समस्त विश्व में COVID-19 महामारी ने शिक्षा को काफी प्रभावित किया है।
- अधिकांशतः शिक्षण ऑनलाइन माध्यम परिवर्तित हो गया है।
- जहाँ भी संभव है, उच्च शिक्षा, डिजिटल हो गयी है।
भारत सरकार के प्रयास:
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उच्च शिक्षा के लिए ‘नेशनल प्रोग्राम ऑन टेक्नोलॉजी इन्हैन्स्ड लर्निंग’ (NPTEL) तथा ‘स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स’ (SWAYAM) मंचों के माध्यम से ‘मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज़’ (Massive Open Online Courses- MOOCs) का प्रयोग करने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है।
परन्तु, भारत में, शिक्षाविदों तथा नीति निर्माताओं द्वारा ऑनलाइन शिक्षा पर सावधानी बरतने की सलाह दी जाती हैं। क्यों?
- भारत में मौजूद, ग्रामीण तथा शहरी बुनियादी ढांचे में विषमता, कर्मचारियों की परिवर्तनीय गुणवत्ता, और विविध प्रकार के पढाये जाने वाले विषय।
- जिन विषयों की पढाई के लिए, पारंपरिक प्रयोगशाला तथा प्रयोगात्मक अवयवों की आवश्यकता होती है, ऑनलाइन शिक्षण उनका विकल्प नहीं हो सकता है।
- शिक्षा में प्रौद्योगिकी के समावेशन तथा प्रयोग हेतु विशिष्ट संस्थानों तथा उनकी अवस्थिति पर निर्भरता: बैंडविड्थ और विश्वसनीय कनेक्टिविटी के मामले में देश में काफी बड़ा डिजिटल विभाजन, तथा साथ ही, वितीय स्रोतों तक पहुँच में विषमता।
- शिक्षा के ऑनलाइन करने से सभी विषयों में शैक्षणिक अनुसंधान पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसके लिए अनुसंधान पर्यवेक्षण में व्यक्तिगत रूप से वार्ता तथा चर्चा की आवश्यकता है।
- सभी छात्रों की इंटरनेट तक समान पहुंच नहीं है, और किसी भी संस्थान की किसी भी कक्षा में आधे से अधिक छत्रों के पास अपने घरों से रियल टाइम में व्याख्यान में भाग लेने हेतु आवश्यक हार्डवेयर और इलेक्ट्रिकल कनेक्टिविटी नहीं होती है।
- अधिकाँश ऑनलाइन कक्षाएं, नियमित कक्षा के व्याख्यानों का ख़राब वीडियो संस्करण होती हैं। सभी शिक्षक इससे संतुष्ट नहीं हैं।
इसमें किस प्रकार सुधार किया जा सकता है?
भारत में यह उच्च शिक्षा की पुनर्कल्पना करने का अवसर है। काफी लंबे समय से भारत में उच्च शिक्षा अभिजात्य स्वरूप में तथा बहिष्कृत करने वाली रही है; शिक्षा, ज्ञान अर्जन के बारे में कम तथा डिग्री हासिल करने के बारे में अधिक हो चुकी है। यदि हम चाहें तो, महामारी के दौरान इसमें परिवर्तन किया जा सकता है।
शिक्षा में सुधार हेतु कुछ उपाय:
- उदाहरणार्थ, गांधीजी की अवधारणा, “नई तालीम” में स्व-अध्ययन तथा अनुभवात्मक ज्ञान को विशेष प्राथमिकता दी गयी है।
- प्रत्येक छात्र को उसके सीखने की जरूरतों के आधार पर व्यक्तिगत रूप से शिक्षण हेतु ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (Artificial Intelligence– AI) जैसे डिजिटल उपकरणों का प्रयोग किया जा सकता है।
- शैक्षणिक सामग्री को अन्य राष्ट्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाना चाहिए; इससे शिक्षा तक पहुंच में विस्तार होगा, तथा दूरदराज के संस्थानों में कर्मचारियों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।
- डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने तथा और प्रत्येक जरूरतमंद छात्र की लैपटॉप या स्मार्टफोन तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए राज्य को अधिकाँश जिम्मेदारी उठानी होगी।
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