हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा केन्द्रीय सूची में अन्य पिछड़ा वर्ग के भीतर उप-श्रेणीकरण के मुद्दे के परीक्षण के लिए संविधान के अनुच्छेद 340 के अंतर्गत गठित आयोग के कार्यकाल के विस्तार को स्वीकृति प्रदान की गयी।
अनुच्छेद 340
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 340 के अंतर्गत पिछड़े वर्गों की स्थितियों की जांच के लिए एक आयोग की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रपति, भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की दशाओं के अन्वेषण के लिए, आदेश द्वारा, एक आयोग नियुक्त कर सकते हैं। इस आयोग में, राष्ट्रपति, जिन व्यक्तियों को अन्वेषण हेतु उचित समझेगा, सम्मिलित कर सकते है।
संवैधानिक आधार
संविधान के अनुच्छेद 14 में विधि के समक्ष समता की गारंटी प्रदान की गयी है। इसका अर्थ है, कि गैर-बराबरों के साथ बराबरी का व्यवहार नहीं किया जा सकता है। उन्नत वर्गों के साथ समान स्तर पर लाने हेतु गैर-बराबरों के उत्थान के लिए उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
अनुच्छेद 16 (4) के अनुसार, राज्य, किसी भी पिछड़े वर्ग के नागरिकों के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए कोई प्रावधान कर सकते हैं, यदि, राज्य की राय में, जिनका राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं हैं।
उप-श्रेणीकरण:
वर्ष 2015 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes– NCBC) द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes- OBCs) के उप-श्रेणीकरण का प्रस्ताव पेश किया गया।
अक्टूबर 2017 में, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा, संविधान के अनुच्छेद 340 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत, अत्यंत पिछड़े वर्गों (Extremely Backward Classes– EBCs) को प्राथमिकता प्रदान्र करते हुए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने हेतु, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जी. रोहिणी की अध्यक्षता में OBC समूह के उप-श्रेणीकरण संबंधी विषयों का अन्वेषण करने हेतु एक आयोग की नियुक्ति की गयी थी।
उप-श्रेणीकरण की आवश्यकता
OBC समूह के उप-श्रेणीकरण से OBC समुदायों के मध्य अधिक पिछड़े समूहों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ सुनिश्चित होगा।
वर्तमान में, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBCs) में कोई उप-श्रेणीकरण नहीं है तथा सभी समुदायों को संयुक्त रूप से 27% आरक्षण प्रदान किया जाता है।
विश्लेषण
अन्य पिछड़ा वर्ग समूह के क्रीमी लेयर द्वारा लम्बे समय से आरक्षण प्रणाली का लाभ लिया जाता रहा है, जिसके कारण समूह के अत्यंत पिछड़े समुदायों को आरक्षण का समुचित लाभ नहीं मिल पाता है।
OBC समूह के उप-श्रेणीकरण का निर्णय द्वारा, केंद्र सरकार, पिछड़े वर्गों के तहत आने वाले जाति समूहों को सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार विभाजन कर रही है, जिससे आरक्षण लाभ का अधिक समान वितरण सुनिश्चित हो सके।
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