पुणे स्थित एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ‘सरहद‘, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की म्रत्यु शताब्दी के अवसर पर साहित्यिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रंखला शुरू करेगा।
इसका उद्देश्य स्वतंत्रता-संग्राम काल के दौरान ‘लाल-बाल-पाल’ के नाम से प्रसिद्ध ‘लाला लाजपत राय’, ‘लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक’ तथा ‘बिपिन चन्द्र पाल’ की स्मृतियों को पुनर्जीवित करना है। इसके साथ ही यह कार्यक्रम पश्चिमी बंगाल तथा महाराष्ट्र के मध्य संबंधो को मजबूत करेंगे।
कार्यक्रमों के आयोजन का कारण
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, पंजाब, बंगाल और महाराष्ट्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आधुनिक काल में, भारत के इन तीनो राज्यों के मध्य ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक संबधो को ‘लाल-बाल-पाल’ त्रिमूर्ति में मजबूती प्रदान की है।
स्वतंत्रता-पश्चात, महाराष्ट्र और पंजाब के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक बंधनों में मजबूती आयी है, परन्तु, अतीत की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक आत्मीयता की समृद्ध विरासत के बाद भी महाराष्ट्र तथा बंगाल के संबंध कुछ कमजोर हुए हैं।
मुख्य विशेषताएं
- इस कार्यक्रम की अवधि दो वर्ष की होगी तथा इसे ‘महाराष्ट्र-बंगाल मैत्री अध्याय‘ नाम दिया गया है।
- कार्यक्रम को दोनों राज्यों में जनता के ‘सांस्कृतिक पुनरुत्थानवादी आंदोलन’ के रूप में परिकल्पित किया है।
- इसका आरम्भ लोकमान्य तिलक की मृत्यु शताब्दी (1 अगस्त, 1920) से होगा तथा महान दार्शनिक, श्री अरबिंदो घोष की 150 वीं जयंती (15 अगस्त, 2022) तक जारी रहेगा।
‘लाल- बाल- पाल’ के कार्यों का संक्षिप्त परिचय
- इस त्रिमूर्ति ने स्वदेशी आंदोलन के दूसरे चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह आंदोलन, वर्ष 1905 में लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल के विभाजन के बाद जबरदस्त तेजी से फैला था, तथा इसमें सभी आयातित वस्तुओं के बहिष्कार और भारत-निर्मित वस्तुओं के उपयोग का आह्वान किया गया था।
- लाल-बाल-पाल ने बंगाल विभाजन के विरोध में संपूर्ण देश में भारतीयों को संगठित किया तथा ब्रिटिश वस्तुओं के बाहिष्कार, हडतालों, धरना-प्रदर्शन आदि के लिए जनता को प्रेरित किया। बंगाल से आरंभ होकर यह आन्दोलन शीघ्र ही देश के अन्य भागों में फ़ैल गया।
- यह राष्ट्रवादी आंदोलन अपने मुख्य नेता बाल गंगाधर तिलक की गिरफ्तारी तथा बिपिन चंद्र पाल और अरबिंदो घोष द्वारा सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के कारण धीरे-धीरे फीका पड़ गया।
कुछ तथ्य:
- वर्ष 1895 में, लाला लाजपत राय द्वारा पंजाब नेशनल बैंक की शुरुआत की गयी। यह पहला भारतीय बैंक था, जो पूर्णतयाः भारतीय पूंजी से शुरू किया गया था, और आज तक काम कर रहा है।
- वर्ष 1917 में, लाला लाजपत राय ने अमेरिका में इंडियन होम रूल लीग की स्थापना की।
- वर्ष 1884 में, बाल गंगाधर तिलक द्वारा ‘डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी’ की स्थापना की गयी। इस सोसाइटी के तहत, उन्होंने, प्राथमिक शिक्षा के लिए न्यू इंग्लिश स्कूल और उच्च शिक्षा के लिए फर्ग्यूसन कॉलेज की स्थापना की।
- बिपिन चंद्र पाल का विचार था कि स्वदेशी वस्तुओं पर निर्भरता से भारतीय जनता को गरीबी से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।
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