Wednesday, 17 June 2020

पदार्थ की पांचवीं अवस्था

चर्चा का कारण
पृथ्वी पर नासा के वैज्ञानिक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station- ISS) पर अंतरिक्ष यात्रियों के साथ मिलकर ‘बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट’ (Bose-Einstein condensate– BEC) – पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बाहर पदार्थ की पांचवीं अवस्था (fifth state of matter) – को जानने के लिए साथ में काम कर रहे हैं।
इस पदार्थ को ब्रह्मांड के सबसे ठंडे स्थानों में से एक ‘शीत परमाण्विक प्रयोगशाला’ (the Cold Atom Laboratory) में निर्मित किया गया है। यह प्रयोगशाला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर स्थित है।
 पदार्थपरमाणु और अणु क्या होते है?
‘पदार्थ’ से ब्रह्मांड का निर्माण होता है – प्रत्येक वस्तु जो स्थान घेरती है तथा जिसका द्रव्यमान होता है, ‘पदार्थ’ होती है। हालांकि इसमें द्रव्यमान रहितकण जैसे- फोटॉन, अन्य ऊर्जा घटनाएं (energy phenomenon) तथा तरंगें जैसे- प्रकाश या ध्वनि शामिल नहीं हैं।
सभी पदार्थ ‘परमाणुओं’ से निर्मित होते हैं, तथा परमाणु प्रोटॉनन्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉनों से बने होते हैं।
कई परमाणु मिलकर ‘अणु’ का निर्माण करते हैं, जो सभी प्रकार के पदार्थों के लिए बिल्डिंग ब्लॉक होते हैं।
परमाणु तथा अणु दोनों, स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy) के एक रूप रासायनिक ऊर्जा के माध्यम से परस्पर जुड़े होते है।
पदार्थ की पांचवीं अवस्था
पदार्थ की चार प्राकृतिक अवस्थाएँ होती हैं: ठोस, तरल पदार्थ, गैसें और प्लाज्मा।
पदार्थ की पांचवीं अवस्था मानव निर्मित ‘बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट’ (Bose-Einstein condensate- BEC) है।
बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट (BEC)
पदार्थ की पांचवी अवस्था को ‘बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट’ (BEC) नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि इसके अस्तित्व के बारे में लगभग एक सदी पहले अल्बर्ट आइंस्टीन और भारतीय गणितज्ञ सत्येंद्र नाथ बोस द्वारा बताया गया था।
पदार्थ की यह अवस्था तब बनती है, जब किसी तत्व के परमाणुओं को परम शून्य (जीरो डिग्री केल्विन या माइनस 273.15 डिग्री सेल्सियस) तक ठंडा किया जाता है।
इसके चलते उस तत्व के सारे परमाणु मिलकर एक हो जाते हैं यानी सुपर एटम बनता है। इसे ही पदार्थ की पांचवी अवस्था कहते है।
किसी भी पदार्थ में उसके परमाणु अलग-अलग गति करते हैं, लेकिन पदार्थ की पांचवी अवस्था में एक ही बड़ा परमाणु होता है और इसमें तरंगे उठती हैं।
यह पहली बार कब निर्मित किया गया था?
वर्ष 1995 में वैज्ञानिकों द्वारा सर्वप्रथम BEC को निर्मित किया गया था। लेजर और चुम्बक के संयोजन से, वैज्ञानिकों ने रुबिडियम (Rubidium) का एक प्रतिरूप परम शून्य तक ठंडा किया।
इस बेहद कम तापमान पर, आणविक गति मंद होकर रुकने के बहुत करीब आ जाती है।
इस अवस्था में एक परमाणु से दूसरे में स्थानांतरित होने वाली गतिज ऊर्जा लगभग नहीं के बराबर होती है, तथा परमाणु परस्पर गुथने लगते हैं। इस स्थिति में हजारों अलग-अलग परमाणु नहीं होते हैं, बस एक “सुपर परमाणु” होता है।
BEC के अध्ययन का कारण
BEC का उपयोग मैक्रोस्कोपिक स्तर पर क्वांटम यांत्रिकी के अध्ययन करने हेतु किया जाता है। प्रकाश के BEC से होकर गुजरने पर इसकी गति धीमी प्रतीत होती है। यह वैज्ञानिकों को ‘कण / तरंग विरोधाभास’ (particle/wave paradox) का अध्ययन करने को प्रेरित करती है।
BEC में सुपरफ्लूड (Superfluid) के कई गुण होते हैं तथा यह एक तरल-द्रव्य होता है जिसमे घर्षण नहीं होता है।
BEC का उपयोग ब्लैक होल की संभावित स्थितियों को प्रयोगशाला में बनाने (Simulate) के लिए भी किया जाता है।
अंतरिक्ष में BEC को निर्मित करना आसान क्यों है?
1995 के बाद से पृथ्वी पर कई प्रकार के प्रयोगों द्वारा BEC को निर्मित करने का प्रयास किया गया, परन्तु, ये प्रयोग पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाधित होते रहे।
BEC को निर्मित करने हेतु अंतरिक्ष में लगभग शून्य गुरुत्वाकर्षण की अवस्था में इन सारे पार्टिकल्स को बेहद छोटे ‘ट्रैप’ में रखा गया जहां इन सबकी वेव एक-दूसरे में मिल गई और ये एक वेव मैटर की तरह फंक्शन करने लगे। इसे क्वांटम डीजनरेसी (Quantum degenracy) कहते हैं।
अन्तरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी की कारण ISS के वैज्ञानिक परमाणुओं को एक साथ लाने में कामयाब हुए क्योंकि वहां गुरुत्व बल काम नहीं कर रहा था। पृथ्वी के वातावरण में BEC की अवस्था कुछ ही मिलीसेकेंड्स में ही खत्म हो जाती है, ISS में यह एक सेंकेंड से ज्यादा देर तक बनी रही।

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