डिजिटल व्यवसाय के दिग्गजों के लिए वैश्विक कर प्रणाली को दुरस्त करने के उद्देश्य से चल रही वार्ता से संयुक्त राज्य अमेरिका कथित तौर अलग हो गया है। इसके साथ, फ्रांस ने अब तथाकथित GAFA कर पर “गतिरोध” की पुष्टि कर दी है।
चिंता का विषय
फ्रांस के साथ-साथ यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, इटली तथा अन्य देशों ने सबसे बड़ी डिजिटल कंपनियों पर कर लगा चुके है।
अमेरिकी अधिकारीयों ने यूरोपीय देशों से असहमति जताते हुए कहा है कि, यह कदम अमेरिकी फर्मों के प्रति भेदभावपूर्ण है। अमेरिका का कहना है कि, नए कर-प्रावधानों के लिए वर्तमान अन्तराष्ट्रीय कर नियमों के व्यापक रूप से पुनर्गठन की आवश्यकता है।
अब, अमेरिका ने कर संबधी वार्ता से अपने को अलग कर लिया है, जिससे ट्रांस-अटलांटिक व्यापार विवाद के पुनः भड़कने की संभावना उत्पन्न हो गयी है।
पृष्ठभूमि
जनवरी में, 137 देशों द्वारा आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development, OECD) के तत्वावधान में, वर्ष 2020 के अंत तक बहुराष्ट्रीय प्रोद्योगिकी कंपनियों पर कर लगाने के लिए एक समझौते पर बातचीत करने पर सहमति व्यक्त की गयी थी।
फ्रांस, ब्रिटेन, इटली और स्पेन ने OECD के लिए एक निष्पक्ष डिजिटल कर प्रणाली पर अपनी सहमति भेज दी है।
अतिरिक्त जानकारी
GAFA टैक्स क्या है?
GAFA टैक्स, का नामकरण Google, Apple, Facebook, तथा Amazon कंपनियों के नाम को मिलाकर किया गया है। यह विश्व की बड़ी प्रौद्योगिकी तथा इंटरनेट कंपनियों पर लगाया जाने वाला एक प्रस्तावित डिजिटल कर है। फ्रांस, ने डिजिटल कंपनियों द्वारा देश में अर्जित कुल राजस्व पर 3% GAFA टैक्स लगाने का निर्णय लिया है।
डिजिटल कंपनियों पर अलग कर लगाने के पीछे तर्क
- वर्तमान कर विधान परम्परागत व्यापार मॉडल को ध्यान में रखते हुए तैयार किये गए थे, जो कि, ऑनलाइन सेवाओं को विनियमित करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
- प्रौद्योगिकी कंपनियां, पारंपरिक व्यवसायों से भिन्न होती हैं। डिजिटल कंपनियों के व्यवसाय पर कराधान कठिन होता है क्योंकि सामान्यतः जिस अर्थव्यवस्था में ये व्यवसाय कर रही होती हैं वहाँ पर इनकी भौतिक रूप से उपस्थिति नहीं होती है।
- कई कंपनियों द्वारा स्थापित की गयी जटिल कॉरपोरेट संरचना प्रमुख यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं से भारी राजस्व लाभ अर्जित करती हैं, परन्तु टैक्स से बचने के लिए अपने लाभ को कम टैक्स वाले स्थानों पर स्थानांतरित कर देती है, इससे इन देशों को प्राप्त होने वाले राजस्व में कमी होती है।
- यूरोपीय देशों में विशेष रूप से तथाकथित GAFA – Google, Apple, Facebook और Amazon – कम्पनियाँ टैक्स नियमों का गलत तरीके से इस्तेमाल करती हैं। ये कंपनिया यूरोपीय देशों से अर्जित लाभ को अन्यत्र टैक्स-हैवन देशों में घोषित करती है, जिससे यूरोपीय देशों को वित्तीय हानि पहुचती है।
भारत में डिजिटल टैक्स
भारत में 560 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, तथा यह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन उपयोगकर्ता है। अतः इसके कर राजस्व आधार के दृष्टिकोण से, डिजिटल व्यवसायों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हालांकि, अन्य देशों के समान भारत में भी माजूदा कर-विधान पारंपरिक व्यापार मॉडल के लिए अनुकूल है, इसलिए नए व्यवसायिक प्रारूपों के अनुसार, भारत में भी कर-विधानों के पुनर्गठन की आवश्यकता है।
हाल ही में किये गए संशोधन
कुछ समय पूर्व भारतीय कराधान में, डिजिटल माध्यमों से अर्जित आय को उचित कर-प्रणाली के अंतर्गत लाने हेतु दो महत्वपूर्ण संशोधन प्रस्तावित किए गए –
- इक्विलाइजेशन लेवी (Equalization Levy)
- भारत ने पहली बार वर्ष 2016 में समतुल्य लेवी लागू की थी। वर्तमान में यह डिजिटल विज्ञापन से संबंधित कार्य करने वाली कंपनियों के एक छोटे समूह पर लागू है।
- इस प्रावधान में नया संशोधन 1 अप्रैल, 2020 से प्रभावी हुआ है, इसके अंतर्गत, कर आधार को ऑनलाइन विज्ञापन से बढाकर लगभग सभी ऑनलाइन वाणिज्य गतिविधियों तक विस्तृत कर दिया गया है।
- महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति मॉडल की अवधारणा
(Significant Economic Presence Model- SEP)
SEP का उद्देश्य, विदेशों में स्थिति, परन्तु, भारत में व्यवसाय करने वाली कंपनिओं को देश के कर- दायरे में लाना है।
भारत सरकार द्वारा अपनाए गए मानदंड के अनुसार एक अनिवासी कंपनी या व्यवसाय को निम्न स्थितियों में अंतर्गत भारत में SEP के अंतर्गत माना जाता है:
- यदि भारत के भीतर अनिवासी कंपनी या व्यवसाय द्वारा किये गए लेनदेन के माध्यम से उसे निर्धारित की गई राशि से अधिक राजस्व प्राप्त होता है।
- यदि गैर-निवासी व्यवस्थित रूप से और लगातार भारत में डिजिटल माध्यमों से व्यापार करता है;
- यदि गैर-निवासी डिजिटल माध्यम से भारत में उपयोगकर्त्ताओं के साथ संबंध स्थापित करते हैं।
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