हाल ही में, यूनेस्को द्वारा ‘वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट’ (Global Education Monitoring Report– GEM), 2020 जारी की गयी है।
GEM रिपोर्ट, 2020 में, शिक्षा संबधी ‘सतत विकास लक्ष्य’-4 (Sustainable Development Goal 4- SDG 4) के अंतर्गत प्रगति का मूल्यांकन किया गया है।
मुख्य निष्कर्ष:
- COVID-19 महामारी के कारण, विश्व की शिक्षा प्रणालियों में असमानताओं में वृद्धि हुई है।
- विश्व में लगभग 40% अल्प तथा निम्न-मध्यम आय वाले देश COVID-19 से उपजे संकट के दौरान लागू लॉकडाउन में स्कूल बंद होने पर छात्रों के लिए पढाई हेतु उचित माध्यम उपलब्ध कराने में विफल रहे हैं। इसके साथ ही इन देशों में, निर्धन, भाषाई अल्पसंख्यकों तथा विकलांग छात्रों को पढाई से वंचित होने के सकंट का सामना करना पड़ा।
- महामारी के दौरान पढाई को जारी रखने के प्रयासों से गैर-सुविधा प्राप्त छात्रों में बहिष्करण की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। अप्रैल 2020 में, विश्व भर में स्कूल बंद होने के दौरान, लगभग 91% छात्र स्कूल से बाहर थे।
शैक्षणिक विकल्पों के साथ समस्याएं:
- स्कूल बंद होने के दौरान, शैक्षणिक संस्थाओं ने दूरस्थ शिक्षा प्रणालियों से पढाई जारी रखने का प्रयास किया, परन्तु, कक्षा में पढाई के विकल्प के रूप में अपर्याप्त व्यवस्था प्रदान कर पाए।
- कई गरीब देशों ने रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से पढाई का विकल्प चुना, तथा निम्न आय वाले 55% देशों ने, निम्न-मध्यम-आय वाले 73% देशों तथा उच्च-मध्यम-आय वाले 93% देशों ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों को चुना।
- सरकारों की प्रौद्योगिकी पर बढ़ती निर्भरता के कारण डिजिटल विभाजन ने शिक्षा-प्रणाली के इन माध्यमों की सीमाओं को उजागर कर दिया है।
- सभी छात्रों और शिक्षकों को उपलब्ध प्लेटफार्मों का लाभ उठाने के लिए पर्याप्त इंटरनेट कनेक्शन, उपकरण, कौशल तथा अन्य आवश्यक सुविधाएं प्राप्त नहीं है।
सुविधाहीन विद्यार्थियों के लिए समस्याएं
- स्कूल बंद होने से, वह सभी प्रणालियाँ भी बाधित हो गयी जिससे कई वंचित शिक्षार्थी लाभान्वित होते हैं।
- नेत्रहीन तथा बहरे छात्रों के लिए पढाई के संसाधन स्कूलों के बाहर उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।
- ऑटिज्म तथा अन्य अक्षमता ग्रस्त बच्चों को कंप्यूटर के सामने कार्य करने अथवा दैनिक स्कूल दिनचर्या के बाधित होने की चुनौती का सामना करना पड़ा है।
- निर्धन छात्रों की, जिन्हें स्कूल में मुफ्त भोजन या मुफ्त सैनिटरी नैपकिन की सुविधा प्राप्त होती है, स्कूल बंद होने से मुसीबते बढी है।
परीक्षाओं का रद्द होना
- भारत सहित कई देशों में परीक्षाओं को रद्द होने से छात्रों की स्कोरिंग के लिए शिक्षकों के निर्णयों पर निर्भरता में वृद्धि हो सकती है।
- इससे छात्रों की छवि के अनुसार परिणाम प्रभावित हो सकता है।
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