसे कई कलाकआर हुए हैं जिन्होने अपनी जिन्दगी के आखिरी दिन गुमनामी और आर्थिक तंगी में बिताए। मुझे लगता है कि सरकार को एक ऎसा कोष बनाना चाहिये जो इस प्रकार से आर्थिक तंगी और गुमनामी में जिन्दगी बिता रहे कलाकारों की मदद करे।