हाल ही में सरकार द्वारा ‘प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक रूप देने की योजना (PM Formalization of Micro Food Processing Enterprises– PM FME) का आरम्भ किया गया है।
PM FME योजना” को 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा।
योजना के बारे में:
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पिछले महीने इस योजना को अपनी मंजूरी प्रदान की गयी थी।
यह अखिल भारतीय स्तर पर असंगठित क्षेत्र के लिए एक केन्द्र प्रायोजित योजना है।
उद्देश्य:
- सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के द्वारा वित्त अधिगम्यता में वृद्धि
- लक्ष्य उद्यमों के राजस्व में वृद्धि
- खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का अनुपालन
- समर्थन प्रणालियों की क्षमता को सुदृढ़ बनाना
- असंगठित क्षेत्र से औपचारिक क्षेत्र में पारगमन
- महिला उद्यमियों और आकांक्षापूर्ण जिलों पर विशेष ध्यान
- अपशिष्ट से धन अर्जन गतिविधियों को प्रोत्साहन
- जनजातीय जिलों में लघु वनोपजों पर ध्यान देना।
मुख्य विशेषताऐं:
- केन्द्र प्रायोजित योजना। व्यय को 60:40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों के द्वारा साझा किया जाएगा।
- 2,00,000 सूक्ष्म-उद्यमों को ऋण से जुड़ी सब्सिडी के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी।
- योजना को 2020-21 से 2024-25 तक के लिए 5 वर्ष की अवधि हेतु कार्यान्वित किया जाएगा।
- समूह दृष्टिकोण
- खराब होने वाली वस्तुओं पर विशेष ध्यान
प्रशासनिक और कार्यान्वयन तंत्र
- इस योजना की निगरानी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रिस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (IMEC) के द्वारा केन्द के स्तर पर की जाएगी।
- मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य/संघ शासित प्रदेशों की एक समिति एसएचजी/ एफपीओ/क़ोओपरेटिव के द्वारा नई इकाईयों की स्थापना और सूक्ष्म इकाईयों के विस्तार के लिए प्रस्तावों की निगरानी और अनुमति/अनुमोदन करेगी।
- राज्य/संघ शासित प्रदेश इस योजना के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों को शामिल करते हुए वार्षिक कार्ययोजना तैयार करेंगे।
- इस कार्यक्रम में तीसरे पक्ष का एक मूल्याँकन और मध्यावधि समीक्षा तंत्र भी बनाया जाएगा।
योजना के लाभ:
- करीब आठ लाख सूक्ष्म-उद्यम सूचना, बेहतर विवरण और औपचारिक पहुँच के माध्यम से लाभान्वित होंगे।
- विस्तार और उन्नयन के लिए 2,00,000 सूक्ष्म उद्यमों तक ऋण से जुड़ी सब्सिडी और हैंडहोल्डिंग सहायता को बढ़ाया जाएगा।
- यह उन्हें गठित, विकसित और प्रतिस्पर्धी बनने में समर्थ बनाएगा।
- इस परियोजना से नौ लाख कुशल और अल्प-कुशल रोजगारों के सृजन की संभावना है।
- इस योजना में आकांक्षापूर्ण जिलों में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों, महिला उद्यमियों और उद्यमियों को ऋण तक पहुँच बढ़ाया जाना शामिल है।
- संगठित बाजार के साथ बेहतर समेकन।
- सोर्टिग, ग्रेडिंग, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, भंडारण आदि जैसी समान सेवाओं को पहुँच में वृद्धि।
योजना की आवश्यकता
इस क्षेत्र के 98 प्रतिशत, लगभग 25 लाख अपंजीकृत खाद्य प्रसंस्करण उद्यम, असंगठित और अनियमित हैं। इन इकाईयों का करीब 68 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है और इनमें से 80 प्रतिशत परिवार आधारित उद्यम हैं।
यह क्षेत्र बहुत सी चुनौतियों, जैसे ऋण तक पहुँच न होना, संस्थागत ऋणों की ऊँची लागत, अत्याधुनिक तकनीक की कमी, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के साथ जुड़ने की असक्षमता और स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों के साथ अनुपालन, आदि का सामना करता है।
इस क्षेत्र को मजबूत करने से, नुकसान में कमी, खेती के अतिरिक्त रोजगार सृजन अवसर और किसानों की आय को दुगना करने के सरकार के लक्ष्य तक पहुँचने में महत्वपूर्ण रूप से मदद मिलेगी।
No comments:
Post a Comment