Sunday, 28 June 2020

लॉकडाउन के दौरान कई शहरों में ओजोन प्रदूषण में वृद्धि

Ozone

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (Centre for Science and Environment- CSE) के एक विश्लेषण के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रस ऑक्साइड के स्तर में गिरावट दर्ज की गयी, परन्तु, एक अन्य हानिकारक प्रदूषक, ‘ओजोन’ का स्तर कई शहरों में में बढ़ गया।

क्षोभमण्डलीय ओजोन प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारक

ओजोन, भारत में मुख्य रूप से धुप-युक्त खुले मौसम की समस्या है, जो अक्सर वर्ष-भर परिवर्तनशील रहता है।

ओजोन प्रदूषण में वृद्धि का कारण ग्रीष्म-काल की कुछ विशेषतायें है। इनमें तेज़ हवाएँ, रुक-रुककर वर्षा तथा झंझावात, उच्च तापमान और ग्रीष्म लहर (Heat Waves) सम्मिलित हैं।

ओजोन क्या है?

ओजोन (O3) एक रंगहीन, प्रतिक्रियाशील आक्सीकारक गैस है जो वायुमंडलीय स्मॉग का एक प्रमुख घटक है।

क्षोभमण्डलीय अथवा अधो-स्तरीय ओजोन का निर्माण किस प्रकार होता है?

ओजोन, किसी भी स्रोत से सीधे उत्सर्जित नहीं होती है। इसका निर्माण नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और अन्य वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (Volatile Organic Compounds– VOCs) के मध्य प्रकाशरासायनिक अभिक्रियाओं (Photochemical Reactions) द्वारा होता है। यह वायु में ऊष्मा तथा सौर-प्रकाश की उपस्थिति में गैसों के परस्पर अभिक्रिया करने पर भी निर्मित होती है।

वाहनों, विद्युत् संयंत्रों, औद्योगिक भट्टियों, रिफाइनरी, रासायनिक संयंत्र और अन्य स्रोतों से उत्सर्जित प्रदूषकों के रासायनिक रूप से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अभिक्रिया करने पर ओजोन का निर्माण होता है।

चिंताएं:

भूमि स्तर पर ओजोन एक हानिकारक वायु प्रदूषक होती है, तथा यह मनुष्यों पर्यावरण को सीधे प्रभावित करती है। इसके अतिरिक्त, यह वायुमंडलीय स्मॉग का एक प्रमुख मुख्य घटक है।

उच्च जमीनी स्तर पर ओजोन, कृषि फसलों तथा वनस्पति, विशेषकर दीर्घ-जीवी वृक्षों तथा धीमी गति से बढ़ने वाली फसलों को प्रभावित करती है।

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