कीलादी में छठे चरण की खुदाई के दौरान एक बच्चे के कंकाल के अवशेष मिले हैं। यह कंकाल दो टेराकोटा कलशों के बीच दफन पाया गया है।
कीलादी उत्खनन के बारे में
- ‘कीलादी’, तमिलनाडु में मदुरै से लगभग 13 किमी. दक्षिण पूर्व में वैगई नदी के किनारे स्थित है। कीलादी में हुई खुदाई से प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर पता चलता है, कि तमिलनाडु में संगमकाल के दौरान वैगई नदी के किनारे एक नगरीय सभ्यता की उपस्थिति थी।
- खुदाई के दौरान प्राप्त हुए पुरावशेषों से लौह युग (12 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व) तथा प्रारंभिक ऐतिहासिक काल (छठी शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व) के मध्य गायब कड़ी को समझने के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य प्राप्त हुए है।
- साक्षर समाज: उत्खनन में तमिल ब्राह्मी लिपि के बारे में पता चला है। कच्चे तथा पके हुए बर्तनों पर तमिल ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण अक्षरों के प्रमाण मिले हैं। इससे छठी शताब्दी ईसा पूर्व में साक्षरता के स्तर का संकेत मिलता है।
- पशुपालन करने वाला कृषि समाज: गाय, बैल, भैंस, भेड़-बकरी, नीलगाय, ब्लैक बक, जंगली सुअर और मोर के कंकालो के अवशेषों यह ज्ञात होता है कि कीलादी समाज में कृषि कार्यों हेतु पशुओं का प्रयोग किया जाता था।
- उच्च जीवन स्तर: टूटी-फूटी अवस्था में ऊँची दीवारें, अच्छी तरह से बिछाया गया फर्श, छत पर लगी हुई टाइलें, लोहे की कीलों से जड़े खम्बे तथा कड़ियाँ आदि, संगम काल में उच्च जीवन शैली का प्रमाण देती है।
- उत्खनन में प्राप्त वस्तुएं: ईंटो से निर्मित संरचनाएं, टेराकोटा गोले (Terracotta Sphere), टाइल लगी हुई ध्वंस छतें, तांबे की वस्तुओं के टुकड़े, लोहे से निर्मित उपकरण, टेराकोटा निर्मित शतरंज के टुकड़े, कान के गहने, कताई का सामान, मूर्तियाँ, काले और लाल मृद्भांड, तथा खुरदरे मृद्भांडों के टुकड़ों के अतिरिक्त कांच के मनके तथा अर्द्ध कीमती पत्थर आदि वस्तुएं प्राप्त हुई हैं।
- उत्खनन में मृद्भांडों पर, तथा खुदाई स्थल पर तथा आसपास की गुफाओं और चट्टानों पर भित्तिचित्रों के चिन्ह पाए गए हैं।
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