Sunday, 28 June 2020

आसियान देशो को दक्षिणी चीन सागर में तनाव संबधी चेतावनी

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चर्चा का कारण

चीन, अन्य देशों के विशेष आर्थिक क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रहा है, जबकि संबंधित देश COVID-19 महामारी से निपटने में उलझे हुए है। चीन के इरादों को भांपते हुए, अमेरिका ने चीन से उसके “दादागिरी वाले व्यवहार” को रोकने के लिए कहा है।

  • अप्रैल में, बीजिंग ने एकतरफा रूप से विवादित द्वीपों पर नए प्रशासनिक जिलों के निर्माण की घोषणा की थी, इन द्वीपों पर वियतनाम तथा फिलीपींस भी अपने-अपने अधिकार का दावा करते है।
  • अप्रैल के आरंभ में, वियतनाम ने दावा किया, कि उसकी एक मछली पकड़ने वाली नाव एक चीनी समुद्री निगरानी पोत द्वारा नष्ट कर दी गयी थी।
  • जनवरी माह में, एक चीनी जहाज द्वारा, इंडोनेशिया के उत्तरी द्वीपों के तटवर्ती विशेष आर्थिक क्षेत्र का अतिक्रमण किया गया था।

इन घटनाओं के मद्देनजर, वियतनाम और फिलीपींस को दक्षिण पूर्व एशिया में बढ़ती असुरक्षा के संबंध में चेताया गया है।

इसके अलावा,  चीन द्वारा, अक्सर ‘नाइन-डैश लाइन’ (Nine-Dash line) का उपयोग अपने समुद्र क्षेत्रीय दावों के लिए किया जाता है, इसके माध्यम से चीन का इंडोनेशिया के साथ एक बार फिर विवाद हो रहा है। इंडोनेशिया का कहना है कि इस लाइन का कोई अंतरराष्ट्रीय कानूनी आधार नहीं है।

चिंता का प्रमुख कारण:

‘क्षेत्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीकों से हल करना’, ‘दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन’ (Association of Southeast Asian Nations- ASEAN) के मूलभूत सिद्धांतों में से एक है। परन्तु, इन वर्षों में, दक्षिण चीन सागर विवादों पर आसियान की स्थिति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को कमजोर किया है। आसियान द्वारा इन विवादों को हल करने में विफल रहने से एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन के रूप में इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए हैं।

विवादों के बारे में:

चीन के दक्षिणी चीन सागर तथा क्षेत्र में स्थित अन्य देशो से विवादो के केद्र में समुद्री क्षेत्रों में संप्रभुता स्थापित करने संबंधी विवाद है। इस क्षेत्र में ‘पारसेल द्वीप समूह’ (Paracels Islands) तथा ‘स्प्रैटली द्वीप समूह’ (Spratley Islands) दो श्रंखलाएं अवस्थित है, यह द्वीप समूह कई देशों की समुद्री सीमा में बिखरे हुए है, जोकि इस क्षेत्र में विवाद का एक प्रमुख कारण है।

पूर्ण विकसित द्वीपों के साथ-साथ स्कारबोरो शोल जैसी, दर्जनों चट्टानेएटोलसैंडबैंक तथा रीफ भी विवाद का कारण हैं।

विभिन्न देशों के विवादित क्षेत्र पर दावे

  1. चीन:

इस क्षेत्र में सबसे बड़े क्षेत्र पर अधिकार का दावा करता है, इसके दावे का आधार ‘नाइन-डैश लाइन’ है, जो चीन के हैनान प्रांत के सबसे दक्षिणी बिंदु से आरंभ होकर सैकड़ों मील दक्षिण और पूर्व में फली हुई है।

  1. वियतनाम:

वियतनाम का चीन के साथ पुराना ऐतिहासिक विवाद है। इसके अनुसार, चीन ने वर्ष 1940 के पूर्व कभी भी द्वीपों पर संप्रभुता का दावा नहीं किया था, तथा 17 वीं शताब्दी के बाद से ‘पारसेल द्वीप समूह’ तथा ‘स्प्रैटली द्वीप समूह’ पर वियतनाम का शासन रहा है – और इसे साबित करने के लिए उसके पास पर्याप्त दस्तावेज मौजूद हैं।

  1. फिलीपींस:

फिलीपींस और चीन दोनों स्कारबोरो शोल (इसे चीन में हुआंग्यान द्वीप के रूप में जाना जाता है) पर अपने अधिकार का दावा करते हैं। यह फिलीपींस से 100 मील और चीन से 500 मील की दूरी पर स्थित है।

  1. मलेशिया और ब्रुनेई:

ये देश दक्षिण चीन सागर में अपने अधिकार-क्षेत्र का दावा करते हैं, इनका कहना है कि, संबंधित क्षेत्र ‘यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ द लॉ ऑफ द सी’ (United Nations Convention on the Law of the Sea– UNCLOS), 1982 द्वारा निर्धारित उनके विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में आता है।

हालांकि, ब्रुनेई किसी भी विवादित द्वीप पर अपने अधिकार-क्षेत्र का दावा नहीं करता है, परन्तु मलेशिया ‘स्प्रैटली द्वीप समूह’ में एक छोटे से हिस्से पर अपना दावा करता है।

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