Sunday, 28 June 2020

भारतीय रिज़र्व बैंक के निगरानी में शहरी, बहु-राज्य सहकारी बैंक

केंद्र सरकार ने, जमाकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु सभी शहरी तथा बहु-राज्य सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की प्रत्यक्ष देखरेख में लाने का निर्णय लिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस आशय के अध्यादेश को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

इन बैंकों को अब तक कैसे विनियमित किया जाता था?

वर्तमान में, ये बैंक RBI तथा सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के दोहरे विनियमन के अधीन आते हैं।

  • सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, इन बैंकों के निगमन, पंजीकरण, प्रबंधन, लेखा परीक्षा, बोर्ड का निवर्तन और विघटन के लिए उत्तरदायी होते हैं।
  • RBI इन बैंकों के विनियामक की भूमिका निभाती है, तथा आरक्षित नकदी और पूंजी पर्याप्तता, जैसे नियमों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होती है।

सहकारी बैंक, राज्य सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत होते हैं। वे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दो कानूनों, बैंकिंग विनियमन अधिनियम1949, और बैंकिंग कानून (सहकारी समितियाँ) अधिनियम1955 के तहत विनियामक दायरे में आते हैं।

आवश्यकता

सरकार द्वारा यह निर्णय, धोखाधड़ी और गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की कई घटनाओं के घटित होने के पश्चात लिया गया है, जिसमें पिछले वर्ष, पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (Punjab and Maharashtra Co-operative- PMC) बैंक में हुए बड़े घोटाले शामिल हैं।

सितंबर में, RBI को PMC बैंक के बोर्ड को विघटित करने और सख्त प्रतिबंध लगाने के लिए कहा गया था।

निहितार्थ:

इस निर्णय के द्वारा, भारतीय रिज़र्व बैंक को, सभी शहरी और बहु-राज्य सहकारी बैंकों को, वाणिज्यिक बैंकों की तर्ज पर विनियमित करने का अधिकार प्रदान किया गया है।

सरकार का यह कदम, जमाकर्ताओं को अधिक सुरक्षा प्रदान करेगा।

  • वर्तमान में, देश में 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 बहु-राज्य सहकारी बैंक हैं।
  • इन बैंकों में 86 मिलियन से अधिक जमाकर्ताओं की 4.84 ट्रिलियन राशि जमा है।

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