Monday, 22 June 2020

रूस-भारत-चीन समूह

चर्चा का कारण
भारत 23 जून को होने वाली ‘रूस-भारत-चीन समूह’ की वर्चुअल बैठक में भाग लेगा।
मंत्रिस्तरीय वार्ता में सम्मिलित होने के भारतीय निर्णय ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) पर तनाव कम करने हेतु एक रास्ता खोला है। रूसी राजनयिक स्रोतों ने पूर्वी लद्दाख में तनाव की स्थिति पर ‘रचनात्मक संवाद’ का समर्थन करने का संकेत दिया है।
RIC क्या है?
रूस-भारत-चीन समूह (Russia-India-China- RIC) की परिकल्पना वर्ष 1998 में तत्कालीन रूसी विदेश मंत्री येवगेनी प्रिमकोव (Yevgeny Primakov) द्वारा की गई थी।
इस समूह की स्थापना का उद्देश्य “अमेरिका द्वारा निर्देशित विदेश नीति को समाप्त करना“, तथा भारत के साथ पुराने संबंधों को नवीनीकृत करना और चीन के साथ नई दोस्ती को बढ़ावा देना था।
RIC समूह का महत्व तथा क्षमताएं
RIC देशों का, संयुक्त रूप से क्षेत्रफल वैश्विक भू-भाग के 19 प्रतिशत से अधिक है तथा संयुक्त रूप से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 33 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं।
इस समूह के तीनों देश परमाणु शक्ति संपन्न है तथा इसके दो देश, रूस और चीन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) के स्थायी सदस्य हैं, जबकि भारत UNSC की सदस्यता के लिए प्रयासरत है।
ये तीनो देश एक नयी वैश्विक आर्थिक संरचना के निर्माण में योगदान करने में सक्षम हैं। यह समूह आपदा राहत और मानवीय सहायता हेतु एक साथ काम कर सकता है।
भारत के लिए RIC का महत्व
  1. रूस-भारत-चीन (RIC), शंघाई सहयोग संगठन ( Shanghai Cooperation Organisation- SCO) के आधार का निर्माण करते है।
  2. भारत, भू-सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थिति में अवस्थित है।
  3. सागरीय और महाद्वीपीय, दोनों क्षेत्रों में चीन के आधिपत्य को चुनौती देने हेतु भारत के लिए यह समूह काफी महत्वपूर्ण है।

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