Thursday, 18 June 2020

भारत-चीन गलवान घाटी गतिरोध

एक तरफ भारत और चीन सैन्य-स्तरीय वार्ता और व्यवस्था नियंत्रण में व्यस्त है, वही दूसरी ओर दोनों पक्षों की सेना के सैनिकों के बीच हिंसक मुठभेड़ हो रही है।
हाल ही में, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और भारतीय सेना के मध्य आपस में मुठभेड़ हुई, जिसमे दोनों ओर से पत्थरों, चाकुओं और धारदार हथियारों से प्राणघातक हमले किये गए।
यह घटना पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में स्थित गलवान घाटी में हुई।
पृष्ठभूमि
भारत और चीन के बीच करीब 3,440 किमी (2,100 मील) से अधिक लंबी सीमा है, जिस पर कुछ स्थानों पर दोनों देश एक दूसरे पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाते है।
पिछले एक महीने से, भारतीय और चीनी सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा के तीन स्थानों, गलवान नदी घाटी, हॉट स्प्रिंग्स एरिया, तथा पैंगोंग झील, पर तनावपूर्ण स्थिति में भिड़ी हुई हैं।
 गलवान नदी घाटी (Galwan River Valley– GRV) का सामरिक महत्व
गलवान घाटी क्षेत्र लद्दाख़ और अक्साई चीन के मध्य भारत-चीन सीमा के निकट है। इसी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा अक्साई चीन को भारत से विभाजित करती है।
अक्साई चीन घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग क्षेत्र से लेकर भारत के लद्दाख़ क्षेत्र तक फैली हुई है, और यही कारण इसे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है।
अक्साई चिन भारत-चीन के मध्य विवादित क्षेत्र है, जिस पर भारत द्वारा दावा किया जाता है, वर्तमान में यह चीन द्वारा नियंत्रित है।
इस क्षेत्र में तनाव बढ़ने का कारण
भारत लेह से काराकोरम पास को जोड़ने वाला 255 किलोमीटर लंबा दार्बुक-श्योक- दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO road) रोड का निर्माण रहा है।
यह सड़क श्योक नदी के समानांतर है तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा के नजदीक संचार के लिए बहुत  महत्वपूर्ण है।
इसलिए, चीनी इस क्षेत्र पर नियंत्रण करना चाहते है, क्योंकि उन्हें डर है कि भारत इस नदी घाटी का उपयोग करके अक्साई चिन पठार पर चीन के अधिकार को समाप्त कर सकता है।
आगे की राह
चीन, सभी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों पर यथास्थिति को चुनौती देते हुए आक्रामक होने की नीति अपना रहा है। चीन की इस नीति के कई उदहारण दक्षिण चीन सागर में देखे जा सकते है।
भारत सरकार के लिए, भारत-चीन सीमा विवाद पर, दक्षता पूर्वक कूटनीति से काम लेने का समय है। भारत और चीन को वार्ता से सीमा पर तनाव कम किये जाने तथा मतभेदों को दूर करने की आवश्यकता है।

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