तेलंगाना सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव (PV Narashima Rao) की जन्मशती के अवसर पर वर्ष भर चलने वाले समारोह की शुरुआत की है।
प्रमुख बिंदु
- समारोह की शुरुआत करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (K Chandrasekhar Rao) ने कहा कि नरसिम्हा राव बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे और यह समारोह नरसिम्हा राव के संपूर्ण व्यक्तित्व को उजागर करने में मदद करेगा।
- इसी के साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री ने पीवी नरसिम्हा राव के लिये भारत रत्न की भी मांग की।
- ध्यातव्य है कि नरसिम्हा राव की कांस्य प्रतिमाओं को तेलंगाना के करीमनगर, वारंगल और हैदराबाद में तथा नई दिल्ली स्थित तेलंगाना भवन में स्थापित किया जाएगा।
पीवी नरसिम्हा राव- प्रारंभिक जीवन
- पामुलापति वेंकट नरसिंह राव का जन्म 28 जून, 1921 को तत्कालीन आंध्रप्रदेश के करीमनगर ज़िले के एक गाँव में हुआ था, जो कि वर्तमान में तेलंगाना राज्य का एक क्षेत्र है।
- नरसिम्हा राव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा करीमनगर ज़िले के स्थानीय विद्यालय से पूरी की, जिसके पश्चात् उन्होंने हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय (Osmania University) में दाखिला लिया और वहाँ से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
- स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, नरसिम्हा राव उच्च अध्ययन की ओर अग्रसर हुए और उन्होंने हिसलोप कॉलेज (Hislop Colleg) से विधि में मास्टर डिग्री पूरी की।
- पीवी नरसिम्हा राव को एक सक्रिय छात्र नेता के रूप में भी जाना जाता था, जहाँ उन्होंने पूर्ववर्ती आंध्रप्रदेश के विभिन्न इलाकों में कई सत्याग्रह आंदोलनों की अगुवाई की। नरसिम्हा राव हैदराबाद में 1930 के दशक में हुए ‘वंदे मातरम आंदोलन’ (Vande Mataram Movement) के एक सक्रिय भागीदार भी थे।
- नरसिम्हा राव को उनके अभूतपूर्व भाषाई कौशल के लिये भी जाना जाता था, उन्हें 10 भारतीय भाषाओं के साथ-साथ 6 विदेशी भाषाओं महारत हासिल थी।
नरसिम्हा राव की राजनीतिक यात्रा
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प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव
- प्रधानमंत्री के तौर पर नरसिम्हा राव को मुख्य रूप से उनके द्वारा किये गए सुधारों के रूप में पहचाना जाता है। प्रधानमंत्री के रूप में पीवी नरसिम्हा राव के सबसे महत्त्वपूर्ण निर्णयों में से एक वित्त मंत्री के रूप में एक गैर-राजनीतिक उम्मीदवार की नियुक्ति को माना जाता है।
- डॉ. मनमोहन सिंह की विशेषज्ञता के तहत पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने मुख्य रूप से निम्नलिखित निर्णय लिये:
- सेबी अधिनियम 1992 (Securities and Exchange Board of India Act, 1992) और प्रतिभूति कानून (संशोधन) की शुरुआत हुई, जिसके माध्यम से SEBI को सभी प्रतिभूति बाज़ार मध्यस्थों को पंजीकृत और विनियमित करने का कानूनी अधिकार प्राप्त हुआ।
- वर्ष 1992 में पूंजी निर्गम नियंत्रक (Controller of Capital Issues) निकाय को समाप्त कर दिया गया, जो कि कंपनियों द्वारा जारी किये जा सकने वाले शेयरों की कीमतें और संख्या तय किया करता था।
- वर्ष 1992 में ही विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिये भारत के इक्विटी बाज़ारों को खोल दिया गया, साथ ही भारतीय कंपनियों को ग्लोबल डिपॉज़िटरी रिसिप्ट (Global Depository Receipts-GDRs) जारी करके अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों से पूंजी जुटाने की अनुमति देना।
- वर्ष 1994 में कंप्यूटर आधारित व्यापार प्रणाली के रूप में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange-NSE) की शुरुआत की गई। ध्यातव्य है कि NSE वर्ष 1996 तक भारत के सबसे बड़े एक्सचेंज के रूप में उभरने लगा।
- संयुक्त उद्यमों में विदेशी पूंजी की हिस्सेदारी पर अधिकतम सीमा को 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करके प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) को प्रोत्साहित किया गया।
- नई आर्थिक नीति के अलावा पीवी नरसिम्हा राव ने शीत युद्ध के बाद देश की कूटनीतिक नीति (Diplomacy Policy) को एक नया आकार देने में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
- नरसिम्हा राव के कार्यकाल में ही भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति (Look East’ Policy) की भी शुरुआत हुई, जिसके माध्यम से भारत के व्यापार की दिशा को दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों की ओर किया गया।
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