एक दुर्लभ खगोलीय घटना के रुप में 21 जून, 2020 को वलयाकार सूर्य ग्रहण, जिसे लोकप्रिय रूप से रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है, की घटना घटित हुयी। यह इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण है। 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति तथा उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन भी होता है।
सूर्य ग्रहण क्या है?
यह पृथ्वी पर घटित होने वाली एक प्राकृतिक घटना है। सूर्यग्रहण की स्थिति में चंद्रमा की कक्षीय अवस्थिति, पृथ्वी और सूर्य के मध्य होती है। सूर्यग्रहण, अमावस्या के दिन घटित होता है, इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे के साथ युति (conjunction) अवस्था में होते हैं।
सभी सूर्यग्रहणों में, सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी पूरी तरह से संरेखित नहीं होते हैं, ऐसे में केवल आंशिक ग्रहण होता है। जब तीन खगोलीय पिंड एक सीधी रेखा में होते हैं, तो पूर्ण सूर्य ग्रहण का अवलोकन होता है।
फिर, हर महीने सूर्यग्रहण क्यों नहीं होता?
यदि चंद्रमा पृथ्वी के थोड़ा करीब होता तथा एक ही वृत्तीय कक्षा में पृथ्वी के परिक्रमा कर रहा होता, तब प्रत्येक माह सूर्यग्रहण की घटना देखी जा सकती है। परन्तु, चंद्रमा अण्डाकार कक्षा में तथा पृथ्वी की कक्षीय स्थिति में कुछ झुकी हुई स्थिति में गति करता है, अतः हम प्रति वर्ष केवल 5 ग्रहण देख सकते हैं।
सूर्य ग्रहण के प्रकार:
पूर्ण सूर्यग्रहण (Total Solar Eclipse)
जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है, तो पृथ्वी की सतह पर छाया पड़ती है। चंद्रमा द्वारा सूर्य को थोड़े समय के लिए पूरी तरह से ढक लिया जाता है। जो स्थान चंद्रमा की पूर्ण छाया (Umbra) से ढक जाते हैं, वहां पूर्ण सूर्यग्रहण का अवलोकन होता है।
पूर्ण सूर्यग्रहण की स्थिति में हीरक वलय (Diamong Ring) की आकृति देखने को मिलती है। पूर्ण सूर्यग्रहण की स्थिति में जब सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर स्थित घाटियों से होकर गुजरता है, तो हीरक वलय दिखाई पड़ता है, इस घटना को सर्वप्रथम ब्रिटिश खगोलविद फ्रांसिस बेली (Francis Baily) ने देखा था, इसीलिये इसे ‘बेलीज़ बीड्स’ (Bailey’s Beads) भी कहा जाता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse)
वलयाकार सूर्यग्रहण की स्थिति में चंद्रमा सामान्य की तुलना में पृथ्वी से अधिक दूर होता है। इस अवस्था में चंद्रमा का आकार छोटा प्रतीत होता है तथा वह पूरी तरह सूर्य को ढक नहीं पाता है। इस घटना के दौरान चंद्रमा के चारो ओर सूर्य का प्रकाश किसी रिंग अथवा अंगूठी के सदृश प्रतीत होता है। इस प्रकार के ग्रहण को ‘वलयाकार सूर्यग्रहण’ कहा जाता है।
आंशिक सूर्यग्रहण (Partial Solar Eclipse)
जब चंद्रमा की स्थिति, सूर्य और पृथ्वी के बीच में इस प्रकार की होती है, कि चंद्रमा, सूर्य का केवल कुछ भाग ही ढक पाता है। चंद्रमा की छाया से पूरी तरह से न ढकने वाले (Penumbral) क्षेत्रों में आंशिक ग्रहण दिखाई देता है। सभी सूर्यग्रहणों में, सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी पूरी तरह से संरेखित नहीं होते हैं, ऐसे में केवल आंशिक ग्रहण का अवलोकन होता है।
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