Friday 3 July 2020

स्वच्छ ऊर्जा भारत के आर्थिक सुधार में मदद

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नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (Rocky Mountain Institute- RMI) द्वारा ‘स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था की ओर: भारत की ऊर्जा और गतिशीलता क्षेत्रों के लिए कोविड –19 के बाद अवसर रिपोर्ट’ जारी की गयी।

रिपोर्ट का विषय?

इस रिपोर्ट में भारत के लिए एक स्वच्छ, प्रत्यास्थ तथा न्यूनतम लागत वाले ऊर्जा भविष्य के निर्माण की दिशा में कार्य-प्रोत्साहन तथा बहाली-प्रयत्नों की सिफारिश की गई है।

इन प्रयत्नों में इलेक्ट्रिक वाहनऊर्जा भंडारण और नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम शामिल हैं।

Covid-19 द्वारा प्रस्तुत चुनौतियां:

Covid-19 ने भारत के परिवहन और विद्युत् क्षेत्रों के समक्ष नकदी अवरोध तथा आपूर्ति की कमी से लेकर उपभोक्ता मांग और प्राथमिकताओं में बदलाव संबंधी चुनौतियों को पेश किया है।

स्वच्छ ऊर्जा भविष्य हेतु चार सिद्धांत:

रिपोर्ट में भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य को मदद देने के लिए नीति निर्माताओं और अन्य प्रमुख निर्णय लेने वालों के लिए एक रूपरेखा के रूप में चार सिद्धांतों का वर्णन किया गया है:

  1. न्यूनतम लागत वाली ऊर्जा समाधानों में निवेश,
  2. प्रत्यास्थ और सुरक्षित ऊर्जा प्रणालियों की सहायता,
  3. दक्षता और प्रतिस्पर्धात्मकता को प्राथमिकता,
  4. सामाजिक और पर्यावरणीय इक्विटी को बढ़ावा।

 आगे की राह:

भारत को लघुमध्यम और दीर्घ अवधि में आर्थिक सुधारों हेतु रणनीतिक अवसरों की पहचान करने की आवश्यकता है, इस प्रकार, महामारी द्वारा उत्पन्न चुनौतियों को स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के अवसरों में बदला जा सकता है।

परिवहन क्षेत्र में अवसरों के अंतर्गत, सार्वजनिक परिवहन को सुरक्षित बनाना, गैर-मोटर चालित परिवहन अवसंरचना को बढ़ाना और उसका विस्तार करना, जहां तक संभव हो घर से कार्य करने के जरिए वाहन से यात्रा की दूरी को घटाना, माल और यात्री खंड में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए राष्ट्रीय रणनीतियों का समर्थन करना आवश्यक है, इसके अतिरिक्त भारत को मोटर वाहन निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करने हेतु प्रयास किये जाने चाहिए।

विद्युत् क्षेत्र में, अवसरों के अंतर्गत, बिजली वितरण व्यवसाय और इसके संचालन में सुधार करना, नवीकरणीय ऊर्जा को वितरित करना और ऊर्जा संसाधनों को वितरित करना और ऊर्जा लचीलापन और नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों के स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा हेतु प्रयास किये जाने चाहिए।

क्षमता:

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का परिवहन क्षेत्र 1.7 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोक सकता है।

इसके अतिरिक्त, वर्ष 2030 तक साझा, इलेक्ट्रिक और कनेक्टेड यात्री आवाजाही और किफायती, स्वच्छ और अनुकूलित माल परिवहन के माध्यम से ईंधन की मांग के बराबर 600 मिलियन टन तेल बचा सकता है।

बिजली क्षेत्र में भी नवीकरणीय ऊर्जा,ऊर्जा भंडारण,दक्षता और लचीला उत्पादन एवं मांग को अपनाकर महत्वपूर्ण बचत की जा सकती है।

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