संदर्भ: COVID -19 महामारी के दौरान, यक्षगान रंगमंच की एक पारंपरिक कला ‘ताल-मद्दले (Talamaddale)’ का प्रदर्शन वर्चुअल रूप से किया जाने लगा है। 13 जून को इस कला का सोशल मीडिया पर लाइव प्रदर्शन किया गया।
ताल-मद्दले (Talamaddale) के बारे में
ताल मद्दले, दक्षिण भारत के कर्नाटक तथा केरल के करावली एवं मलनाड क्षेत्रों में प्रचलित प्रदर्शन कला का एक प्राचीन रूप है। इसके अंतर्गत ‘संवाद प्रदर्शन’ अथवा वाद-विवाद प्रदर्शन का आयोजन किया जाता है।
इसमें प्रदर्शन का कथानक तथा विषय लोकप्रिय पौराणिक कथाओं से लिया जाता है, परन्तु, प्रदर्शन के दौरान, कलाकार तात्कालिक रूप से हास-परिहास, व्यंग्य तथा दर्शन आदि का प्रयोग करते हैं।
यक्षगान से भिन्नता
यक्षगान प्रदर्शन के विपरीत, पारंपरिक ताल-मद्दले में, ‘कलाकार कोई विशेष वेशभूषा धारण नहीं करते है, तथा प्रदर्शन के दौरान मंच पर एक स्थान पर बैठ कर चुने गए कथानक के आधार पर अपनी वाक् कला का प्रदर्शन करते हैं।
यक्षगान प्रदर्शन तथा ताल-मद्दले में संगीत की समानता होती है। लेकिन, ताल-मद्दले में केवल संवादों का प्रयोग होता है, जबकि यक्षगान प्रदर्शन के दौरान कलाकार विशिष्ट वेश-भूषा धारण करते हैं तथा नृत्य-अभिनय का प्रदर्शन करते हैं।
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