हाल ही में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गयी थी, जिसमे मांग की गई थी कि न्यायालय, ‘रूल ऑफ लॉ इंडेक्स’ में भारत की स्थिति को सुधारने हेतु केंद्र सरकार को विशेषज्ञ कमेटी के गठन करने के लिए निर्देश दे।
याचिकाकर्ता की मांग
याचिका में कहा गया कि एक स्वतंत्र संगठन ‘वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट’ द्वारा तैयार की गयी रूल ऑफ लॉ इंडेक्स- 2020 में शामिल शीर्ष 20 देशों की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं का विशेषज्ञ समितियों को अध्ययन करना चाहिए।
याचिका में वैकल्पिक उपाय के रूप में विधि आयोग को इस सूचकांक में शामिल शीर्ष 20 देशों की व्यवस्थाओं का अध्ययन करके भारत की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार के उपायों के बारे में सुझाव देने की मांग की गयी है।
याचिका दायर करने का कारण
हाल ही में, ‘वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट’ (World Justice Project) द्वारा जारी ‘रूल ऑफ लॉ इंडेक्स’ (Rule of Law Index)– 2020 में भारत को 69 वीं रैंकिंग प्रदान की गयी है।
- इस सूचकांक में भारत को कभी भी शीर्ष 50 देशों के मध्य स्थान नहीं मिला है, इसके बाद भी विभिन्न सरकारों द्वारा भारत की अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार करने हेतु आवश्यक कदम नहीं उठाये गये।
- रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में, शासकीय खुलापन, मौलिक अधिकार, दीवानी और फौजदारी न्याय व्यवस्था तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश, नियमों के प्रवर्तन जैसे आठ मापदंडो पर भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
- इसके अतिरिक्त, विधि का खराब शासन, जीवन, स्वतंत्रता, आर्थिक न्याय, बंधुत्व, व्यक्तिगत गरिमा तथा राष्ट्रीय एकीकरण पर हानिकारक प्रभाव डालता है।
- विधि का खराब शासन, संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत प्रदत्त अधिकारों को भी अवमानना करता है।
न्यायालय का वक्तव्य
यह न्यायालय के लिये उचित मामला नहीं है। इस संबंध में उचित कार्रवाई के लिये सरकार को प्रतिवेदन दिया जा सकता है।
पीठ ने कहा कि याचिका को सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रतिवेदन के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। याचिका में की मांगों को उचित पाए जाने पर सरकार छह माह के भीतर उचित निर्णय ले सकती है।
‘रूल ऑफ लॉ इंडेक्स’ क्या है?
यह सूचकांक एक स्वतंत्र संगठन ‘वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट’ द्वारा प्रतिवर्ष जारी किया जाता है।
यह एक मात्रात्मक मूल्यांकन उपकरण है। सूचकांक विभिन्न मापदंडों के आधार पर किसी देश में विधि के शासन की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है।
इस सूचकांक में विश्व के 128 देशों को शामिल किया गया है।
देशों की रैंकिंग किस प्रकार की जाती है?
सूचकांक आठ मापदंडो के आधार पर देशों को रैंकिंग प्रदान करता है :
- सरकारी शक्तियों पर दबाव,
- भ्रष्टाचार पर अंकुश,
- शासकीय खुलापन,
- मौलिक अधिकार,
- व्यवस्था एवं सुरक्षा,
- नियामों का प्रवर्तन,
- सिविल न्याय,
- आपराधिक न्याय।
‘विधि का शासन’ किस प्रकार परिभाषित किया जाता है?
‘वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट’, विधि के शासन को निम्नलिखित चार सार्वभौमिक सिद्धांत के आधार पर पारिभाषित करता हैं:
- सरकार, इसके अधिकारी तथा प्रतिनधि, विधि के अधीन उत्तरदायी हों।
- देश में बनाये गए क़ानून स्पष्ट, प्रचारित, स्थिर और निष्पक्ष हों तथा व्यक्तियों तथा संपति की सुरक्षा करने सहित मूल अधिकारों की रक्षा करते हों।
- कानूनों को अधिनियमित करने, प्रशासित करने तथा लागू करने की प्रक्रिया, सुलभ, दक्ष और निष्पक्ष हो।
- न्याय को सक्षम, नीतिपरक, निष्पक्ष तथा स्वतंत्र प्रतिनिधियों दवारा प्रदान किया जाता हो, तथा सभी समुदायों का उचित प्रतिनिधित्व हो।
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