प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी के चलते गांवों में लौटने वाले प्रवासी कामगारों को रोजगार और आजीविका हेतु व्यापक अवसर उपलब्ध कराने के लिए ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ का शुभारम्भ किया।
प्रमुख विशेषताएं
- इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य वापस आए प्रवासी श्रमिकों को आजीविका के अवसर प्रदान करके उनकी तत्काल जरूरतों को पूरा करना है।
- इस अभियान में केवल ग्रामीण श्रमिकों पर ध्यान दिया गया है।
- 125 दिन का यह अभियान मिशन के रूप में काम करेगा, इसमें 116 जिलों में 25 श्रेणी के कार्यों/ गतिविधियों के कार्यान्वयन पर ध्यान केन्द्रित होगा।
- इस अभियान के दौरान 50,000 करोड़ रुपये के सार्वजनिक कार्य कराए जायेंगे।
- इसके माध्यम से 25 सार्वजनिक आधारभूत ढांचागत कार्य और आजीविका के अवसर बढ़ाने से संबंधित कार्यों का कार्यान्वयन किया जाएगा।
- गाँवों को सामान्य सेवा केंद्रों (Common Service Centres– CCS) और कृषि विज्ञान केंद्रों(Krishin Vigyan Kendras- KVK) के माध्यम से इस कार्यकम से जोड़ा जायेगा।
योजना का कार्यान्वयन
इस अभियान को विभिन्न मंत्रालयों/विभागों यथा; ग्रामीण विकास, पंचायती राज, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, खान, पेयजल व स्वच्छता, पर्यावरण, रेलवे, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, सीमा सड़कें, दूरसंचार और कृषि द्वारा समन्वित रूप से कार्यान्वित किया जायेगा।
अभियान के तहत 6 जिलों के चुनाव का कारण
- ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ के अंतर्गत बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और ओडिशा राज्यों को चुना गया है।
- COVID-19 लॉकडाउन के बाद, सर्वाधिक प्रवासी श्रमिक इन छह राज्यों में वापस लौटे हैं।
- इन जिलों से दो तिहाई प्रवासी श्रमिकों के लाभान्वित होने का अनुमान है।
- कुल 116 ज़िलों को इस अभियान के लिये चुना गया है, जिसमें 27 आकांक्षी ज़िले (aspirational districts) भी सम्मिलित हैं।
योजना का महत्व
इन अभियान के अंतर्गत प्रदान किये गए रोजगार अवसरों से श्रमिकों की क्षमता तथा कौशल का उचित उपयोग हो सकेगा।
इस अभियान में, आधुनिक सुविधाओं, जैसे कि इंटरनेट कनेक्टिविटी, ऑप्टिक फाइबर केबलों को बिछाने, गांवों में इंटरनेट की गति बढ़ाने के लिए सम्मिलित किया गया है, ताकि गांवों में बच्चे शहरी बच्चों की तरह पढ़ाई कर सकें।
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