हाल ही में ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (Stockholm International Peace Research Institute- SIPRI) द्वारा एक नई ईयरबुक जारी की गयी है।
इस ईयरबुक में “आयुध, निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की वर्तमान स्थिति” का आकलन किया गया है।
SIPRI क्या है
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) 1966 में स्थापित एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है, जो युद्ध तथा संघर्ष, युद्धक सामग्रियों, हथियार नियंत्रण तथा निरस्त्रीकरण के क्षेत्र में शोध- कार्य करती है।
स्टॉकहोम स्थित आय संस्था नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं, मीडिया और इच्छुक लोगों को आँकड़ों का विश्लेषण और सुझाव उपलब्ध कराती है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
भारत और उसके पड़ोसी
- परमाणु हथियार रखने वाले सभी देशों ने अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण जारी रखा है। पिछले एक वर्ष की अवधि में भारत और चीन ने अपने परमाणु हथियारों में वृद्धि की है।
- चीन अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण कर रहा है, तथा इसके परमाणु शस्त्रागार में वर्ष 2019 में 290 वारहेड थे जिनकी संख्या वर्ष 2020 में बढ़कर 320 हो चुकी है।
- चीन पहली बार एक तथाकथित न्यूक्लियर ट्रायड (Nuclear Triad) विकसित कर रहा है, जो जल, थल और वायु तीनों जगहों से परमाणु हमला करने में सक्षम होगी।
- भारत के परमाणु शस्त्रागार में वर्ष 2019 में 130-140 वारहेड थे, जिनकी संख्या वर्ष 2020 में 150 हो गयी है।
- पाकिस्तान भी अपने परमाणु अस्त्रों के आकार तथा विविधता में वृद्धि कर रहा है। इसके परमाणु अस्त्रों की संख्या वर्ष 2020 में 160 हो चुकी है।
- भारत की तुलना में, चीन तथा पाकिस्तान, दोनों देशों के पास बड़े परमाणु शस्त्रागार हैं।
वैश्विक परिदृश्य
- नौ परमाणु शस्त्र संपन्न देशों- अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया- के पास संयुक्त रूप से वर्ष 2020 के आरम्भ में लगभग 13,400 परमाणु अस्त्र थे। पिछले एक वर्ष की अवधि संयुक्त रूप से इन परमाणु अस्त्रों की संख्या में कमी हुई है।
- परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी का मुख्य कारण रूस और अमेरिका द्वारा पुराने परमाणु हथियारों को नष्ट करना था। रूस और अमेरिका के पास कुल वैश्विक परमाणु हथियारों के 90% से अधिक का भण्डार है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका तथा रूस के अतिरिक्त अन्य परमाणु-सशस्त्र देशों के परमाणु शस्त्रागार काफी छोटे है, लेकिन इन सभी देशों द्वारा नयी हथियार प्रणालियों को विकसित किया जा रहा है।
समय की आवश्यकता
अमेरिका और रूस द्वारा ‘नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (Strategic Arms Reduction Treaty-START), 2010 के तहत अपने परमाणु शस्त्रागार को कम किया गया है। इस संधि की समाप्ति फरवरी 2021 में हो रही है, जिसे दोनों देशों द्वारा विस्तारित किये जाने की आवश्यकता है।
START संधि पर गतिरोध तथा सोवियत-यू.एस. के मध्य वर्ष 1987 में घोषित ‘मध्यम दूरी तथा कम दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल उन्मूलन संधि (INF संधि) का 2019 में समापन हो गया। इस महत्वपूर्ण संधि का अंत, रूस और अमेरिका के मध्य द्विपक्षीय परमाणु हथियार नियंत्रण समझौतों के युग की समाप्ति का संकेत है।
वैश्विक परिदृश्य
- नौ परमाणु शस्त्र संपन्न देशों- अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया- के पास संयुक्त रूप से वर्ष 2020 के आरम्भ में लगभग 13,400 परमाणु अस्त्र थे। पिछले एक वर्ष की अवधि संयुक्त रूप से इन परमाणु अस्त्रों की संख्या में कमी हुई है।
- परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी का मुख्य कारण रूस और अमेरिका द्वारा पुराने परमाणु हथियारों को नष्ट करना था। रूस और अमेरिका के पास कुल वैश्विक परमाणु हथियारों के 90% से अधिक का भण्डार है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका तथा रूस के अतिरिक्त अन्य परमाणु-सशस्त्र देशों के परमाणु शस्त्रागार काफी छोटे है, लेकिन इन सभी देशों द्वारा नयी हथियार प्रणालियों को विकसित किया जा रहा है।
समय की आवश्यकता
अमेरिका और रूस द्वारा ‘नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (Strategic Arms Reduction Treaty-START), 2010 के तहत अपने परमाणु शस्त्रागार को कम किया गया है। इस संधि की समाप्ति फरवरी 2021 में हो रही है, जिसे दोनों देशों द्वारा विस्तारित किये जाने की आवश्यकता है।
START संधि पर गतिरोध तथा सोवियत-यू.एस. के मध्य वर्ष 1987 में घोषित ‘मध्यम दूरी तथा कम दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल उन्मूलन संधि (INF संधि) का 2019 में समापन हो गया। इस महत्वपूर्ण संधि का अंत, रूस और अमेरिका के मध्य द्विपक्षीय परमाणु हथियार नियंत्रण समझौतों के युग की समाप्ति का संकेत है।
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