हाल ही में, वित्त मंत्री द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत ‘उप-ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी’ (Credit Guarantee Scheme for Sub-ordinate Debt– CGSSD) योजना की घोषणा की गयी।
इस योजना को “सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए संकटग्रस्त परिसंपत्ति फंड-उप-ऋण” (Distressed Assets Fund–Sub-ordinate Debt for MSMEs) भी कहा जाता है।
प्रमुख बिंदु:
- यह योजना संकटग्रस्त MSME क्षेत्र के पुनरुत्थान हेतु आरंभ की गयी है।
- इस योजना के अंतर्गत, उन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs), जो वर्तमान में चालू हालात में है परन्तु 30 अप्रैल, 2020 तक गैर-निष्पादित परिसंपति (NPA) हो चुके है, के संस्थापकों को सहायता देने का प्रावधान किया गया है।
- इस योजना का संचालन ‘MSE के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट’ (Credit Guarantee Fund Trust for MSEs– CGTMSE) के माध्यम से किया जाएगा।
योजना का कार्यान्वयन:
- इसके अंतर्गत, MSME के संस्थापकों को उनकी हिस्सेदारी (इक्विटी व ऋण मिलाकर) के 15% के बराबर अथवा 75 लाख रुपये, जो भी कम हो, का ऋण दिया जाएगा।
- संस्थापक, इस राशि को MSME इकाई में इक्विटी के रूप में निवेश करेगा और इस तरह नकदी (तरलता) बढ़ाएगा और ऋण-इक्विटी अनुपात को बनाए रखेगा।
- इस उप-ऋण के लिए 90% गारंटी कवरेज, योजना के तहत दी जाएगी और 10% संबंधित प्रमोटर द्वारा उपलब्ध कराई जायेगी;
- मूलधन के भुगतान पर 7 वर्ष की मोहलत मिलेगी जबकि पुनर्भुगतान के लिए अधिकतम अवधि 10 वर्ष होगी।
योजना का महत्व
यह योजना लगभग 2 लाख MSMEs को आवश्यक सहायता प्रदान करेगी और इससे MSME क्षेत्र में और इस क्षेत्र के माध्यम से अन्य क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधि को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी। यह योजना उन लाखों लोगों की आजीविका और नौकरियों की रक्षा करने में भी मदद करेगी, जो इन पर निर्भर हैं।
No comments:
Post a Comment