वैश्विक आतंकी वित्तपोषण पर नजर रखने वाले संगठन ‘वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ (Financial Action Task Force– FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे-सूची में रखने का फैसला किया है। पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकी संगठनों पर लगाम कसने में विफल रहा है जिसको देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
पृष्ठभूमि
FATF की फरवरी, 2020 में हुई बैठक में, इस्लामाबाद को चेतावनी दी गयी थी, कि पाकिस्तान को आतंकवादी वित्तपोषण पर कार्यवाही करने के लिए लिए दी गयी सभी सीमायें समाप्त हो चुकी है, और यदि पाकिस्तान, इसी वर्ष जून तक संबंधित आतंकियों पर कार्यवाही नहीं करता है तो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स उस पर कार्यवाही करेगा।
इससे पहले, FATF के पेरिस सत्र में भी पाकिस्तान द्वारा 27-सूत्रीय कार्ययोजना को निर्धारित समय सीमा में पूरा करने विफल रहने पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। यह समय-सीमा सितंबर 2019 में समाप्त हुई थी।
निहितार्थ:
पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ सम्मिलित होने के बाद, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) और यूरोपियन यूनियन जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा।
पाकिस्तान, पहले से अस्थिर आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है, ऐसे में FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ से उसकी स्थिति अधिक खराब होगी।
इसके अतिरिक्त, वैश्विक संस्था द्वारा पाकिस्तान को ‘ब्लैक लिस्ट‘ में सूचीबद्ध करने की पूरी संभावना है।
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के बारे में:
FATF का गठन 1989 में जी-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में हुआ था। यह एक अंतर-सरकारी निकाय है।
इसका सचिवालय पेरिस में ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (Economic Cooperation and Development– OECD) मुख्यालय में स्थित है।
सदस्य देश: फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) वर्त्तमान में 39 सदस्य सम्मिलित हैं। इसके सदस्य विश्व के अधिकांश वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें 2 क्षेत्रीय संगठन भी सम्मिलित हैं- गल्फ ऑफ कोऑपरेशन कौंसिल (GCC) तथा यूरोपियन कमीशन (EC)।
FATF की डिसीज़न मेंकिंग बॉडी FATF प्लैनरी है जिसकी हर साल तीन बार बैठक होती है। इसकी प्रति वर्ष तीन बैठकें होती है।
ब्लैक लिस्ट तथा ग्रे लिस्ट
ब्लैक लिस्ट: आतंकी वितपोषण तथा मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित गतिविधियों का समर्थन करने वाले तथा इन गतिविधियों पर रोक लगाने वाले वैश्विक प्रावधानों से सहयोग नहीं करने वाले देशों (Non-Cooperative Countries or Territories– NCCTs) को ‘ब्लैक लिस्ट’ में रखा जाता है।
FATF द्वारा नियमित रूप से ब्लैकलिस्ट का संशोधन किया जाता है, जिसमे नयी प्रविष्टियों को शामिल अथवा हटाया जाता है।
ग्रे लिस्ट: जिन देशों को आतंकी वितपोषण तथा मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित गतिविधियों के लिए सुरक्षित माना जाता है, उन्हें FATF द्वारा ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया जाता है।
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