Friday 3 July 2020

‘सतत’ पहल

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हाल ही में, दिल्ली के ओखला स्थित ऊर्जा संयंत्र के लिए इंडियन ऑयलएनटीपीसी लिमिटेड और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) के बीच अपशिष्ट को लेकर आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए है।

  • यह संयंत्र प्रति वर्ष नगरपालिका अपशिष्टों के दहनशील घटकों से उत्पन्न होने वाले 17,500 टन अपशिष्ट व्युत्पन्न ईंधन (Refuse Derived Fuel– RDF) को संसाधित करेगा, जिसका उपयोग बिजली उत्पन्न करने में किया जाएगा।

यह कंपोजिट बायोगैस उत्पादन संयंत्रों के लिए ‘सतत योजना’ (SATAT scheme) के अंतर्गत, उठाव गारंटी प्रदान करने का एक मौजूदा मॉडल है।

‘सतत’ पहल के बारे में:

इस पहल का उद्देश्य, ‘किफायती परिवहन के लिये सतत विकल्प’ (Sustainable Alternative towards Affordable Transportation-SATAT) प्रदान करना है जो वाहन-उपयोगकर्त्ताओं के साथ-साथ किसानों और उद्यमियों दोनों को लाभान्वित करेगा।

इसके अंतर्गत, संपीडित जैव-गैस (Compressed Bio-Gas-CBG) सयंत्रों को स्वतंत्र उद्यमियों के माध्यम से स्थापित किए जाने का प्रस्ताव किया गया है।

क्रियाविधि:

  1. इन संयंत्रों में उत्पादित CBG को हरित परिवहन ईंधन विकल्प के रूप में विपणन के लिये ‘आयल मार्केटिंग कंपनियों’ (OMCs) के ईंधन स्टेशन नेटवर्क में अधिक संख्या में सिलेंडरों के माध्यम से पहुँचाया जाएगा।
  2. उद्यमी, इन संयंत्रों के माध्यम से अन्य उप-उत्पादों को पृथक करके निवेश पर लाभ बढ़ाने के लिये जैव-उर्वरक, कार्बन डाइऑक्साइड सहित बाज़ार में बेचने में सक्षम होंगे।
  3. इस पहल से 75,000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार और फसलों के लिए 50 मिलियन टन जैव खाद का उत्पादन करने की उम्मीद है।

नगरपालिका अपशिष्ट तथा ठोस कचरे को CBG में परिवर्तित करने के लाभ

  1. अपशिष्ट प्रबंधन, प्रदूषण तथा कार्बन उत्सर्जन में कमी।
  2. किसानों के लिए अतिरिक्त राजस्व स्रोत
  3. उद्यमशीलता, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और रोजगार को प्रोत्साहन।
  4. जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं में सहायता।
  5. प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के आयात में कमी।
  6. कच्चे तेल / गैस की कीमतों में उतार-चढ़ाव के विरुद्ध सुरक्षा।

जैव-गैस (Bio- Gas) क्या होती है?

बायो-गैस प्राकृतिक रूप से अपशिष्ट / जैव स्रोतों, जैसे, कृषि अवशेषों, मवेशियों का गोबर, गन्ना के अपशिष्ट, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, सीवेज उपचार संयंत्र अपशिष्ट, आदि के अवायवीय अपघटन की प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित होती है।

संसाधन के पश्चात, इसे संपीडित किया जाता है तथा इसे ‘संपीडित जैव-गैस’ (Compressed Bio-Gas-CBG) कहा जाता है। इसमें 95% से अधिक शुद्ध मीथेन की मात्रा होती है।

CBG क्या होती है?

संपीडित जैव-गैस (CBG), संरचना और ऊर्जा क्षमता में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध प्राकृतिक गैस के समान होती है। इसकी कैलोरी क्षमता (~ 52,000 KJ/kg) तथा अन्य गुण CNG के समान होते है। CBG को वैकल्पिक, नवीकरणीय मोटर वाहन ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

आगे की राह:

भारत में विभिन्न स्रोतों से संपीडित बायो-गैस उत्पादन की क्षमता लगभग 62 मिलियन टन प्रति वर्ष है।

मौजूदा बाजारों में घरेलू और खुदरा उपयोगकर्ताओं को आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए संपीडित बायो-गैस नेटवर्क को शहर में गैस वितरण (city gas distribution- CGD) नेटवर्क के साथ एकीकृत किया जा सकता है। OMC ईंधन स्टेशनों से खुदरा बिक्री के अलावा, संपीड़ित बायो-गैस को CGD पाइपलाइनों में इंजेक्ट किया जा सकता है।

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