‘समान भाषा उप-शीर्षक’ (Same Language Subtitling-SLS) परियोजना के अंतर्गत IIM-अहमदाबाद में टेलीविजन पर आठ प्रमुख भारतीय भाषाओं में SLS पायलटों पर शोध तथा उनका कार्यान्वयन किया गया है।
इस परियोजना के 23 साल पूरे हो चुके है, परन्तु अभी भी, सबसे महत्वपूर्ण नीतिगत कदम- टीवी चैनलों पर गुणवत्तापूर्ण नीति का कार्यान्वयन– अधूरा है।
SLS परियोजना के बारे में:
वर्ष 1996 में समान भाषा उपशीर्षक (SLS) कार्यक्रम को एक अनुसंधान परियोजना के रूप में शुरू किया गया था।
इस परियोजना का उद्देश्य इस बात का पता लगाना था, कि क्या मुख्यधारा की टीवी सामग्री के उपशीर्षक दिए जाने से उन लोगों की मदद की जा सकती है, जो पारंपरिक साक्षरता कार्यक्रमों के अंतर्गत पढने-लिखने से वंचित है?
वर्ष 1999 में, SLS को आधिकारिक तौर पर ‘भारतीय प्रबंधन संस्थान’, अहमदाबाद (IIMA) और एक ‘गैर-लाभकारी संगठन’ (प्लेनेट रीड- PlanetRead) द्वारा एक साक्षरता कार्यक्रम के रूप में लागू किया गया था।
SLS, टेलीविजन तथा डिजिटल ओवर द टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सामग्री को नित्य की रीडिंग प्रैक्टिस में बदलने की क्षमता को साबित कर चुका है। ये रीडिंग प्रैक्टिस, अपरिहार्य, अवचेतन, स्थायी, मापनीय तथा लागत प्रभावी होती है।
सितंबर 2019 में लागू किये गए, ‘दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम’ (Right of Person with Disability Act), 2016 के अंतर्गत, ‘सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) के ‘सुगम्यता मानदंडों‘ के तहत टेलीविजन पर उपलब्ध सभी मनोरंजन सामग्री के 50% पर वर्ष 2025 तक समान भाषा उप-शीर्षक देना अनिवार्य है।
SLS की कार्यप्रणाली: इसमें दृश्य-श्रव्य सामग्री (audio-visual content) का आडियो की भाषा में उपशीर्षक दिया जाता है, ताकि स्क्रीन पर लिखे हुए उपशीर्षक तथा आवाज का पूर्णतया मेल हो सके। टीवी देखते समय, दर्शक स्क्रीन पर ध्वनियों को सुनते हुए शब्दों का मिलान कर सकते हैं।
परियोजना का महत्व तथा क्षमता:
भारत विश्व स्तर पर पहला देश है, जहां मुख्यधारा की टीवी पर SLS सामग्री का व्यापक रूप से साक्षरता प्रदान करने हेतु प्रसारण किया जा रहा है।
- SLS, सभी भारतीय भाषाओं में टीवी पर कार्यान्वित किया जा रहा है। प्रसारण नीति के अनुसार, यह स्वतः ही लगभग 600 मिलियन कमजोर पाठकों को दैनिक रूप से रीडिंग प्रैक्टिस का मंच प्रदान करता है।
- SLS के लागू होने से लगभग एक बिलियन दर्शक और 600 मिलियन कमज़ोर पाठक दैनिक व स्वचालित रूप से पढ़ने का अभ्यास कर सकेंगे।
- तीन से पांच सालों की अवधि में मनोरंजन सामग्री पर SLS के नियमित संपर्क से निरक्षर व्यक्ति पढना-लिखना सीख सकते है तथा उनमें से कुछ धाराप्रवाह पाठक बन जाएंगे।
पृष्ठभूमि:
भारत में लगभग एक अरब दर्शक प्रतिदिन औसतन 3 घंटे और 46 मिनट टीवी देखते हैं (FICCI-EY, 2019)। राष्ट्रीय स्तर पर कोई अन्य गतिविधि, प्रतिदिन इतने समय तक करोड़ों व्यक्तियों को नियंत्रित करने में पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है।
COVID–19 महामारी की स्थिति में:
COVID-19 के दौरान देश के सामूहिक पठन-पाठन कौशल को बढ़ाने के लिए SLS माध्यम की क्षमता उजागर हुई है। महामारी के दौरान, वैश्विक स्तर पर, लगभग 1.4 बिलियन छात्र तथा भारत में लगभग 300 मिलियन छात्र स्कूल से बाहर है। महामारी के समाप्त होने तक कुछ अवधि के लिए स्कूलों के खुलने तथा बंद होने की संभावना है।
आगे की राह:
SLS का, राष्ट्रीय स्तर पर टीवी तथा अन्य प्रसारण मंचों, जैसे, ओवर-द-टॉप (OTT) पर कार्यान्वयन करने से भारत में साक्षरता क्रांति आ सकती है।
SLS के लागू होने से मूक-बधिर लोगों तक मीडिया की आसान पहुँच तथा रीडिंग लिटरेसी में सुधार सुनिश्चित किया जा सकेगा।
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