Monday 6 July 2020

रेलवे का निजीकरण

रेल मंत्रालय ने 150 आधुनिक ट्रेनों के प्रस्ताव के माध्यम से 100 से अधिक मार्गो पर यात्री ट्रेन सेवाओं के परिचालन में निजी भागीदारी के लिए अर्हता संबंधी अनुरोध (Request for Qualifications– RFQ) आमंत्रित किए हैं।

इस परियोजना में निजी क्षेत्र से लगभग 30,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। यह भारतीय रेल नेटवर्क में यात्री ट्रेनों के परिचालन के लिए निजी निवेश की पहली पहल है।

क्रियाविधि:

  1. इन ट्रेनों के वित्तपोषण, खरीद, परिचालन और रखरखाव के लिए निजी इकाई जिम्मेदार होगी।
  2. निजी रेल गाड़ियों में किराया प्रतिस्पर्धी होगा तथा किराया निर्धारित करते समय एयरलाइन, बसों जैसे परिवहन के अन्य साधनों को ध्यान में रखा जायेगा।
  3. यात्री ट्रेन परिचालन में निजी भागीदारी रेलवे के कुल परिचालन का मात्र 5% होगी। 95% ट्रेनें अभी भी भारतीय रेलवे द्वारा चलाई जाएंगी।

इस पहल के उद्देश्य:

  1. कम रखरखाव सहित आधुनिक तकनीक से युक्त रेल इंजन और डिब्बों की पेशकश,
  2. कम पारगमन समय,
  3. ज्यादा रोजगार सृजन,
  4. यात्रियों को ज्यादा सुरक्षा,
  5. यात्रियों को विश्व स्तरीय यात्रा का अनुभव प्रदान करना।
  6. यात्री परिवहन क्षेत्र में मांग आपूर्ति की कमी को कम करना।

बिबेक देबरॉय समिति की सिफारिशें:

बिबेक देबरॉय समिति को भारतीय रेलवे के लिए संसाधन जुटाने और रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन के तरीकों का सुझाव देने हेतु गठित किया गया था। इस समिति ने रोलिंग स्टॉक: वैगन और कोचों के निजीकरण करने की सिफारिश की थी।

रेलवे निजीकरण:

लाभ:

बेहतर अवसंरचना – रेलवे निजीकरण से बेहतर बुनियादी ढांचे का निर्माण होगा, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

उच्च किराये तथा सेवा-गुणवत्ता में संतुलन – इस कदम से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इससे सेवाओं की गुणवत्ता में समग्र रूप से सुधार होगा।

दुर्घटनाओं में कमी- निजी स्वामित्व से रखरखाव बेहतर होगा। निजीकरण के समर्थकों का मानना है कि इससे दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी, जिसके परिणामस्वरूप दीर्घावधि में सुरक्षित यात्रा और उच्च मौद्रिक बचत होती है।

हानियाँ:

लाभप्रद क्षेत्रों तक सीमित विस्तार – भारतीय रेलवे के सरकारी होने का एक फायदा यह है कि यह लाभ की परवाह किये बगैर राष्ट्रव्यापी संपर्क प्रदान करता है। निजीकरण में संभव नहीं होगा क्योंकि इसमें कम चलने वाले रुट्स को समाप्त कर दिया जाएगा, इस प्रकार कनेक्टिविटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वस्तुतः, इससे देश के कुछ हिस्से और दुर्गम हो जायेंगे तथा निजीकरण इन क्षेत्रों को विकास की प्रक्रिया से बाहर कर देगा।

किराया- निजी उद्यम प्रत्यक्षतः लाभ आधारित होते है। अतः यह मान लेना स्वाभाविक है कि भारतीय रेलवे में लाभ अर्जित करने का सबसे आसान तरीका किराए में वृद्धि होगी। इस प्रकार रेल सेवा, निम्न आय वर्ग की पहुंच से बाहर हो जायेगी। इस प्रकार, यह भारतीय रेल के बगैर भेदभाव के सभी आय-वर्ग के लोगों को सेवा प्रदान करने के मूल उद्देश्य की पराजय होगी।

जवाबदेही– निजी कंपनियां व्यवहार में अप्रत्याशित होती हैं तथा अपने प्रशासन तरीकों को विस्तार से साझा नहीं करती हैं। ऐसे परिदृश्य में एक विशेष इकाई को जवाबदेह बनाना मुश्किल होगा।

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