Sunday, 28 June 2020

काला अजार (Kala Azar)


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लीशमैनियासिस (leishmaniasis) के इलाज के लिए उपलब्ध एकमात्र दवा मिल्टेफोसिन (miltefosine) तेजी से अपनी प्रभाविकता खोती जा रही है। इसका कारण, इस बीमारी के लिए जिम्मेदार परजीवी के अंदर औषधि प्रतिरोध की क्षमता विकसित हो रही है।

  • इस हेतु, शोधकर्ताओं की एक टीम मिल्टेफ़ोसिन प्रतिरोध से निपटने के तरीके तलाश रही है। इस अनुसंधान समूह ने पहली बार कम्प्यूटेशनल रूप से डिज़ाइन किए गए सिंथेटिक पेप्टाइड्स का उपयोग करके लीशमैनिया के ट्रांसपोर्टर प्रोटीन के ऑलस्टेरिक मॉड्यूलेशन को दिखाया है।
  • इन आशाजनक शोध परिणामों से संकेत मिलता है कि यह पद्यति औषध प्रतिरोधी लीशमैनिया परजीवी के उपचार के लिए आने वाले समय में उपयोगी साबित हो सकती है।

‘काला अजार’ क्या होता है?

आंत के लीशमैनियासिस (Visceral leishmaniasis– VLको आमतौर पर भारत में काला अजार के रूप में जाना जाता है। यदि इसका समय से इलाज नहीं कराया गया तो 95% से अधिक मामलों में यह घातक साबित होता है।

प्रसरण: लीशमैनिया जीन के प्रोटोजोआ परजीवी के कारण, यह बीमारी यकृत, प्लीहा (आंत) और अस्थि मज्जा जैसे आंतरिक अंगों में फ़ैल जाती है।

लक्षण: इसके लक्षणों में बुखार, वजन में कमी, थकान, एनीमिया और यकृत और प्लीहा में सूजन आदि शामिल हैं।

अतिरिक्त तथ्य:

  • लीशमैनियासिस एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारी है, भारत सहित लगभग 100 देश इस बीमारी की चपेट में हैं।
  • यह लीशमैनिया नामक एक परजीवी के कारण होता है जो रेत मक्खियों के काटने से फैलता है।
  • लीशमैनियासिस के तीन मुख्य रूप होते हैं –

आंत (visceral): जो कई अंगों को प्रभावित करता है और यह रोग का सबसे गंभीर रूप है।

त्वचीय (cutaneous): जो त्वचा के घावों का कारण बनता है और यह बीमारी का आम रूप है।

श्लेष्मत्वचीय (mucocutaneous):  जिसमें त्वचा और श्लैष्मिक घाव होता है।

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