संदर्भ:
“अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ सेवन और तस्करी निरोध दिवस” के अवसर पर “सबसे ज्यादा प्रभावित 272 जिलों के लिए नशा मुक्त भारत : वार्षिक कार्य योजना (2020-21)” का ई-शुभारम्भ किया।
इस कार्यक्रम का आरंभ केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा किया गया है।
कार्य योजना के घटक
- जागरूकता संबंधी कार्यक्रम;
- उच्च शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों और विद्यालयों पर जोर;
- अस्पतालों में उपचार सुविधाओं पर जोर;
- सेवा प्रदाताओं हेतु क्षमता निर्माण कार्यक्रम।
कार्यान्वयन:
- नशा मुक्त भारत वार्षिक कार्य योजना, 2020-21 में सबसे ज्यादा प्रभावित 272 जिलों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है और नारकोटिक्स ब्यूरो, सामाजिक न्याय द्वारा जागरूकता और स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से उपचार के संयुक्त प्रयासों सहित त्रिस्तरीय कार्यवाही की जायेगी।
- नशा मुक्ति केन्द्रों की स्थापना की जाएंगी।
- नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों के बारे में बच्चों और युवाओं को जागरूक करना; सामुदायिक भागीदारी और जन सहयोग बढ़ाना; एकीकृत नशा मुक्ति केन्द्रों (Integrated Rehabilitation Centre for Addicts– IRCAs) की स्थापना की जायेगी।
- सरकारी अस्पतालों को नशा मुक्ति केन्द्र खोलने के लिए सहायता; और भागीदारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमो का आयोजन।
प्रमुख तथ्य:
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा “सबसे अधिक प्रभावित” 272 जिलों की पहचान की गयी है, जिनमे से अधिकतर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों के हैं।
- ‘नशा मुक्त भारत’ अभियान की शुरुआत मूल रूप से वर्ष 2015 में पंजाब में शिरोमणि अकाली दल द्वारा की गयी थी।
- मादक द्रव्यों के सेवन से सर्वाधिक प्रभावित जिलों की राष्ट्रीय सूची के अनुसार, पंजाब के 22 जिलों में से 18 जिले, तथा हरियाणा के 22 जिलों में से 10 जिले NCB द्वारा चिन्हित किए गए हैं।
आवश्यकता
लगभग 8,50,000 भारतीय ड्रग्स का सेवन करते है। लगभग 4,60,000 बच्चों और 1.8 मिलियन वयस्कों को सूघने वाले नशों से मुक्ति हेतु सहायता की आवश्यकता है तथा 7.7 मिलियन भारतीयों को अफीम-जनित नशों से मुक्ति की आवश्यकता है।
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