सैन्य स्तर पर वार्ता के दौरान पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीनी सेना की वृद्धि।
पैंगोंग त्सो क्षेत्र में विवाद का कारण
Add caption |
वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) – रेखा, भारत और चीन मध्य वर्तमान सीमा रेखा है, पैंगोंग त्सो झील के मध्य से होकर गुजरती है, परन्तु भारत और चीन इसकी सटीक स्थिति के विषय में सहमत नहीं हैं।
दोनों देशों ने इस क्षेत्र में अपने-अपने हिस्से को चिह्नित कर लिया है। पैंगोंग त्सो झील का 45 किमी. लंबा पश्चिमी भाग भारतीय नियंत्रण में है तथा शेष भाग पर चीन का नियंत्रण है।
मुठभेड़ का वर्तमान स्थल काराकोरम रेंज के पूर्वी भाग में स्थित पहाड़ियां है, इन्हें स्थानीय भाषा में इन्हें स्थानीय भाषा में छांग छेनमो कहा जाता है। इन पहाड़ियों के उभरे हुए हिस्से को ही भारतीय सेना ‘फिंगर्स‘ कहती है।
भारत का दावा है कि LAC की सीमा फिंगर 8 तक है, लेकिन भारतीय सेना का नियंत्रण फिंगर 4 तक ही है।
पैंगोंग त्सो क्षेत्र में नियंत्रण
इस क्षेत्र में भारत और चीन के बीच LAC को लेकर मतभेद है, तथा यहाँ पर 8 फिंगर्स विवादित है।
- भारत का दावा है कि LAC फिंगर 8 से होकर गुजरती है, और यही पर चीन की अंतिम सेना चौकी है।
- भारत इस क्षेत्र में, फिंगर 8 तक, इस क्षेत्र की संरचना के कारण पैदल ही गश्त करता है। लेकिन भारतीय सेना का नियंत्रण फिंगर 4 तक ही है।
- दूसरी ओर, चीन का कहना है कि LAC फिंगर 2 से होकर गुजरती है। चीनी सेना हल्के वाहनों से फिंगर 4 तक तथा कई बार फिंगर 2 तक गश्त करती रहती है।
वर्तमान स्थिति
भारत द्वारा 255 किमी लंबे दौलत बेग ओल्डी- दार्बुक-श्योक मार्ग का निर्माण, चीन के आक्रमक होने का कारण प्रतीत होता है। यह मार्ग काराकोरम दर्रे के बेस में स्थित अंतिम सैन्य चौकी को सड़क मार्ग से जोड़ता है। दौलत बेग ओल्डी दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई क्षेत्र है। यह सड़क, पूरी होने पर लेह से दौलत बेग ओल्डी तक की यात्रा में लगने वाले समय को दो दिन से घटाकर छह घंटे कर देगी।
चीन का यह आक्रमक कदम इस क्षेत्र पर अधिक नियंत्रण हासिल करने के लिए उसकी दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। इस रणनीति के तहत, भारत के पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध के दौरान, चीन ने वर्ष 1999 में LAC के भारतीय ओर 5 किमी तक सड़क का निर्माण किया था।
पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण का कारण
- पैंगोंग त्सो झील रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चुशूल घाटी (Chushul Valley) के नजदीक है। वर्ष 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने चुशूल घाटी ने अपना मुख्य आक्रमण शुरू किया था।
- चुशूल घाटी तक का रास्ता पैंगोंग त्सो झील से होकर जाता है, यह एक मुख्य मार्ग है जिसका चीन, भारतीय-अधिकृत क्षेत्र पर कब्जे के लिये उपयोग कर सकता है।
- चीन यह भी नहीं चाहता है कि भारत LAC के पास कहीं भी अपने बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दे। चीन को डर है कि इससे अक्साई चिन और ल्हासा-काशगर (Lhasa-Kashgar) राजमार्ग पर उसके अधिकार के लिए संकट हो सकता है।
- इस राजमार्ग के लिए कोई खतरा, लद्दाख और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में चीनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं के लिए बाधा पहुचा सकता है।
पैंगोंग त्सो के बारे में
लद्दाखी भाषा में पैंगोंग का अर्थ है समीपता और तिब्बती भाषा में त्सो का अर्थ झील होता है।
पैंगोंग त्सो लद्दाख में 14,000 फुट से अधिक की ऊँचाई पर स्थित एक लंबी संकरी, गहरी, लैंडलॉक झील है, इसकी लंबाई लगभग 135 किमी है।
इसका निर्माण टेथीज भू-सन्नति से हुआ है।
यह एक खारे पानी की झील है।
No comments:
Post a Comment