Sunday, 28 June 2020

अकादमिक और अनुसंधान सहयोग संवर्द्धन योजना (स्पार्क)

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के शोधकर्ताओं ने हरित ऊर्जा समाधान हेतु नए पदार्थों को विकसित करने के लिए जर्मनी में अपने समकक्षों के साथ मिलकर कार्य आरंभ किया है।

  • इस परियोजना को ‘अकादमिक और अनुसंधान सहयोग संवर्द्धन योजना’ (Scheme for Promotion of Academic and Research Collaboration– SPARC) के तहत आरंभ किया गया है।
  • इसका उद्देश्य हाइड्रोजन आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करने हेतु हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए वैकल्पिक तकनीकों को विकसित करना है।

 परियोजना की आवश्यकता और महत्व

हाइड्रोजन को निर्मित करने की पारम्परिक पद्धतियों में बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन होता है, जो कि एक ग्रीनहाउस गैस है तथा पर्यावरण के लिए हानिकारक है।

इस परियोजना का उद्देश्य हाइड्रोजन उद्भव प्रतिक्रियाओं के लिए नए कम लागत वाले इलेक्ट्रो-कैटलिस्ट्स (Electrocatalysts) को विकसित करना है।

स्पार्क (SPARC) क्या है?

  • यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक पहल है।
  • इस योजना का उद्देश्य भारतीय संस्‍थानों और विश्‍व के सर्वोत्‍तम संस्‍थानों के बीच अकादमिक एवं अनुसंधान सहयोग को सुगम बनाकर भारत के उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों में अनुसंधान परिदृश्‍य को बेहतर बनाना है।
  • इस योजना के अंतर्गत, दो वर्षों के लिये 600 संयुक्‍त शोध प्रस्‍ताव दिये जाएंगे, ताकि कक्षा संकाय में सर्वश्रेष्ठ समझे जाने वाले भारतीय अनुसंधान समूहों और विश्‍व के प्रमुख विश्‍वविद्यालयों के प्रख्‍यात अनुसंधान समूहों के बीच विज्ञान तथा मानव-कल्याण से संबधित क्षेत्रों में शोध संबंधी सुदृढ़ सहयोग का निर्माण किया जा सके।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर SPARC कार्यक्रम को लागू करने वाला राष्ट्रीय समन्‍वयकारी संस्थान है।

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