Monday 6 July 2020

इतालवी नौसैनिक केस

हेग स्थित ‘स्थायी मध्यस्थता न्यायालय’ (Permanent Court of Arbitration- PCA) ने भारत को झटका देते हुए इतालवी नौसैनिक केस के संदर्भ में अपना फैसला सुनाया है। इसके अनुसार, केरल के मछुआरों के साथ गोलीबारी में पकडे गए इतालवी नौसैनिकों पर मुकदमा चलाना भारत के अधिकार-क्षेत्र में नहीं है।

मामले की पृष्ठिभूमि:

वर्ष 2012 में, एक इतालवी पोत ‘एनरिका लेक्सी’ पर सवार दो इतालवी नौसैनिकों ने भारतीय पोत ‘सेंट एंथोनी’ पर सवार दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या कर दी।

घटना के समय मछली पकड़ने का पोत भारतीय जल क्षेत्र की सीमा के भीतर था, अतः यह अपराध भारत के कानूनों के तहत गिरफ्तारी तथा अभियोजन के अंतर्गत आता है।

अंततः, नौसैनिकों को गिरफ्तार कर लिया गया। परन्तु, बाद में नौसैनिकों को भारत से रिहा कर इटली भेज दिया गया।

उस समय, भारत ने उच्चत्तम न्यायालय के निर्देशानुसार, अधिकार क्षेत्र की प्रयोज्यता का निर्धारण करने के लिए एक विशेष अदालत गठित की थी।

  • इस बीच, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency-NIA) ने ‘नौ-परिवहन सुरक्षा विधिविरुद्ध कार्य दमन अधिनियम’ (Suppression of Unlawful against Safety of Maritime Navigation) तथा ‘फिक्स्ड प्लेटफॉर्म्स ऑन कॉन्टिनेंटल शेल्फ एक्ट’, 2002 को लागू कर दिया।
  • इतालवी नौसैनिकों पर मुकदमा चलाने के अधिकार को लेकर भारत और इटली के मध्य विवाद की सुनवाई अंतरार्ष्ट्रीय ‘स्थायी मध्यस्थता न्यायालय’ (PCA) में चल रही है।

PCA का निर्णय

  • नौसैनिक, राज्य की ओर से नियुक्त तथा कार्यरत थे, अतः उन्हें प्रतिरक्षा की आधिकारिक छूट प्राप्त है।
  • नौसनिकों के प्रतिरक्षा-अधिकार पर निर्णय करने का अधिकार इटली का होगा।
  • अतः भारत उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चला सकता है।
  • इटली ने ‘संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि’ (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) के तहत भारत की नौवहन स्वतंत्रता का उल्लंघन किया।
  • जबकि, UNCLOS के प्रावधानों के तहत भारतीय अधिकारियों ने समुद्री कानून का उल्लंघन नहीं किया है
  • परिणास्वरूप, इटलीभारत को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार है।

PCA ने इटली द्वारा एक प्रमुख तर्क, कि भारत ने इतालवी पोत को अपने क्षेत्र में ले जाकर नौसैनिकों को गिरफ्तार किया तथा यह UNCLOS के अनुच्छेद 100 के तहत समुद्री डकैती के दमन करने हेतु सहयोग करने के दायित्व का उल्लंघन है, को भी खारिज कर दिया है।

आगे क्या?

दोनों देशों को, भारत को भुगतान की जाने वाले मुआवजे की राशि तय करने हेतु वार्ता आयोजित करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

PCA द्वारा दिया गया यह निर्णय अंतिम है, तथा इसे भारत द्वारा स्वीकार किया गया है। यह निर्णय, इतालवी नौसैनिकों पर भारत में आपराधिक मुकद्दमा चलाने की उम्मीदों पर झटका है।

अंत में, इटली इस मामले को भारत के हाथों से लेने में सफल रहा। इसे अब अपने घरेलू कानूनों के तहत नौसैनिकों पर कार्यवाही करने की प्रतिबद्धताओं को पूरा करना चाहिए। भारत के लिए इस मामले से वैधानिक तथा राजनयिक क्षेत्र में अनुभव मिला जिसका भविष्य में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होने पर उपयोग किया जा सकता है।

स्थायी मध्यस्थता न्यायालय’ (PCA):

स्थापना: वर्ष 1899।

मुख्यालय: हेग, नीदरलैंड्स।

इसका वित्तीय सहायता कोष होता है जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता या PCA द्वारा विवाद निपटान में शामिल साधनों की लागत को पूरा करने में मदद करना है।

इसके सभी निर्णय, विवाद में सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी होते हैं और बिना किसी देरी के लागू किए जाते हैं।

कार्य और अधिकार क्षेत्र:

  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जो विवाद समाधान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सेवा प्रदान करने और राज्यों के बीच मध्यस्थता एवं विवाद समाधान हेतु कार्य करता है।
  • इनमें क्षेत्रीय और समुद्री सीमाओं, संप्रभुता, मानवाधिकारों, अंतर्राष्ट्रीय निवेश और अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय व्यापार से जुड़े कानूनी मुद्दों संबंधी विवाद सम्मिलित होते है।

PCA एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी नहीं है, परन्तु इसे आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।

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