तंत्रता सेनानी वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद हाजी के जीवन पर एक फिल्म का निर्माण किया जा रहा है। इस फिल्म में मलयालम अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन, वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद हाजी की भूमिका निभाएंगे।
वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद हाजी कौन थे?
- 1870 के दशक में जन्मे, वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद
- आग को जलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं।
- हाजी एक बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 20 वीं शताब्दी के आरम्भ में केरल के मालाबार क्षेत्र में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया था तथा कुछ समय के लिए अपने स्वतंत्र शासन की स्थापना की थी।
- उनके पिता, मोइद्दीनकुट्टी हाजी को अंग्रेजों के खिलाफ एक विद्रोह में भाग लेने के लिए अपराध में निर्वासित कर अंडमान द्वीप समूह में जेल भेज दिया गया था। इस प्रकार की घटनाओं ने प्रारंभिक जीवन से ही कुंजामहम्मद के अंदर अंग्रेजों के प्रति प्रतिशोध की
- उन्होंने स्थानीय जनता को अंग्रेजों के विरूद्ध एकत्र करने के लिए कला को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।
- उन्होंने अंग्रेजों तथा जमींदारों के अत्याचारों के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और खिलाफत आंदोलन का समर्थन करने का वादा किया।
- हाजी हिंदू-मुस्लिम एकता की ताकत से अवगत थे तथा उन्होंने धर्मों के लोगों को पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित की थी।
1921 के विद्रोह के कारण
- वर्ष 1921 में खिलाफत नेता अली मुसलियार तथा अन्य देशवासियों को तिरूरांगडी (Tirurangadi) के अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था, तथा मस्जिद में लूट-पाट की गयी।
- इस बात की खबर मिलने पर हाजी ने अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठाने का फैसला किया और उन्होंने सेना की टुकड़ी तैयार की, जिसमे कुछ सिपाहियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
- उन्होंने आन्दोलन का स्वरूप धर्मनिरपेक्ष बनाये रखा। लेकिन साथ ही, उन्होंने अंग्रेजों का साथ देने वाले सभी हिंदू तथा मुसलमानों को निशाना बनाया।
विद्रोह का परिणाम
- हाजी के नेतृत्व में विद्रोह की आग पूर्ववर्ती मालाबार जिले के एर्नाड (Ernad) तथा वल्लुवानाड (Valluvanad) ताल्लुकों में भड़क उठी। इन स्थानों पर नियुक्त ब्रिटिश अधिकारी तथा उनके स्थानीय वफादार इन इलाकों से भाग गए, जिससे इन क्षेत्रों पर विद्रोहियों का
- कब्ज़ा हो गया।
- अगस्त, 1921 में विद्रोहियों ने इस क्षेत्र को ‘स्वतंत्र राज्य’ तथा वरियामकुननाथ कुंजामहम्मद हाजी को इसका निर्विवाद शासक घोषित कर दिया।
- लगभग छह महीने तक, हाजी ने एक समानांतर खिलाफत शासन चलाया। इस स्वतंत्र राज्य का मुख्यालय नीलाम्बुर (Nilambur) में था, तथा इसकी पृथक मुद्रा, पासपोर्ट तथा कराधान व्यवस्था थी।
- हाजी के शासनकाल में, अंग्रेजो द्वारा ख़िलाफ़त शासन को नष्ट करने के किसी भी प्रयास को विफल करने के उद्देश्य से एक बड़ी सेना का गठन किया गया था, जिसमे हिंदूओं की महत्वपूर्ण भागीदारी थी।
- इस दौरान, बटाईदारों को करों में राहत देते हुए उनके द्वारा जोती जा रही भूमि का स्वामित्व अधिकार दिया गया।
हाजी के शासन का अंत
हाजी का शासन लंबे समय तक नहीं चला। जनवरी 1922 में, अंग्रेजो ने हाजी के विश्वासपात्र मित्र उन्नायन मुसालियार (Unyan Musaliyar) के माध्यम से संधि करने के बहाने से गिरफ्तार कर लिया तथा एक ब्रिटिश न्यायाधीश के समक्ष पेश किया। ब्रिटिश न्यायाधीश ने हाजी को उसके साथियों सहित म्रत्युदंड की सजा सुनाई।
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