संदर्भ: यह कहा जाता है कि भारत वर्तमान में ‘गन्स, जर्म्स और स्टील’ के संकट से गुजर रहा है।
(यह नाम, विभिन्न समाजों तथा राष्ट्रों के उद्भव पर प्रसिद्ध विद्वान ‘जेरेड डायमंड’ की क्लासिक पुस्तक, “गन्स, जर्म्स एंड स्टील: द फेट्स ऑफ़ ह्यूमन सोसाइटीज़” के शीर्षक से लिया गया है।
यह भारत में किस स्थति को दर्शाता है?
- बंदूके (Guns): सीमा पर चीन के साथ मुठभेड़ की स्थति
- रोगाणु (Germs): कोरोनावायरस महामारी
- स्टील: उद्योगों की लगभग दिवालियापन की स्थति
भारत के लिए चिंता का विषय क्यों है?
वर्तमान में भारत, सैन्य, स्वास्थ्य और आर्थिक संकटों का एक साथ सामना कर रहा है, यह संकट भावी पीढी को प्रभावित कर सकते हैं।
इनमें से प्रत्येक अपने आप में एक विशिष्ट संकट है, जिसके लिए पृथक समाधान की आवश्यकता है।
- चीनी सैन्य खतरे से निपटने के लिए देश की रक्षा और विदेशी मामलों से संबंधित एजेंसियों द्वारा तत्काल रणनीतिक कार्यवाहियों के किये जाने की आवश्यकता है।
- COVID-19 स्वास्थ्य महामारी से निपटने हेतु स्वास्थ्य मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन द्वारा निरंतर निगरानी की आवश्यकता है।
- आर्थिक मंदी एक बहुत बड़ी चुनौती है जिसको हल करने हेतु दूरदर्शी नीतियों को लागू करने की आवश्यकता है।
समय की मांग:
इन सभी समस्याओं के समाधान हेतु महत्वपूर्ण वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता है।
- एक महाशक्ति पड़ोसी द्वारा एक सैन्य खतरे का सामना करने हेतु सरकार के लिए बड़े स्तर पर वित्तीय संसधानो की आवश्यकता होगी, (कारगिल युद्ध से यह साबित हो चूका है)।
- COVID-19 महामारी से निपटने हेतु केंद्र सरकार को GDP के कम से कम एक प्रतिशत हिस्से के बराबर के अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी।
- लॉकडाउन से हमारी अर्थव्यवस्था के सभी चार प्रमुख स्तम्भ- जनता द्वारा उपभोग पर व्यय, सरकारी खर्च, निवेश तथा बाहरी व्यापार– बुरी तरह प्रभावित हुए है।
समाधान के तरीके
सरकार द्वारा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का अतिरिक्त 8% व्यय करने तथा राजस्व को GDP का 2% तक करने की आवश्यकता है।
राजस्व के संभावित नए स्रोत जैसे कि संपत्ति कर अथवा बड़े पूंजीगत लाभ करों पर मध्यम अवधि के लिए विचार किया जा सकता हैं, परन्तु तत्काल में यह उपाय कारगर साबित नहीं होंगे।
इससे उत्पन्न होने वाला नया संकट
समस्त समाधानों को पूरा करने के लिए सरकार को प्रचुर मात्रा में ऋण लेने की आवश्यकता होगी।
इससे ‘गन्स, जर्म्स और स्टील’ के संकट” में एक चौथा आयाम जुड़ेगा; “कबाड़ संकट” (Junk Crisis)।
बढ़ते कर्ज के स्तर के साथ, अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भारत की निवेश रेटिंग को “कबाड़” में बदल सकती है, जिससे विदेशी निवेशकों की आशंका में वृद्धि होगी।
निष्कर्ष:
भारत, इस प्रकार, देश की सीमाओं, नागरिकों और अर्थव्यवस्था को बचाने अथवा “जंक” रेटिंग को रोकने हेतु एक कठिन ‘दशरथ-दुविधा’ का सामना कर रहा है।
सरकार के पास दो विकल्प है, या तो निर्भीक होकर बचाव मिशन की शुरुआत करे, अथवा सारी स्थिति को यथा-रूप में छोड़ दे और सभी स्थितियों के स्वतः हल हो जाने की उम्मीद करे।
सभी पहलुओं पर विचार करने के पश्चात यह उचित लगता है, कि इस समय सबसे बेहतर कार्यवाही यह होगी कि, भारत ‘गन्स, जर्म्स और स्टील’ के संकट से निकलने हेतु स्थिर होकर पर्याप्त मात्रा में ऋण संसाधन जुटाए तथा बाद में ‘जंक’ के संभावित खतरे से राष्ट्रीय स्तर पर निपट ले।
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