तमिलनाडु के नेवेली संयत्र में दो महीने में दूसरा घातक बॉयलर विस्फोट हुआ है।
यह विस्फोट राज्य की राजधानी चेन्नई से लगभग 180 किलोमीटर दूर कुड्डालोर में केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली NLC इंडिया लिमिटेड (जिसे पहले नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) के एक बिजली संयंत्र में हुआ था।
यह दुर्घटना एक बार फिर से सुरक्षा प्रोटोकॉल, विशेष रूप से ‘भारतीय बॉयलर अधिनियम’ के महत्व को रेखांकित करती है ।
भारतीय बॉयलर अधिनियम, 1923 के बारे में:
भारतीय बॉयलर अधिनियम (Indian Boilers Act),1923 को मुख्य रूप से स्टीम बॉयलरों के विस्फोटों के खतरे से लोगों की जीवन और संपत्ति की सुरक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य अधिनियमित किया गया था। इसका अद्देश्य, भारत में बॉयलरों के पंजीकरण तथा संचालन और रखरखाव के निरीक्षण में एकरूपता सुनिश्चित करना भी है।
परिभाषाएं:
बॉयलर: अधिनियम की धारा 2 (बी) के तहत, बॉयलर एक ऐसा बंद दबाव पात्र होता है, जिसकी क्षमता 22.75 लीटर से अधिक होती है तथा दाब द्वारा बाष्प उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है, तथा जो बाष्प बंद कर दिए जाने पर भी पूर्णतः अथवा अंशतः दबावाधीन रहता है।
दुर्घटना का तात्पर्य, बॉयलर या स्टीम-पाइप में विस्फोट अथवा बॉयलर या स्टीम-पाइप का कोई नुकसान होता है।
निष्कर्ष:
इस तरह दुर्घटनाओं के लिए रोका जा सकता है, और औद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा-चूक होने से कभी-कभार ही घटित होती हैं। भारत की औद्योगिकीकरण संबंधी आकांक्षाओं को सुरक्षा आधारित होने की आवश्यकता है।
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