Friday 3 July 2020

PCR परीक्षण एक दोधारी तलवार है।

RNA

Covid-19 का पता लगाने के लिए RT-PCR का उपयोग

SARS-CoV-2 वायरस, Covid19 बीमारी के लिए रोग-कारक एजेंट है। यह एक आरएनए वायरस (RNA virus) होता है, अर्थात, यह अपनी वृद्धि करने हेतु एक स्वस्थ कोशिका में पैठ बनाता है।

SARS-CoV-2 RNA का पता लगाने के लिए रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन’ (Reverse Transcriptase Polymerase Chain Reaction- RT-PCR) परीक्षण किया जाता है। इस परीक्षण में वायरस का पता लगाने हेतु ‘रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन’ नामक प्रक्रिया के माध्यम से RNA को DNA में परिवर्तित किया जाता है

क्रियाविधि:

SARS-CoV-2 RNA वायरस का सामान्यतः संक्रमण के तीव्र चरण के दौरान में ‘श्वसन नमूनों’ (respiratory specimens) में पता लगाया जा सकता है।

  1. इसके लिए ऊपरी और निचले श्वसन नमूने (नाक, नासाग्रसनी संबंधी- Nasopharyngeal) एकत्र किए जाते हैं।
  2. इन नमूनों को कई रासायनिक विलयनों में संशोधित करके प्रोटीन तथा वसा जैसे पदार्थों को हटा दिया जाता है, तथा इसके उपरांत नमूने में उपस्थित RNA को अलग किया जाता है।
  3. यह रियल-टाइम RT-PCR सेटअप, आमतौर पर 35 चक्रों से गुजरता है, अर्थात, प्रक्रिया के अंत तक, नमूने में मौजूद वायरस के प्रत्येक कतरे से लगभग विषाणुजनित DNA खंडो की लगभग 35 बिलियन नई प्रतियां बनाई जाती हैं।
  4. विषाणुजनित DNA खंडो की नई प्रतियां बनते ही प्रत्येक को चिन्हित करके फ्लोरोसेंट रंग छोड़ा जाता है, जिसे रियल टाइम में मशीन से जुड़े कंप्यूटर द्वारा मापा जाता है। कंप्यूटर प्रत्येक चक्र के बाद नमूने में फ्लोरोसेंट की मात्रा को ट्रैक करता है। जब फ्लोरोसेंट की मात्रा, एक निश्चित स्तर से अधिक हो जाती है, तब नमूने में वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हो जाती है।

 इस परीक्षण को दोधारी तलवार क्यों कहा जाता है?

PCR परीक्षण का लाभ तथा हानि यह है कि, यदि नमूने की 35 बिलियन नई प्रतियों में से एक में भी विषाणु जीन की मौजूदगी का संकेत मिलता है, तो इस परीक्षण में पूरे नमूने को ‘पॉजिटिव’ होने की पुष्टि कर देता है।

  1. इस परीक्षण का लाभ यह है कि वायरस की उपस्थिति का सटीक पता लगाता है।
  2. इसकी हानि यह है, कि इसमें ‘गलत नेगेटिव’ (false negative) तथा ‘गलत पॉजिटिव’ (false positive) परिणामों की अधिकता होती है।

इस परीक्षण में गलत रिपोर्ट आने का कारण

परीक्षण के लिए नमूना तैयार करने के दौरान, यदि प्रयोगशाला वातावरण से किसी जीन का एक भी अंश, परीक्षण ट्यूब में गिर जाता है, तो परीक्षण के दैरान यह परिवर्धित हो जायेगा, तथा परीक्षण का परिणाम ‘पॉजिटिव’ हो जायेगा- परन्तु ‘गलत-पॉजिटिव’।

एक ‘गलत नेगेटिव’ (false negative) PCR रिपोर्ट का मतलब होगा कि, परीक्षण के दौरान व्यक्ति में संक्रमण का पता नहीं लग सका है।

चिंताएं:

‘गलत नेगेटिव’ परिणामों की अपेक्षाकृत उच्च आवृत्ति से महामारी की भयावहता का सही आंकलन नहीं हो पाता है। इसके अलावा, जिन संक्रमित व्यक्तियों की परीक्षण के दौरान ‘गलत नेगेटिव’ रिपोर्ट आती है, उन्हें संगरोध (Quarantined) नहीं किया जाएगा, जिससे वायरस का प्रसरण होगा तथा परिणाम स्वरूप महामारी फैलने की गति में वृद्धि होगी।

समय की मांग:

  • कई नमूनों के परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाओं को पर-संदूषण (cross-contamination) से बचना चाहिए।
  • परीक्षणों की विश्वसनीयता के लिए, केवल गुणवत्ता प्रमाणित प्रयोगशालाओं को परीक्षण करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
  • जनवरी में मात्र एक प्रयोगशाला (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे) में PCR परीक्षण किये जाते थे, जिनकी संख्या बढ़कर 1,000 हो चुकी है।
  • किसी एक गलत पॉजिटिव’ (false positive) परिणाम के संदेहात्मक होने पर चिकित्सक द्वारा अधिकारियों को सतर्क किया जाना चाहिए, तथा संदिग्ध व्यक्ति का अन्य मान्यता-प्राप्त प्रयोगशाला में पुन: परीक्षण किया जाना चाहिए।
  • नतीजों में विसंगति होने पर, संबंधित प्रयोगशाला को सील किया जाना चाहिए तथा प्रोटोकॉल और रिकॉर्ड अनुपालन संबंधी जांच की जानी चाहिए।

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