भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए कड़े मानदंड प्रस्तावित किए गए हैं।
प्रस्तावित मानदंड
- हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (HFC) के लिए शुद्ध परिसंपत्तियों का कम से कम 50% ‘अर्हक संपत्ति’ की प्रकृति में होना चाहिए, जिनमें से कम से कम 75% को व्यक्तिगत आवास ऋण के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए।
- ऐसे HFC जो मानदंड को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें NBFC- निवेश और क्रेडिट कंपनियों (NBFC-ICCs) के रूप में माना जाएगा और इसके लिए HFC से NBFC-ICC में पंजीकरण हेतु रूपांतरण प्रमाणपत्र के लिए RBI से संपर्क करना होगा।
- वे NBFC-ICCs जो HFC के रूप में बने रहना चाहते हैं, उन्हें अपनी कुल संपत्ति का 75% व्यक्तिगत आवास ऋण प्रदान करने हेतु निर्धारित रोडमैप का पालन करना होगा।
- इसके लिए 31 मार्च 2022 तक 60%, 31 मार्च 2023 तक 70% और 31 मार्च 2024 तक 75% का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- RBI ने न्यूनतम शुद्ध स्वामित्व फंड (Minimum Net-Owned Fund- NOF) की राशि 10 करोड़ रु. से बढाकर 20 करोड़ रु करने का भी प्रस्ताव किया है।
अर्हक परिसंपत्ति (Qualifying Assets) क्या हैं?
RBI ने ‘अर्हक परिसंपत्तियों’ को किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के लिए ऋण के रूप में परिभाषित किया है, जिसमे सहकारी समितियों, नई आवासीय इकाइयों के निर्माण / खरीद के लिए ऋण, मौजूदा आवास इकाइयों के नवीनीकरण के लिए व्यक्तियों को ऋण, आवासीय इकाइयों के निर्माण के लिए बिल्डरों को ऋण को सम्मिलित किया गया है।
विनियामक निरीक्षण
- एक आवास वित्त कंपनी को RBI के नियमों के तहत एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Financial Company- NBFC) माना जाता है।
- यदि किसी कंपनी की वित्तीय परिसंपत्तियां उसकी कुल परिसंपत्तियों के 50% से अधिक होती है तथा वित्तीय परिसंपत्तियों से होने वाली आय, उसकी सकल आय के 50% से अधिक होती है, तो, उस कंपनी को NBFC के रूप में माना जाता है।
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