Wednesday, 17 June 2020

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी तथा ईरान का परमाणु-कार्यक्रम

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency- IAEA) ने अघोषित परमाणु सामग्री की जांच करने में ईरान द्वारा सहयोग करने में विफल रहने पर “गंभीर चिंता” व्यक्त की है।
IAEA द्वारा की गयी टिप्पणीयाँ
  1. ईरान ने एजेंसी के निरीक्षकों को दो साइटों के निरीक्षण की अनुमति नहीं दी, जिनको एजेंसी देखना चाहती थी।
  2. ईरान ने, 2000 के दशक के आरम्भ में संभावित अघोषित परमाणु सामग्री के उपयोग के बारे में सवालों के जवाब नहीं दिए। तथा उस सामग्री का क्या हुआ? इस सवाल का जबाब देने में ईरान विफल रहा।
  3. ईरान के परमाणु-ईंधन भंडार में, 2015 के समझौते के अंतर्गत निर्धारित स्तर से काफी अधिक मात्रा में वृद्धि हुई है।
  4. ईरान ने अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने हेतु परमाणु समझौते के अनुपालन को घटा दिया है।
आगे क्या?
यदि ईरान IAEA के सवालों का जवाब देने में विफल रहता है, तो यह विषय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nation Security Council- UNSC) को भेजा जा सकता है। UNSC ने पूर्व में ईरान पर प्रतिबंध लगाए थे।
सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य रूस और चीन ने सार्वजनिक रूप से ईरान के पिछले परमाणु-कार्यकर्मों के महत्व को नकार दिया है।
निरीक्षण की आवश्यकता
ईरान द्वारा परमाणु हथियार मशीन अथवा परमाणु हथियार परीक्षण हेतु न्यूट्रॉन चालक (Neutron Initiator) के निर्माण पर काम किये जाने के संकेत मिले है
ईरान के समृद्ध यूरेनियम भंडार में लगभग 50% तक की वृद्धि हुई है तथा यह 1,572 किलोग्राम तक हो चुका है। वर्ष 2015 के परमाणु समझौते में ईरान के लिए समृद्ध यूरेनियम भंडार की सीमा 202.8 किलोग्राम निर्धारित की गयी थी।
1,000 किलोग्राम निम्न-समृद्ध यूरेनियम (low-enriched uranium) को पुनः समृद्ध करने पर ईरान पास परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री हो जायेगी। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इस प्रक्रिया में तीन महीने से कम समय लग सकता है।
क्या संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) को बहाल किया जा सकता है?
वर्ष 2015 के संयुक्त व्यापक कार्य योजना (Joint Comprehensive Plan of Action JCPOA) परमाणु समझौते को सामान्यतः बहाल नहीं किया जा सकता है।
JCPOA परमाणु समझौते को ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए तैयार किया गया था। इस डील के तहत ईरान को समृद्ध यूरेनियम को विदेशों में बेचना पड़ता है, व इसका उपयोग परमाणु हथियारों के लिए नहीं कर सकता है। ईरान ने इस सौदे के तहत अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करने के लिए सहमती प्रकट की थी।
ईरान ने समझौते के पहले दिन से ही JCPOA प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किया है। पिछले कुछ वर्षो के दौरान ईरान ने समझौते के यूरेनियम संवर्धन प्रतिबंधो का उल्लंघन करते हुए परमाणु बम निमार्ण क्षमता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
JCPOA को इसके सनसेट उपबंधो (sunset clauses) सहित पुनः लागू करने से, ईरान पर यूरेनियम संवर्धन संबंधी लगभग सभी प्रतिबंधों को उठाने की शुरुआत हो जायेगी। इससे बहुत कम समय में ही ईरान परमाणु क्षमता संपन्न देश बन सकता है।
ईरान परमाणु समझौता क्या था?
ईरान परमाणु समझौता, 2015 में ईरान तथा विश्व के छह देशों– अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी के बीच सम्पन्न हुआ था। इस समझौते में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाने पर सहमति व्यक्त की।
संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) के तहत तेहरान ने मध्यम संवर्धित यूरेनियम के अपने भंडारण को पूर्ण रूप से समाप्त करने, निम्न-संवर्द्धित यूरेनियम के भण्डारण को 98% तक कम करने तथा आगामी 13 वर्षों में अपने गैस सेंट्रीफ्यूजों की संख्या को दो-तिहाई तक कम करने पर सहमति व्यक्त की।
इस समझौते के माध्यम से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगाये गए प्रतिबंधों की निगरानी के लिए कठोर तंत्रों की स्थापना की गई थी।
अमेरिका इस समझौते से क्यों अलग हो गया?
ट्रम्प तथा इस समझौते के विरोधियों का कहना है कि ‘ईरान परमाणु समझौता’ दोषपूर्ण है क्योंकि इससे ईरान को अरबों डॉलर की पहुंच प्राप्त होती है, लेकिन यह हमास और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों को ईरान द्वारा समर्थन देने पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। इन संगठनो को अमेरिका द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है।
अमेरिका का यह भी कहना है कि, यह समझौता ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों पर अंकुश नहीं लगाता है तथा यह मात्र 2030 तक लागू होगा।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बारे में
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की स्थापना, वर्ष 1957 में संयुक्त राष्ट्र संघ भीतर ‘वैश्विक शांति के लिए परमाणु संगठन’ के रूप की गयी थी। यह एक स्वायत अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
इसका उद्देश्य विश्व में परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना है। यह परमाणु ऊर्जा के सैन्य उपयोग को किसी भी प्रकार रोकने में प्रयासरत रहती है।
IAEA, संयुक्त राष्ट्र महासभा तथा सुरक्षा परिषद दोनों को रिपोर्ट करती है।
इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में स्थित है।
प्रमुख कार्य
  1. IAEA, अपने सदस्य देशों तथा विभिन्न भागीदारों के साथ मिलकर परमाणु प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित, सुदृढ़ और शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।
  2. इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना तथा परमाणु हथियारों सहित किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिए इसके उपयोग को रोकना है।
बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स
  • 22 सदस्य राज्यों (प्रत्येक द्वारा निर्धारित भौगोलिक विविधता का प्रतिनिधित्व) – सामान्य सम्मेलन द्वारा निर्वाचन (प्रत्येक वर्ष 11 सदस्य) – 2 वर्ष का कार्यकाल
  • कम से कम 10 सदस्य देश – निवर्तमान बोर्ड द्वारा नामित
  • IAEA गतिविधियों और बजट पर जनरल कॉन्फ्रेंस की सिफारिशें
  • IAEA मानकों को प्रकाशित करने के लिए जिम्मेदार
  • IAEA की अधिकांश नीतियों के निर्माण हेतु जिम्मेदार
  • जनरल कॉन्फ्रेंस अनुमोदन के अधीन महानिदेशक की नियुक्त
कार्यक्रम
  1. कैंसर थेरेपी के लिए कार्रवाई का कार्यक्रम (Program of Action for Cancer Therapy- PACT)
  2. मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम
  3. जल उपलब्धता संवर्धन परियोजना
  4. अभिनव परमाणु रिएक्टरों और ईंधन चक्र पर अंतर्राष्ट्रीय परियोजना, 2000

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